KHABAR: जिले में ड्रैगन फ्रूट की खेती की ओर आकर्षित हो रहे हैकिसान, पढ़े खबर

MP 44 NEWS May 14, 2025, 12:48 pm Technology

नीमच - नीमच जिले के युवा किसान परंपरागत खेती से हट कर कुछ नया करना चाहते हैं। नए पन की चाह ने जिले के किसानों को अब विदेशी फसलों की ओर आकर्षित करना शुरू कर दिया है। मध्य प्रदेश का नीमच जिला विभिन्न प्रकार की उपज के उत्पादन के लिए जाना जाता है। यहां के किसान विभिन्न किस्म के फल, औषधि, मसाला ,फसलों की खेती करते हैं। यहां की जलवायु कई देशी विदेशी फसलों के लिए अनुकूल है। कोरोना के समय से ड्रेगन फ्रूट को खाने का प्रचलन बढ़ गया है। यह फल बाजार में प्रति नग करीब डेढ़ सौ रुपए में मिलता है। यह अलग-अलग वैरियटयों और किस्म में पाया जाता है। एक बार का इन्वेस्टमेंट है। ड्रैगन फ्रूट का पौधा 20 से 25 वर्ष तक फल देता है। एक बीघा जमीन मे इसे लगाने का खर्च करीब 3 लाख रुपये आता है। ड्रैगन फ्रूट का उत्पादन सितंबर से फरवरी माह तक लगातार प्राप्त होता है। यह केक्टस प्रजाति का पौधा होता है। इन दिनो नीमच जिले के जावद, मनासा, सिंगोली क्षेत्र के कुछ जागरूक किसान ड्रेगन फ्रूट की खेती करने लगे है। मनासा तहसील के हाडी पिपलिया गांव के एक युवा किसान हरीश पाटीदार ने ड्रैगन फ्रूट की खेती करना शुरू की है। उन्होंने करीब दो साल पहले अपने स्तर पर हैदराबाद से पौधे लाकर 1 बीघा जमीन पर खेती शुरू की। यह फसल अब उत्‍पाद देने के लिए तैयार हो चुकी है। उन्हें अनुमान है कि इस वर्ष में 3 से 4 टन उत्पादन सितम्बर माह से लेने लेने लगेंगे। जिससे करीब उन्हें चार लाख रूपये तक की कमाई का अनुमान है। किसान हरीश अभी 450 पोल ओर लगा रहे हैं जिन पर 1800 पौधे लगाएंगे। कैसे करे खेती :- ड्रैगन फ्रूट की खेती की शुरुआत में खेत की अच्छी तरह से हकाई जुताई करने के बाद मिट्टी के ढेर से खेत में 10-10 फिट की दूरी पर कई बेड बनाये जाते हैं। वहीं प्रत्येक बेड पर 6-6 फीट की दूरी पर पोल लगाये जाते है। इन पोल के आपपास करीब 4 से 5 पौधे लगाए जाते हैं। जिन्हें ड्रिप के माध्यम से सींचा जाता है। करीब 2 वर्ष बाद यह उत्पादन देना शुरू कर देते हैं। ड्रैगन फ्रूट में कली आने के बाद 45 दिन में फल पककर मिल जाता है। कुछ सावधानियां :- यूं तो इस फसल की कम देखभाल और कम मेहनत की जरूरत होती है। फिर भी कुछ सावधानियां रखनी आवश्यक है। खेत में जल जमाव की स्थिति होने पर फसल खराब हो सकती हैं। साथ ही अत्यधिक पानी देने से भी फसल खराब हो सकती है। फसल को अत्यधिक तापमान और सीधे सूर्य की तेज धूप लगने से भी नुकसान होता है। हीट वेव से बचाव के लिए इसके आसपास अन्य फसल भी लगा सकते हैं। जिनका इसके उत्पादन पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता है।

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