नीमच | भारत अनादि काल से ऋषियों मुनियों की पवित्र भूमि रहा है ।जहां आत्मा की शुद्धि को ही सर्वोच्च धर्म माना गया है। उत्तम आर्जव धर्म सरलता देने वाला, अंदर की कुटिलता को समाप्त करने वाला है। आचार्यो ने माया का वर्णन करते हुए कहा कि जो मन की वचन की काया की दुष्पर्वती है वह माया कहलाती है। मायाचारी मन से कुछ और सोचता है मुख से कुछ और कहता है शरीर से कुछ और करता है ऐसी स्थिति जहां भी निर्मित होती है ।आचार्य ने उसे माया का नाम दिया है ।कई मत ऐसे है जो कहते हैं की समस्त सांसारिक चीज माया है। लेकिन जैन दर्शन के अनुसार माया हमारे अंदर बैठी है क्योंकि वह हमारे भाव से निर्मित होती है संसार का कितना ही बुरा पदार्थ हो जब तक हमारे अंदर उसके प्रति आसक्ति के भाव नहीं होंगे तब तक वह पदार्थ हमें प्रभावित नहीं कर सकता है माया की जड़ हमारे हृदय में बैठी है। हमारे विचार में हमारे भाव में है इस जड़ को काटने के लिए आचार्य ने आर्जव धर्म को हमारे सामने प्रस्तुत किया है। यह बात पंडित भावुक शास्त्री ने कही।वे दिगंबर जैन समाज नीमच के तत्वाधान में दिगंबर जैन मंदिर में पर्यूषण पर्व के उपलक्ष्य में आयोजित धर्म सभा में बोल रहे थे। उन्होंने कहा कि इस धर्म के माध्यम से हम माया की जड़ को काट सकते हैं माया वह जड है जो हमारे अंदर इतनी मजबूती से कुठिलता से छल कपट भरती है दूसरों को अहित करने को हमें यह माया तैयार कर देती है। सरलता को जीवन में आत्मसात किए बिना आर्जव धर्म का पालन नहीं होता है। जिस प्रकार सर्प हमेशा आडा टेढ़ा चलता है लेकिन जब उसको अपने बिल में प्रवेश करना होता है तो वह सीधा प्रवेश करता है तो हमें भी अगर अपने जीवन में प्रवेश करना है तो सीधा सरल होना पड़ेगा तब ही जीवन प्रारंभ होगा हम दूसरों को कष्ट कपट माया चारी करते हैं तो अपना व्यवहार टेड़ा रखते हैं। इसे भी छल आदि नहीं करना चाहिए। किसी दूसरों से छल कपट करेंगे तो हमारा व्यवहार टूट जाएगा और संबंध भी चला जाएगा लेकिन हम इस संसार में सीधे बन कर जीना नहीं नहीं चाहते हैं। हम तो इस अपने अंदर बहुत से मुखोटे लिए बैठे हैं जब जैसा व्यक्ति आया उसके सामने वैसा मुखौटा धारण कर लिया तो इन मुखौटों को हटाना होगा तभी हमारे अंदर किए उत्तम आर्जव धर्म का संचार होगा। छल कपट का मायाचारी का त्याग नहीं होगा तो राज धर्म का पालन नहीं होगा सरलता में बहुत कष्ट होता है पीड़ा बहुत होती है लोग इस बात का लाभ उठाते हैं और सरल व्यक्ति को ही कष्ट देते हैं लेकिन सरलता में ही मोक्ष का मार्ग और आर्जव धर्म है।इस अवसर पर पं. भावुक भय्या जी के सानिध्य में सुबह 7बजे से 8:15 बजे शांति धारा अभिषेक, 8:15 से 9:15 प्रवचन, 9:15 बजे सामूहिक पूजन, दोपहर तीन से चार तत्व चर्चा ,5 बजे 6:30 बजे सामायिक के पश्चात आरती तथा आरती के बाद प्रवचन रात्रि 9 बजे नैतिक शिक्षाप्रद आधारित सहित विभिन्न धार्मिक सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं। दिगंबर जैन समाज नीमच के अध्यक्ष विजय विनायका जैन ब्रोकर्स मीडिया प्रभारी अमन विनायका ने बताया कि पर्यूषण पर्व का तीसरे दिन उत्तम आर्जव नवकार मंत्र जाप से शुभारंभ हुआ। मंदिर में शांति धारा अभिषेक वैदिक मंत्र उच्चारण से किया। संगीतकार रामकिशन एंड पार्टी छिंदवाड़ा ने अपनी विविध प्रस्तुतियां दी। जिसमें मेरे घर के आगे महावीर तेरा मंदिर बन जाए...गुंज उठी शहनाइयां नवकार मंत्र..., महावीर थारो रंग लाग्यो.. भक्ति की है बात आज थाने आनो है.. आया दस लक्षण पर्युषण पर्व क्षमा वीरस्य भुषणम कहने का पर्व जैनों का त्योहार आया.., उत्तम मार्दव ...,आदि भजनों पर श्रद्धालु भक्त नृत्य कर प्रभु की भक्ति में झुमने लगे। और इसके साथ ही कार्यक्रम की श्रृंखला में 30 अगस्त प्रर्युषण पर्व का तीसरे दिन शांतिधारा के लाभार्थी परिवार ,जीटी परिवार ,संगीता नागोरी ,जैन ब्रदर्स परिवार महेंद्र का दिया विमल कासलीवाल गोयल जनरल स्टोर अनीता सालगिया, नीरज अजमेर परिवार ने धर्म लाभ लिया। 1008 पार्श्वनाथ भगवान के मस्तक पर प्रथम अभिषेक एवं चतुर्थ कलश का सौभाग्य का धर्म लाभ नंद कुमार सराफ परिवार ने प्राप्त किया। श्री संघ पदाधिकारी एवं समाज जनों द्वारा धर्म लाभार्थी परिवारजनों की अनुमोदना एवं सम्मान किया । इसके साथ ही शनिवार 30 अगस्त को जैन सोशल ग्रुप के तत्वाधान में प्रश्न मंच प्रतियोगिता का आयोजन किया गया जिसमें महिलाओं पुरुषों व बच्चों सहित बड़ी संख्या में समाज जनों ने उत्साह से सहभागिता निभाई। इसके साथ ही 6 सितंबर शनिवार को दोपहर 2:30 बजे एवं भावुक भैया जी का सम्मान समारोह आयोजित किया जाएगा। इसके साथ सोमवार 8 सितंबर को सुबह 8:30 बजे रथ यात्रा नगर के प्रमुख मार्गो से निकाली जाएगी। यात्रा के पश्चात सामूहिक क्षमापना पर्व एवं पुरस्कार वितरण कार्यक्रम आयोजित किया जाएगा।माया वह जड है जो हमारे अंदर इतनी मजबूती से कुठिलता से छल कपट भरती है दूसरों को अहित करने को हमें यह माया तैयार कर देती है। सरलता को जीवन में आत्मसात किए बिना आर्जव धर्म का पालन नहीं होता है। जिस प्रकार सर्प हमेशा आडा टेढ़ा चलता है लेकिन जब उसको अपने बिल में प्रवेश करना होता है तो वह सीधा प्रवेश करता है तो हमें भी अगर अपने जीवन में प्रवेश करना है तो सीधा सरल होना पड़ेगा तब ही जीवन प्रारंभ होगा हम दूसरों को कष्ट कपट माया चारी करते हैं तो अपना व्यवहार टेड़ा रखते हैं। इसे भी छल आदि नहीं करना चाहिए। किसी दूसरों से छल कपट करेंगे तो हमारा व्यवहार टूट जाएगा और संबंध भी चला जाएगा लेकिन हम इस संसार में सीधे बन कर जीना नहीं नहीं चाहते हैं। हम तो इस अपने अंदर बहुत से मुखोटे लिए बैठे हैं जब जैसा व्यक्ति आया उसके सामने वैसा मुखौटा धारण कर लिया तो इन मुखौटों को हटाना होगा तभी हमारे अंदर किए उत्तम आर्जव धर्म का संचार होगा। छल कपट का मायाचारी का त्याग नहीं होगा तो राज धर्म का पालन नहीं होगा सरलता में बहुत कष्ट होता है पीड़ा बहुत होती है लोग इस बात का लाभ उठाते हैं और सरल व्यक्ति को ही कष्ट देते हैं लेकिन सरलता में ही मोक्ष का मार्ग और आर्जव धर्म है। इस अवसर पर पं. भावुक भय्या जी के सानिध्य में सुबह 7बजे से 8:15 बजे शांति धारा अभिषेक, 8:15 से 9:15 प्रवचन, 9:15 बजे सामूहिक पूजन, दोपहर तीन से चार तत्व चर्चा ,5 बजे 6:30 बजे सामायिक के पश्चात आरती तथा आरती के बाद प्रवचन रात्रि 9 बजे नैतिक शिक्षाप्रद आधारित सहित विभिन्न धार्मिक सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं। दिगंबर जैन समाज नीमच के अध्यक्ष विजय विनायका जैन ब्रोकर्स मीडिया प्रभारी अमन विनायका ने बताया कि पर्यूषण पर्व का तीसरे दिन उत्तम आर्जव नवकार मंत्र जाप से शुभारंभ हुआ।मंदिर में शांति धारा अभिषेक वैदिक मंत्र उच्चारण से किया। संगीतकार रामकिशन एंड पार्टी छिंदवाड़ा ने अपनी विविध प्रस्तुतियां दी। जिसमें मेरे घर के आगे महावीर तेरा मंदिर बन जाए...गुंज उठी शहनाइयां नवकार मंत्र..., महावीर थारो रंग लाग्यो.. भक्ति की है बात आज थाने आनो है.. आया दस लक्षण पर्युषण पर्व क्षमा वीरस्य भुषणम कहने का पर्व जैनों का त्योहार आया.., उत्तम मार्दव ...,आदि भजनों पर श्रद्धालु भक्त नृत्य कर प्रभु की भक्ति में झुमने लगे। और इसके साथ ही कार्यक्रम की श्रृंखला में 30 अगस्त प्रर्युषण पर्व का तीसरे दिन शांतिधारा के लाभार्थी परिवार ,जीटी परिवार ,संगीता नागोरी ,जैन ब्रदर्स परिवार महेंद्र का दिया विमल कासलीवाल गोयल जनरल स्टोर अनीता सालगिया, नीरज अजमेर परिवार ने धर्म लाभ लिया। 1008 पार्श्वनाथ भगवान के मस्तक पर प्रथम अभिषेक एवं चतुर्थ कलश का सौभाग्य का धर्म लाभ नंद कुमार सराफ परिवार ने प्राप्त किया। श्री संघ पदाधिकारी एवं समाज जनों द्वारा धर्म लाभार्थी परिवारजनों की अनुमोदना एवं सम्मान किया । इसके साथ ही शनिवार 30 अगस्त को जैन सोशल ग्रुप के तत्वाधान में प्रश्न मंच प्रतियोगिता का आयोजन किया गया जिसमें महिलाओं पुरुषों व बच्चों सहित बड़ी संख्या में समाज जनों ने उत्साह से सहभागिता निभाई। इसके साथ ही 6 सितंबर शनिवार को दोपहर 2:30 बजे एवं भावुक भैया जी का सम्मान समारोह आयोजित किया जाएगा। इसके साथ सोमवार 8 सितंबर को सुबह 8:30 बजे रथ यात्रा नगर के प्रमुख मार्गो से निकाली जाएगी। यात्रा के पश्चात सामूहिक क्षमापना पर्व एवं पुरस्कार वितरण कार्यक्रम आयोजित किया जाएगा।