नीमच - प्रभु भक्ति और तप आराधना मोक्ष मार्ग का सहज सरल तरीका है किसी भी तप को करने से मन मस्तिष्क व शरीर में सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह होता है। साथ ही से आत्मिय शांति मिलती है तब साधना का एक ऐसा अवसर शाश्वत नव ओली जी की शुभ आराधना है, जिसे करने वाले साधकों को आत्म विकारों एवं सांसारिक कष्टों से मुक्ति मिलती है। जैन शास्त्रों में भी इस तपस्या का विशेष महत्व उल्लेखित है और इसी के चलते वर्तमान में नीमच के जैन भवन में भी ओली जी की तपस्या करके श्रावक श्राविकाएं अपने कर्मों की निर्जरा कर रहे हैं। उक्त आशीर्वचन साध्वी अमिदर्शा श्री जी महाराज साहब ने रविवार को नव पद व ओली जी के तप आराधकों को प्रदान किया ।धर्म सभा के मध्य साध्वी द्वारा ओली जी की तपस्या का संबंध में समाज जनों को विस्तार से जानकारी दी गई उल्लेखनीय है कि इस वर्ष पूज्य साध्वी अमिदर्शा श्री जी महाराज साहब आदि ठाणा पांच की पावन निश्रा में 9 दिवसीय शाश्वत ओली जी की आराधना श्रावक श्राविकाओं द्वारा की गई।
श्री जैन श्वेतांबर भीडभंजन पार्श्वनाथ मंदिर ट्रस्ट श्री संघ नीमच के अध्यक्ष अनिल नागौरी सचिव मनीष कोठारी ने बताया कि नवपद ओली जी तपस्या में दिव्य आशिष घासीलाल समरथमल छाजेड़ किरण मेहता, प्रेरणा सुशीला देवी छाजेड़, मधुबेन किरणराज मेहता, परिवार व नवपद ओली एवं वर्षी तप तपस्वी के बियासना के लाभार्थी विनोद कुमार, वीरेंद्र कुमार, विजय कुमार ,विमल कुमार, विकास कुमार, मिलन कुमार, जेनम कुमार, कुणाल, हिरल, चेतन, सोलंकी खुशबू दिशांक जैन,मिशिका आयांश छाजेड़ एवं मेहता परिवार नीमच व सुरत लाभार्थी थे।
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9 दिनों तक 108 का आराधकों ने किया नवपद ओली तप,
जिन शासन की मान्यता परंपरा अनुसार नवपद ओली जी की 108श्रावक श्राविकाओं में द्वारा तपस्या के मध्य अराधकों द्वारा 9 दिनों तक एक ही समय बिना घी तेल उपयोग किया सुखा भोजन को ग्रहण किया जाता है नीमच में आयोजित ओली जी प्रार्थना के मध्य पूज्य साध्वी मंडल की निश्रा में प्रतिदिन करीब 50 से अधिक तपस्वियों द्वारा नियमित तप के साथ धार्मिक आयम्बिल तपस्या भी पूर्ण की गई।