उज्जैन -
उज्जैन के विक्रम विश्वविद्यालय के गोपनीय विभाग में छात्रों का आंसर शीट पर कोडिंग करते हुए वीडियो सामने आने के बाद हड़कंप मच गया। वीडियो एनएसयूआई छात्र नेता ने बनाया है। इस दौरान उन्होंने मौके पर पहुंचे कुलपति अर्पण भारद्वाज को भी उन्होंने घेर लिया। दोनों के बीच जमकर कहासुनी भी हुई।
छात्र नेता ने कुलसचिव के कक्ष में पहुंचकर घटना के बारे में जानकारी दी तो तो कुलसचिव ने किसी प्रकार की जानकारी होने के इनकार कर दिया।वायरल वीडियो में कुलपति कहते हुए दिखाई दे रह है कि "हमने छात्रों को विजिट के तौर पर गोपनीय शाखा में बुलाया था"
उज्जैन के विक्रम विश्वविद्यालय में बड़ी अनियमितता का आरोप लगाते हुए NSUI नेता बबलू खींची ने यह एक वीडियो बनाया है। जिसमे विश्वविद्यालय की गोपनीय शाखा में दो छात्र उत्तर पुस्तिका की छटनी करवा कर बनवाए गए बंडलों पर कोडिंग कर रहे है। इस दौरान कुलपति अर्पण भारद्वाज भी वहां पहुंच गए। उन्होंने खींची को समझाना चाहा कि दोनों छात्र को परमिशन देकर काम करने के लिए बुलाया है। छात्र नेता बबलू खींची ने आरोप लगाए की जिस गोपनीय विभाग में हर किसी का जाना इतना आसान नहीं तो कैसे छात्र वहां पहुंचकर काम कर रहे थे साथ ही गोपनीय विभाग में छात्रों से काम क्यों लिया जा रहा था।
कुलपति बोले- बच्चो को मैंने बुलाया
छात्र नेता ने जब गोपनीय विभाग में छात्रों को काम करते पकड़ा तो बबलू खिंची और कुलपति के बीच तीखी नोकझोंक हुई। कुलपति से जब विद्यार्थियों द्वारा लिए गए काम के बारे में पूछा तो उन्होंने कर्मचारी की संख्या कम होने का हवाला देते हुए कहा कि बच्चे कॉपियां का बंडल बनाकर थैले में रख रहे हैं। उन्होंने कहा कि मैने खुद बच्चों को बुलाया है। यह उस विषय के बच्चे नहीं है जिस विषय की कॉपियां जमा रहे हैं।
मीडिया से बोले विजिट के तौर पर बुलाया
वीडियो सामने आने के बाद मीडिया से बातचीत करते हुए कुलपति अर्पण भारद्वाज ने कहा कि, हमने छात्रों को विजिट के तौर पर गोपनीय शाखा में बुलाया था। किस प्रकार से कार्य होता है यह उन्हें दिखाया जा रहा था। किसी प्रकार की कोई धांधली नहीं हुई है।
क्या होती है कोडिंग
विश्वविद्यालय की जानकारी रखने वाले एक अधिकारी ने बताया कि परीक्षा सम्पन्न होने के बाद सभी कॉपिया विश्वविद्यालय के गोपनीय विभाग में पहुंचाई जाती है। इसके बाद पृथक कापियों के बंडल कर बनाकर एक अन्य सेंटर पर भेजने के लिए तैयार किया जाता है। इस दौरान बंडल पर कोडिंग की जाती है। ( जिस सेंटर पर कापियां जांचने के लिए भेजते है उसका कोड डाला जाता है ये कोड सिर्फ गोपनीय विभाग को पता होता है ) ऐसे में छात्र नेता ने सवाल उठाएं हैं की जब दो छात्र ही इस तरह से बंडल बनाकर कोडिंग कर रहे हो तो परीक्षा परिणाम पर सवाल खड़े होंगे।