रतलाम - रतलाम में बिना डिग्री के इलाज करने वाले फर्जी डॉक्टर को कोर्ट ने 2 साल के कठोर कारावास की सजा सुनाई है। 4 हजार रुपए का अर्थदंड भी लगाया गया। फैसला प्रथम श्रेणी न्यायिक मजिस्ट्रेट अरुण सिंह ठाकुर ने दिया है।
सहायक निदेशक लोक अभियोजन अधिकारी आशा शाक्यवार ने बताया कि 17 जनवरी 14 को दोपहर 12.30 बजे जिले के सातरूंडा चौराहे पर बिना बोर्ड के एक क्लिनिक चलते हुए मिला था। तत्कालीन सीएमएचओ डॉ. पुष्पेंद्र शर्मा व जिला स्वास्थ्य अधिकारी जीआर गौड़ की टीम जांच के लिए यहां पहुंची थी। क्लिनिक धीरजसिंह (45) पिता नरेंद्रसिंह सोनगरा निवासी सातरूंडा द्वारा संचालित करते हुए मिला। यहां पर दो मरीजों को स्लाइन चढ़ाई जा रही थी।
नहीं बता पाया डिग्री
टीम ने क्लिनिक संचालक धीरजसिंह से डिग्री के बारे में जानकारी ली। संचालक बीए सेकेंड ईयर की मार्कशीट ही बता पाया। उसके पास चिकित्सा व इलाज संबंधी कामकाज को लेकर कोई भी आवश्यक प्रमाण-पत्र नहीं मिले।
भर्ती मरीजों के परिजन के बयान लिए। मौके से एलोपैथिक दवाइयां जब्त की गई। धीरज सिंह के खिलाफ मध्यप्रदेश आयुर्विज्ञान परिषद अधिनियम, 1987 के प्रावधानों का उल्लंघन का केस बनाया। क्लिनिक भी सील किया।
जिला स्वास्थ्य अधिकारी की रिपोर्ट पर बिलपांक थाने ने केस दर्ज किया। कोर्ट ने धीरजसिंह को दोषी पाते हुए सजा सुनाई है। शासन की ओर से पैरवी सहायक जिला लोक अभियोजन अधिकारी विजेंद्रसिंह गेहलोत ने की है।
कोर्ट की सख्त टिप्पणी: "निर्दोष जनता के जीवन से खिलवाड़ अस्वीकार्य"
न्यायालय ने अपने फैसले में कड़ी टिप्पणी करते हुए कहा कि निर्दोष और भोली-भाली जनता के जीवन के साथ खिलवाड़ किया गया है। न्यायाधीश ने चिंता व्यक्त की कि समाज में इस प्रकार की घटनाएं बढ़ती जा रही हैं, जिससे आम नागरिकों का जीवन जोखिम में पड़ रहा है।
कोर्ट ने अपने आदेश में कहा, "कई बार इन घटनाओं में निर्दोष लोगों की जान तक चली जाती है। इस तरह के कृत्यों से समाज पर गंभीर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है।" न्यायालय ने स्पष्ट किया कि ऐसे मामलों में कठोर कारावास का दंड आवश्यक है।