KHABAR: चित्तौड़गढ़ में CPS पद्धति से डोडों का तौल जारी, 156 किलो से ज्यादा डोडे देने वाला किसान चर्चा में, 4 मई तक चलेगा तौल, पढ़े खबर

MP 44 NEWS April 24, 2025, 1:48 pm Technology

चित्तौड़गढ़ ज़िले में केंद्र सरकार की CPS पद्धति (बिना चीरा के साबुत डोडे) के तहत डोडों का तौल कार्य जोर-शोर से चल रहा है। बुधवार को इस प्रक्रिया का तीसरा दिन है और तौल का काम लगातार जारी है। जिला मुख्यालय स्थित नारकोटिक्स ऑफिस में पहले और दूसरे डिवीजन के किसानों के डोडों का तौल किया जा रहा है, जबकि तीसरे डिवीजन का तौल कार्य निंबाहेड़ा में किया जा रहा है। मंगलवार तक किए गए तौल में पहले डिवीजन से 42 गांवों के 221 किसानों ने 20228 किलो 530 ग्राम डोडे विभाग को सौंपे हैं। इन किसानों को विभाग की ओर से कुल 40 लाख 45 हजार 706 रुपए का भुगतान किया जाएगा। वहीं, दूसरे डिवीजन में 43 गांवों के 328 किसानों ने 29377 किलो 500 ग्राम डोडे तुलवाए, जिसके बदले उन्हें 58 लाख 75 हजार 500 रुपए का भुगतान करना तय हुआ है। पहले डिविजन का तौल 4 मई तक और दूसरे डिवीजन का तौल 2 मई तक किया जाएगा। बुधवार को भी जारी रहा तौल का काम बुधवार को पहले डिवीजन के तहत 25 गांवों के 202 किसानों का और दूसरे डिवीजन में 12 गांवों के 126 किसानों का तौल का काम हुआ। किसान सुबह से ही अपने डोडों के साथ तौल केंद्रों पर पहुंच गए थे। विभागीय अधिकारी और सुरक्षा कर्मी व्यवस्था बनाए रखने के लिए मुस्तैद नजर आए। किसान अपने डोडे लेकर नारकोटिक्स ऑफिस पहुंचे। गोरा जी का निंबाहेड़ा के मिट्ठूलाल बने आकर्षण का केंद्र बुधवार को गोरा जी का निंबाहेड़ा निवासी मिट्ठूलाल पुत्र रामलाल ने तौल केंद्र पर सबसे ज्यादा मात्रा में डोडे सौंप कर सबको चौंका दिया। उन्होंने 156 किलो 620 ग्राम डोडे विभाग को सौंपे। यह राजस्थान में अब तक की सबसे बड़ी व्यक्तिगत मात्रा मानी जा रही है। मिट्ठूलाल की यह उपलब्धि राज्य में चर्चा का विषय बन गई है। इससे पहले मंगलवार को बड़ावली गांव के भरत पुत्र किशनलाल ने तीसरे डिवीजन में 143 किलो डोडे विभाग को सौंपे थे। डोडो को कंप्रेस करके एकत्रित किया जाता है। गम पद्धति के लाइसेंस की उम्मीद में किसान भारत सरकार की ओर से निर्धारित नियमों के अनुसार, CPS पद्धति में प्रत्येक किसान को 80 किलो डोडे देना अनिवार्य किया गया है। सरकार ने पिछले साल जिन किसानों ने इस तय मात्रा से अधिक डोडे दिए थे, उन्हें इस वर्ष के लिए गम पद्धति के लाइसेंस जारी किए थे। इसी आधार पर इस साल भी किसानों में आशा है कि यदि वे निर्धारित मात्रा से अधिक डोडे विभाग को सौंपते हैं, तो अगली बार उन्हें अफीम के लिए गम पद्धति का लाइसेंस मिल सकता है।

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