चित्तौड़गढ़ -
जिला कलेक्टर आलोक रंजन ने शनिवार को श्रीसांवरिया जी जिला हॉस्पिटल का निरीक्षण किया। निरीक्षण के दौरान उन्होंने हॉस्पिटल की अलग-अलग वार्डों का जायजा लिया और मरीजों से बातचीत कर सुविधाओं की जानकारी ली। कलेक्टर ने व्यवस्थाओं को माकूल बताया, लेकिन कई जगहों पर खामियां भी उजागर की और संबंधित अधिकारियों को जरूरी निर्देश दिए।
निरीक्षण की जानकारी पहले से होने के कारण हॉस्पिटल प्रशासन ने कई व्यवस्थाओं को ठीक कर रखा था, जिससे कुछ क्षेत्रों में व्यवस्था संतोषजनक नजर आई। कलेक्टर ने अस्पताल के डॉक्टरों के चैंबर, एक्सरे रूम, फीमेल सर्जिकल वार्ड, नेत्र आईसीयू, रामाश्रय, मेल और फीमेल जनरल वार्ड, शिशु वार्ड और आईसीयू का दौरा किया।
उन्होंने भर्ती मरीजों और उनके परिजनों से बातचीत की, उनके हालचाल पूछे और इलाज की स्थिति जानी। सफाईकर्मियों से भी चर्चा की गई और उन्हें सैलरी संबंधित जानकारी भी ली। हॉस्पिटल परिसर की साफ-सफाई और गर्मी को देखते हुए कूलर की व्यवस्थाओं को भी जांचा गया।
खामियों पर जताई चिंता, दिए सुधार के निर्देश
जिला कलेक्टर ने बताया कि गर्मियों को ध्यान में रखते हुए एक 6-बेड का विशेष वार्ड बनाया गया है, हालांकि अभी वहां कोई मरीज नहीं है, जो संतोषजनक स्थिति है। लेकिन उन्होंने कहा कि अन्य वार्डों और मरीजों के बैठने की जगहों पर बड़े कूलर लगाए जाने की जरूरत है।
आईसीयू वार्ड के वॉशरूम की स्थिति पर असंतोष जताते हुए उन्होंने उसमें तत्काल सुधार के निर्देश दिए। दबाव की उपलब्धता को लेकर भी निरीक्षण किया गया और हॉस्पिटल प्रशासन को निर्देश दिए गए कि किसी भी स्थिति में दवाइयों की कमी नहीं होनी चाहिए।
महिला एवं शिशु संबंधी वार्ड में पूर्व में सामने आए कुछ मामलों को लेकर कलेक्टर ने डॉक्टरों से बातचीत की और सुधार के निर्देश दिए। ब्लड बैंक में बी-नेगेटिव ब्लड की उपलब्धता नहीं होने की समस्या पर भी चर्चा हुई और इस व्यवस्था को मजबूत करने की बात कही गई।
108 एंबुलेंस सेवा पर उठे सवाल, पेशेंट की शिकायत पर तुरंत कार्रवाई
निरीक्षण के दौरान महिला एवं बाल अस्पताल में एक मरीज के परिजन ने अपनी समस्या सीधे जिला कलेक्टर के सामने रखी। पारलिया गांव के घनश्याम गाडरी ने बताया कि वह अपनी परिजन कैलाशी बाई (34) को हॉस्पिटल लेकर आए थे। महिला को ज्यादा ब्लीडिंग हो रही थी और हीमोग्लोबिन स्तर मात्र 3 ग्राम था। डॉक्टरों ने तत्काल बी-नेगेटिव ब्लड की जरूरत बताई, लेकिन ब्लड बैंक में ब्लड उपलब्ध नहीं था। मजबूरी में मरीज को उदयपुर रेफर किया गया।
एंबुलेंस के लिए परेशान होते हुए पेशेंट के परिजन।
परिजनों ने 108 एंबुलेंस सेवा को कॉल कर बुकिंग की, लेकिन डेढ़ घंटे बाद भी एंबुलेंस नहीं पहुंची। परेशान होकर परिजनों ने 3500 रुपए में निजी एंबुलेंस मंगवाई, जो आधे घंटे तक हॉस्पिटल के बाहर खड़ी रही, लेकिन मरीज को डिस्चार्ज नहीं दिया गया।
जैसे ही परिजनों को कलेक्टर आलोक रंजन के हॉस्पिटल में होने की जानकारी मिली, वे सीधे उनके पास पहुंचे और सारी व्यथा बताई। कलेक्टर ने तुरंत 108 एंबुलेंस कंट्रोल रूम को फोन कर एंबुलेंस भिजवाने और मरीज को जल्द डिस्चार्ज करने के निर्देश दिए। इसके बावजूद भी 108 एंबुलेंस मौके पर नहीं पहुंची, जिसके बाद परिजन मरीज को निजी एंबुलेंस से उदयपुर ले गए।
वार्डों में निरीक्षण करते हुए जिला कलेक्टर।
इस घटना से अस्पताल की इमरजेंसी सेवाओं, विशेषकर 108 एंबुलेंस की विश्वसनीयता पर सवाल उठे हैं। कलेक्टर ने इस पूरे मामले की रिपोर्ट मंगवाने और 108 सेवा की कार्यप्रणाली की समीक्षा के निर्देश दिए हैं।
सुधार की उम्मीद
जिला कलेक्टर के निरीक्षण के बाद उम्मीद की जा रही है कि जिला अस्पताल की व्यवस्थाओं में सुधार आएगा और मरीजों को बेहतर सुविधाएं उपलब्ध कराई जाएंगी। साथ ही इमरजेंसी सेवाओं की समय पर उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए ठोस कदम उठाए जाएंगे।
