BIG_NEWS : पत्नी की हत्या कर कुएं में दफनाया, पुलिस से कहा- यूपी की बेतवा नदी में फेंका, मोबाइल ने बताया लाश का ठिकाना, पढ़े खबर

MP44NEWS August 3, 2024, 11:44 am Technology

18 साल पहले शादी हुई। दो बच्चे हैं। कुछ साल तक सब ठीक चला, इसके बाद पत्नी धोखा देने लगी। बच्चों की परवरिश के बहाने शहर में रहती। किसी दूसरे से मिलती-जुलती। वो किसी और को चाहने लगी थी। छुप-छुपकर बातें करती। उसे कई बार मोबाइल पर बात करते पकड़ा। वो लगातार मुझे इग्नोर कर रही थी, जबकि किसी और से हंस-हंसकर बातें करती थी। ग्वालियर के जौरासी गांव के रहने वाले सोनू उर्फ जनवेद सिंह किरार ने एक दिन पत्नी प्रगति को किसी से फोन पर बात करते हुए पकड़ लिया। दोनों में बहस हुई और सोनू को इतना गुस्सा आया कि पत्नी की हत्या कर दी। जुर्म छिपाने के लिए ऐसी साजिश रची कि खुलासा होने पर पुलिस भी हैरान रह गई। उसका पूरा प्लान दृश्यम मूवी की तरह था। पत्नी के मायके वालों के साथ पुलिस के पास पहुंचा सोनू सिंह ने पूछताछ में बताया, 10 जुलाई को ससुराल वालों को फोन किया और कहा कि पत्नी प्रगति कहीं चली गई है। प्रगति के मायके वाले बेटी के ससुराल आ गए। सोनू को लेकर सभी 11 जुलाई की सुबह बिलौआ थाना पहुंचे और गुमशुदगी दर्ज कराई। सोनू ने बिलौआ पुलिस को बताया कि 8 जुलाई को जब वो घर लौटा तो उसकी पत्नी घर में नहीं मिली। दोनों बच्चे नाना के घर मुरैना में थे। आसपास पता किया, लेकिन वो कहीं भी नहीं थी। शुरुआती पूछताछ के बाद पुलिस ने मामले की जांच का आश्वासन देकर सभी को लौटा दिया। पुलिस ने तत्काल गुमशुदगी दर्ज कर प्रगति की तलाश शुरू की। 12 जुलाई को प्रगति के घरवाले दोबारा थाने पहुंचे और सोनू पर शक जताया। उनका कहना था कि सोनू से परेशान होकर ही बेटी कहीं चली गई है। यह भी हो सकता है कि प्रगति के साथ सोनू ने कुछ गलत किया हो। पुलिस ने सामान्य पारिवारिक विवाद मानते हुए उन्हें लौटा दिया। पुलिस ने पारिवारिक विवाद बताकर गोपनीय जांच शुरू की पुलिस ने अपनी जांच में पति पर लगे आरोपों को भी शामिल किया। गोपनीय तरीके से पुलिस जांच करती रही, ताकि आरोपी अगर परिवार से जुड़ा है तो वो भाग न जाए। पुलिस ने सोनू की कॉल डिटेल निकाली। साथ ही प्रगति की तलाश के लिए जिले के सभी थानों को सूचना भेज दी गई। हालांकि कॉल डिटेल से पुलिस को कुछ खास नहीं मिला। सबकुछ सामान्य था। जब सोनू के मोबाइल लोकेशन की जानकारी जुटाई तो पहली बार पुलिस को सुराग मिला। दरअसल, 8 जुलाई से 11 जुलाई तक सोनू की लोकेशन घर के आसपास ही थी। इसी आधार पर पुलिस ने 20 जुलाई को सोनू को हिरासत में लेकर पूछताछ शुरू की। पहले तो कुछ भी बताने से इनकार कर दिया। सख्ती बरती तो टूट गया और प्रगति के लापता होने की पूरी कहानी पुलिस को सुना दी। सोनू बोला- वो छटपटा रही थी, मैंने उसकी गर्दन नहीं छोड़ी 8 जुलाई को मैं घर आया तो रोज की तरह प्रगति किसी से हंस-हंसकर बात कर रही थी। मैंने पूछा कि वो कौन है। हमेशा की तरह उसने रूखा सा जवाब…आपको क्या करना। हमारी बहस हुई। मैं गुस्से में था। दोनों में हाथापाई होने लगी। मेरा हाथ गर्दन पर पहुंच गया। वो मुझे लगातार थप्पड़ मारे जा रही थी। मैं उसकी गर्दन पर अपनी पकड़ मजबूत करता गया। वो तड़पती रही, मुझसे छूटने की कोशिश करती रही, लेकिन मैंने नहीं छोड़ा। थोड़ी ही देर में उसका शरीर शांत पड़ गया। गर्दन से हाथ हटाया तो वो जमीन पर लुढ़क गई। मैंने उसकी नब्ज टटोली। उसकी धड़कन सुनने की कोशिश की, लेकिन सब खत्म हो चुका था। वो मर चुकी थी। प्रगति की जब हत्या की, तब घर में कोई नहीं था। बच्चे नाना के घर गए थे। मेरा दिमाग काम करना बंद कर दिया। प्रगति के शरीर की तरह मेरा गुस्सा भी ठंडा पड़ चुका था। अब आगे क्या करना है, कुछ समझ नहीं आ रहा था। पछतावा हुआ तो अपने भाई को बुलाया। इसके बाद पिता और चाचा को सूचना दी। कई ऐसी कहानी देखी-सुनी थी, जिसमें शव को ठिकाने लगाने के तरीके बताए गए हैं। मैंने भी ऐसा ही एक तरीका निकाला। तय किया कि दृश्यम मूवी की तरह शव पुलिस को नहीं मिलने देंगे। जब तक शव नहीं मिलेगा, कोई कुछ नहीं कर पाएगा। 8 जुलाई की रात शव के पास सो गया।

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