KHABAR: सहकारिता केे क्षेत्र में प्रगति को लेकर सांसद गुप्ता ने लोकसभा में प्रश्न किया, पढ़े खबर

MP 44 NEWS April 6, 2025, 5:30 pm Technology

मंदसौर - प्रश्नकाल के दौरान सांसद सुधीर गुप्ता ने सहकारिता क्षेत्र को लेकर लोकसभा में प्रश्न किया। उन्होने कहा कि सरकार ने देश में सहकारिता क्षेत्र की प्रगति की समीक्षा की है। सरकार का विद्यालयों, महाविद्यालयों और आईआईएम में सहकारिता पाठ्यक्रम शुरू करने तथा सफल सहकारिता संगठन को बढ़ावा देने का विचार है। इस पर क्या प्रतिक्रिया है और शिक्षा क्षेत्र में ऐसे पाठ्यक्रम शुरू करने के उद्देश्य और लक्ष्य क्या है। इन्हें कब तक शुरू किए जाने की संभावना है; और सरकार द्वारा देश में सहकारिता क्षेत्र को प्रोत्साहित करने के लिए अन्य क्या कदम उठाए गए हैं। प्रश्न के जवाब में सहकारिता मंत्री अमित शाह ने बताया कि सहकारी समितियों की समीक्षा और निगरानी एक अनवरत प्रक्रिया है। सरकार देश में सहकारी क्षेत्र के प्रगति की समीक्षा और निगरानी में गहनतापूर्वक लगी हुई है। परिणामस्वरूप, सहकारिता मंत्रालय ने दिनांक 06 जुलाई, 2021 को अपनी स्थापना के पश्चात् जमीनी स्तर पर सहकारी आंदोलन को सशक्त करने के लिए 60 पहलें की हैं। समीक्षा और विस्तृत परिणामों के आधार पर कमियों की पहचान की गई है । सहकारिता मंत्रालय ने इन परियोजनाओं के प्रभावी कार्यान्वयन सुनिश्चित करने के लिए जमीनी स्तर पर परियोजनाओं की निगरानी के लिए बहुआयामी पद्धति अपनायी है। विभिन्न पहलों की प्रगति का आकलन करने के लिए राज्यों/संघ राज्य छब्म्त्ज् की कक्षा 6 के समाज-विज्ञान की पाठ्य-पुस्तक में सहकारी क्षेत्र पर एक अध्याय शामिल किया गया है। शैक्षिक पहल को अधिक सशक्त करने के लिए सहकारिता मंत्रालय द्वारा शैक्षिक संस्थाओं में सहकारी पाठ्यक्रम प्रारंभ करने के लिए शिक्षा मंत्रालय के साथ परामर्श किया जा रहा है और आगामी शैक्षिक सत्र से अन्य कक्षाओं में अध्याय शुरू करने का प्रयास किया जा रहा है। इसके अतिरिक्त, लोक सभा में ष्त्रिभुवनष् सहकारी यूनिवर्सिटी विधेयक, 2025 पारित हो गया है। यह प्रस्तावित विश्वविद्यालय सहकारी क्षेत्र में शिक्षा, प्रशिक्षण और क्षमता निर्माण प्रदान करने और संबंधित क्षेत्रों में अनुसंधान और विकास कार्यकलाप करने की वांछा करता है। यह डिग्री कार्यक्रम, दूरस्थ शिक्षा और ई-लर्निंग पाठ्यक्रम प्रदान करेगा और सहकारी क्षेत्र में उत्कृष्टता केंद्र विकसित करेगा। यह भारत में या भारत के बाहर किसी अन्य स्थान पर बाहरी परिसर या संबद्ध संस्थान स्थापित कर सकता है। शैक्षिक संस्थानों में सहकारी पाठ्यक्रमों की शुरुआत का उद्देश्य व्यावहारिक शिक्षा को अकादमिक ज्ञान के साथ एकीकृत करना, छात्रों को उद्योग-प्रासंगिक कौशल से लैस करना और उनकी रोजगार क्षमता को बढ़ाना है। ये पाठ्यक्रम शिक्षा और उद्योगों के मध्य सहयोग को बढ़ावा देते हैं और यह सुनिश्चित करते हैं कि छात्र इंटर्नशिप, अप्रेंटिसशिप और लाइव परियोजनाओं के माध्यम से व्यावहारिक अनुभव प्राप्त करें। उन्होने बताया कि शिक्षा के क्षेत्र में ऐसे पाठ्यक्रमों का लक्ष्यों और उद्देश्यों में सैद्धांतिक शिक्षा और वास्तविक दुनिया के अनुप्रयोगों के बीच के अंतर को कम करना, समस्या समाधान, नेतृत्व और संचार कौशल विकसित करना और एक उद्यमशीलता की मानसिकता को बढ़ावा देना शामिल है। सहकारी पाठ्यक्रम छात्रों को उभरती प्रौद्योगिकियों, करियर के अवसरों को मजबूत करने और आजीवन सीखने और अनुकूलनशीलता को प्रोत्साहित करने पर भी ध्यान केंद्रित करते हैं। इसके अतिरिक्त, वे सामाजिक जिम्मेदारी, टीमवर्क और नैतिक निर्णय लेने, गत्यात्मक और प्रतिस्पर्धी नौकरी बाजारों के लिए छात्रों को तैयार करते हैं। स्कूलों में सहकारी पाठ्यक्रमों को शामिल करने से छात्रों को प्रारंभिक करियर इनसाइट्स प्राप्त होती है, वे विशेष क्षमताओं का विकास करते हैं, वे प्रबंधकीय और उद्यमशीलता कौशल को परिष्कृत करते हैं, जिससे वे उद्योग के लिए तैयार नेतृत्व करने वाले बनते हैं। यह उद्योग के लिए तैयार स्रातकों का निर्माण करने और शैक्षिक शिक्षण के साथ कार्य अनुभव को एकीकृत करके शिक्षा की समग्र गुणवत्ता को बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। क्षेत्रों के साथ नियमित मासिक समीक्षा बैठकें की जाती हैं। विभिन्न पहलों की प्रगति की समीक्षा के लिए नाबार्ड, एनडीडीबी, एनएफडीबी जैसे महत्वपूर्ण हितधारकों सहित अन्य हितधारकों को उनके राष्ट्रीय, राज्य और जिला स्तरीय कर्मियों एवं मशीनरी के माध्यम से शामिल किया जाता है। विशेष रूप से पैक्स कंप्यूटरीकरण परियोजना की समीक्षा के लिए राष्ट्र स्तरीय निगरानी और कार्यान्वयन समिति, राज्य एवं जिला स्तरीय कार्यान्वयन और निगरानी समितियां का गठन किया गया है। इसके अलावा, सहकारिता मंत्रालय की सभी पहलों का प्रभावी कार्यान्वयन और निगरानी सुनिश्चित करने के लिए राज्य स्तर पर मुख्य सचिव की अध्यक्षता में राज्य सहकारी विकास समिति और जिला स्तर पर जिला कलेक्टर की अध्यक्षता में जिला सहकारी विकास समिति का गठन किया गया है। राष्ट्रीय सहकारी डेटाबेस द्वारा सशक्त रिपोर्टिंग प्रणालियों के माध्यम से इन प्रयासों का समर्थन किया जाता है जिससे पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित होती है।

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