KHABAR: इतने उद्योग न लगें कि किसानों का शोषण हो, मंत्री उदय प्रताप बोले- ज्यादा कम्पटीशन से व्यक्ति अनैतिक रास्ते भी इस्तेमाल करता है, पढ़े खबर

MP 44 NEWS May 9, 2025, 1:38 pm Technology

भोपाल - राजधानी में सोमवार को 'मध्यप्रदेश में गन्ना फसल एवं शुगर कारखानों के सतत विकास' विषय पर कार्यशाला आयोजित की गई। इस दौरान परिवहन एवं स्कूल शिक्षा मंत्री राव उदय प्रताप सिंह ने स्पष्ट कहा कि “मैं इस बात से सहमत नहीं हूं कि ज्यादा उद्योग होने से किसानों को लाभ मिलेगा, बल्कि जरूरी यह है कि उद्योग अच्छा हो और किसानों के प्रति उनका भाव सकारात्मक हो।” कार्यशाला में सहकारिता मंत्री विश्वास सारंग, एमएसएमई मंत्री चैतन्य कश्यप, कृषि विभाग के प्रमुख सचिव एम. सेल्वेन्द्रन, शुगर मिल एसोसिएशन के पदाधिकारी, गन्ना उत्पादक किसान और शुगर मिलर्स शामिल हुए। गली-गली फैक्ट्री लगाना समाधान नहीं मंत्री राव ने कहा कि पश्चिमी उत्तर प्रदेश का उदाहरण हमारे सामने है, जहां एक समय गली-गली मिलें खुल गईं और किसानों का हजारों करोड़ रुपए बकाया हो गया। “मैं स्वयं उस समय सांसद था, प्रधानमंत्री बनने से पहले मोदी जी के नेतृत्व में केंद्र सरकार किसानों के साथ खड़ी रही, लेकिन उद्योगों का बेतरतीब फैलाव समस्या बन गया था।” उद्योग लाइसेंस देने के मापदंड व्यावहारिक हों उद्योग स्थापना के नियमों पर सवाल उठाते हुए राव ने कहा, “अगर कोई इंडस्ट्री सिर्फ 200 फीट मापदंड से चूक जाती है और उसे लाइसेंस दे दिया जाए, तो ये गलत है। नियमों में लचीलापन जरूरी है लेकिन औचित्य के साथ।” “अच्छे अधिकारी फील्ड में हों तो फसल चक्र सुधरता है” राव ने नरसिंहपुर जिले का उदाहरण देते हुए कहा कि वहां गन्ना पारंपरिक रूप से उगाया जाता है, लेकिन अधिकारियों ने मेहनत से दलहन उत्पादन को बढ़ावा दिया और अब वहाँ फसल चक्र बदल रहा है। “फील्ड में अच्छे अधिकारी हों तो नतीजे भी अच्छे आते हैं।” अब गन्ना उगाने से डर लगता है उन्होंने कहा कि संजय शर्मा की फैक्ट्री तो हमारे खेतों के बीच आ गई है, लेकिन अब हिम्मत नहीं पड़ती। जैसे दूध का जला, छाछ भी फूंक-फूंक कर पीता है, वैसे ही आज किसान सोच-समझकर गन्ना बोता है। प्रधानमंत्रीजी को धन्यवाद है कि इस बार 355 रु. प्रति क्विंटल रेट घोषित हुआ है, और नरसिंहपुर में हम किसान सरकार से 30-40 रुपए ज्यादा देकर 400 रु. तक देने की स्थिति में हैं। मूंग में ज्यादा उर्वरक, स्वास्थ्य को खतरा राव ने कहा कि “मूंग की दाल पहले डॉक्टर बीमारी में खाने को कहते थे, अब मना करते हैं। क्योंकि उसमें बहुत ज्यादा फर्टिलाइजर डाला जा रहा है। हमें मूंग का उत्पादन घटाना चाहिए और जैविक गन्ना उत्पादन पर जोर देना चाहिए।” फर्टिलाइजर से कैंसर के मामले बढ़े उन्होंने बताया कि “2007-08 में मेरे पास जो कैंसर के इलाज के लिए आवेदन आते थे, उसमें 20% की वृद्धि हुई है और इसका कारण अत्यधिक रासायनिक खाद है। पहले गेहूं की फसल में एक बैग यूरिया लगता था, अब तीन लग रहे हैं।” उत्पादन बढ़ाया, उपभोग के काबिल नहीं बचे मंत्री ने चेतावनी दी कि “हमने उत्पादन तो बढ़ा लिया लेकिन उसमें जहर इतना मिला दिया कि अब खुद खाने लायक नहीं रहे। अगर हम ही न रहें तो ऐसी कमाई का क्या मतलब? मैंने एक किलो खाद नहीं डाली उन्होंने अपने अनुभव साझा करते हुए कहा कि “मैंने कभी एक किलो यूरिया या डीएपी नहीं डाली। हमारी खेती 100% जैविक है। हम फसल चक्र अपनाते हैं- मसूर, चना, मटर और गेहूं बारी-बारी से लगाते हैं। उन्होंने संसद में रहते हुए नरसिंहपुर को जैविक जिला घोषित करने की सिफारिश भी की थी। गन्ने में मप्र पिछड़ा, जागरूकता की कमी वजह राव ने स्वीकार किया कि गन्ना उत्पादन के क्षेत्र में मप्र अपेक्षाकृत पीछे है। “दलहन और गेहूं में राज्य ने बेहतर प्रदर्शन किया है, लेकिन गन्ना किसानों के लिए जागरूकता कार्यक्रमों की कमी रही है। इस दिशा में राज्य और केंद्र, दोनों को मिलकर काम करना होगा।”

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