मंदसौर। मंदसौर-नीमच सांसद सुधीर गुप्ता ने लोकसभा में देश की परमाणु ऊर्जा क्षमता बढ़ाने और छोटे मॉड्यूलर रिएक्टरों (SMR) के निर्माण से जुड़े महत्वपूर्ण मुद्दों को उठाते हुए केंद्र सरकार से कई अहम सवाल पूछे। सांसद गुप्ता ने पूछा कि क्या सरकार 200 मेगावाट क्षमता वाले छोटे मॉड्यूलर परमाणु रिएक्टरों के विकास और निर्माण की दिशा में ठोस कदम उठा रही है। सरकार ने दी विस्तृत जानकारी प्रधानमंत्री कार्यालय में राज्य मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह द्वारा दिए गए लिखित जवाब में सरकार ने बताया कि देश में 200 मेगावाट के SMR का विकास प्रगति पर सरकार ने वर्ष 2025–26 के केंद्रीय बजट में 200 मेगावाट भारत लघु मॉड्यूलर रिएक्टर (बीएसएमआर-200) के डिज़ाइन, विकास और परीक्षण के लिए 22000 करोड़ रुपये आवंटित किए हैं। इसका लक्ष्य वर्ष 2033 तक स्वदेशी तकनीक से विकसित SMR का निर्माण शुरू करना है। बीएआरसी कर रहा उन्नत तकनीक पर काम ये रिएक्टर दाबित पानी रिएक्टर (PWR) तकनीक पर आधारित होंगे ईंधन के रूप में समुद्र से प्राप्त यूरेनियम (U-235) का उपयोग करने की दिशा में शोध सुरक्षा, संचालन प्रणाली और आपदा प्रबंधन की उन्नत व्यवस्थाएँ विकसित की जा रही हैं तीन प्रमुख प्रस्तावित रिएक्टर परियोजनाएँ 200 मेगावाट बीएसएमआर-200 को महाराष्ट्र के तारापुर में स्थापित करने का प्रस्ताव । 55 मेगावाट लघु मॉड्यूलर रिएक्टर (SMR-55) के लिए भी तारापुर को प्रस्तावित स्थल । 5 MWth उच्च तापमान गैस-शीतित रिएक्टर, विशाखापत्तनम (आंध्र प्रदेश) में प्रस्तावित विशेष स्थानों के लिए SMR की उपयोगिता सरकार ने बताया कि छोटे मॉड्यूलर रिएक्टर विशेष रूप से उन स्थानों के लिए उपयोगी हैं जहाँ विश्वसनीय एवं सतत विद्युत आपूर्ति की आवश्यकता होती है बड़े परमाणु संयंत्र स्थापित करना संभव नहीं होता ऊर्जा-गहन उद्योगों के लिए स्थानीय विद्युत आपूर्ति आवश्यक होती है दूरदराज क्षेत्रों में ऑफ-ग्रिड उपयोग निजी क्षेत्र की भागीदारी भी बढ़ेगी सरकार ने 220 मेगावाट बीएसएमआर की स्थापना में निजी कंपनियों को शामिल करने की घोषणा की है। टाटा, एलऐंडटी, BHEL जैसी कंपनियों को इस परियोजना में भागीदारी के लिए प्रस्ताव भेजे गए हैं। 2047 तक 100 गीगावाट परमाणु क्षमता का लक्ष्य जवाब में बताया गया कि भारत सरकार ने वर्ष 2047 तक परमाणु ऊर्जा की स्थापित क्षमता को 100 गीगावाट तक बढ़ाने का लक्ष्य रखा है, ताकि 2070 तक “नेट-जीरो” लक्ष्य हासिल किया जा सके पर्यावरण मंजूरी और जागरूकता को सर्वोच्च प्राथमिकता सरकार ने स्पष्ट किया कि सभी परियोजनाएँ पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय की मंजूरी के बाद ही शुरू की जाएँगी सांसद गुप्ता ने कहा कि “छोटे मॉड्यूलर रिएक्टर भारत की ऊर्जा सुरक्षा और भविष्य के लिए अत्यंत आवश्यक हैं। इससे देश को स्वच्छ ऊर्जा, औद्योगिक विकास और आत्मनिर्भरता की दिशा में नई गति मिलेगी। उन्होंने सरकार से आग्रह किया कि परियोजनाओं को शीघ्र गति से पूरा किया जाए और मध्यप्रदेश में भी ऐसे रिएक्टरों की संभावनाओं पर विचार किया जाए।