उज्जैन -
श्रावण मास के पहले सोमवार को उज्जैन के महाकालेश्वर मंदिर में श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ी। करीब 2.5 लाख भक्तों ने भगवान महाकाल के दर्शन किए और उनके प्रसिद्ध लड्डू प्रसाद को अपने साथ ले गए। इस दिन 54.48 क्विंटल लड्डू प्रसाद की बिक्री हुई, जिसकी कुल कीमत करीब 26 लाख रुपए रही।
दूसरी सवारी के लिए बढ़ाई गई तैयारियां
महाकाल मंदिर समिति अब दूसरे सोमवार (22 जुलाई) को होने वाली सवारी के लिए 80 क्विंटल लड्डू प्रसाद बनवा रही है।
देश-विदेश में महाकाल के लड्डू प्रसाद की मांग
महाकाल का लड्डू प्रसाद सिर्फ देशभर में ही नहीं, बल्कि विदेशों से आए भक्त भी इसे अपने साथ ले जाते हैं। त्योहारों और विशेष आयोजनों पर लड्डुओं की मांग और ज्यादा बढ़ जाती है, इसलिए समिति अतिरिक्त स्टॉक पहले से तैयार रखती है।
ऐसे तैयार होता है महाकाल का शुद्ध लड्डू प्रसाद
महाकाल मंदिर में लड्डू प्रसाद बनाने के लिए जरूरी सामग्री टेंडर प्रक्रिया से खरीदी जाती है। इसमें देसी घी, चने की दाल, रवा और ड्रायफ्रूट शामिल होते हैं। हर सामान की गुणवत्ता जांची जाती है। यह जांच खाद्य विभाग की टीम करती है। अगर कोई सामग्री खराब या मानक से कम होती है, तो उसे तुरंत वापस लौटा दिया जाता है।
बेसन बनाने के लिए पहले सूखी चने की दाल खरीदी जाती है। उसे अच्छी तरह साफ किया जाता है, फिर मंदिर परिसर में ही चक्की से पीसकर बेसन तैयार किया जाता है। रवा सीधा फैक्ट्री से आता है। देसी घी सांची (उज्जैन दुग्ध संघ) से खरीदा जाता है। चूंकि ये खरीदी मंदिर प्रसादी के लिए होती है और मात्रा भी ज्यादा होती है, इसलिए सांची की ओर से इसका रेट भी कम रखा जाता है।
काजू, किशमिश और इलायची जैसी चीजें भी अच्छी तरह जांचने के बाद ही इस्तेमाल की जाती हैं।