कांग्रेस नेत्री सरला मिश्रा की संदिग्ध मौत के मामले में 28 साल बाद दोबारा जांच होगी। यह फैसला उनके परिवार के वर्षों तक किए गए संघर्ष और न्याय की मांग के बाद आया है। कोर्ट ने मामले की गंभीरता को देखते हुए मौत की पुनः जांच के आदेश दिए हैं।
सरला मिश्रा की मौत 14 फरवरी 1997 को भोपाल के टीटी नगर स्थित सरकारी आवास में संदिग्ध परिस्थितियों में हुई थी। प्रारंभिक जांच में पुलिस ने इसे आत्महत्या बताया था और मामले को बंद करने के लिए कोर्ट में आवेदन किया था।
हालांकि, कोर्ट ने पुलिस रिपोर्ट में गंभीर खामियां पाईं और केस को खारिज करते हुए पुनः जांच का आदेश दिया।
सरला मिश्रा के भाई आनंद और अनुराग अपनी बहन को न्याय दिलाने लगातार कानूनी लड़ाई लड़ रहे हैं। उनका कहना है कि अब लगभग तीन दशक बाद, हमें न्याय की एक नई उम्मीद मिली है।
परिवार बोला- पूरी उम्मीद, दोषियों को सजा होगी
कोर्ट के इस फैसले के बाद दैनिक भास्कर टीम सरला मिश्रा के नर्मदापुरम में सदर बाजार स्थित आवास पहुंची और उनके भाई अनुराग और बहन मृदुला से बातचीत की।
इस दौरान अनुराग ने एक बार फिर जांच पर सवाल उठाए और पूर्व सीएम दिग्विजय सिंह, उनके परिचित और विवेचकों पर गंभीर आरोप लगाए। उन्होंने कहा कि पूरी उम्मीद है, मेरे परिवार को अदालत से न्याय मिलेगा और दीदी सरला की मौत की निष्पक्ष जांच होगी। कोर्ट से दोषियों को सजा भी मिलेगी। उन्होंने सरला के छात्र और राजनीति करियर के बारे में रोचक बातें बताईं। पढ़िए...
राजनीति के लिए ठुकराई यूनिवर्सिटी की नौकरी
सरला मिश्रा की छोटी बहन मृदुला (वीणा) बताता हैं, सरला दीदी का नर्मदापुरम में ही जन्म 18 जनवरी 1957 को हुआ था। वे हमारे परिवार में सबसे बड़ी थीं। बोलने में बेबाक थीं। शुरुआत से ही उनका रुझान राजनीति की ओर था।
जब उन्होंने सागर यूनिवर्सिटी से एलएलबी में टॉप किया और यूनिवर्सिटी में नौकरी मिली तो उन्होंने यह कहते हुए उसे अस्वीकार कर दिया कि उन्हें राजनीति में करियर बनाना है।
उन्होंने बताया कि दीदी वॉलीबॉल, बैडमिंटन और टेबल टेनिस की शानदार खिलाड़ी थीं। वॉलीबॉल में वे एमपी टीम की ओर से करीब 12 बार नेशनल गेम खेलीं। वे भोपाल कोर्ट और हाईकोर्ट (जबलपुर) की पंजीकृत एडवोकेट भी थीं।
मृदुला के अनुसार, पत्रकारिता के क्षेत्र में काम करते हुए उन्होंने साहसिक रिपोर्टिंग की। जब फूलन देवी ने अपने साथ हुए बलात्कार के बदले गोलियां चलाई थीं, तब दीदी ने जेल पहुंचकर स्वयं फूलन देवी का इंटरव्यू किया था।
राजीव-सोनिया के घर तक जाना आना था
मृदुला ने बताया कि दीदी की राजनीतिक यात्रा की शुरुआत सिवनी छपारा में डिग्री कॉलेज प्रेसिडेंट बनने के साथ हुई थी। वहीं उन्होंने छात्र संघ का चुनाव लड़ा था। राजनीतिक कार्यक्रमों में जब मुझे उनके साथ ले जाना होता, तो सिर्फ उन्हीं जगहों पर ले जाती थीं, हर जगह नहीं।
मैं अधिकतर समय उनके साथ ही रहती थी, उनके घर पर भी। उनसे मुझे बहुत कुछ सीखने को मिला। मेरी बड़ी बहन कांग्रेस की सक्रिय नेत्री रहीं। उनका दस जनपथ, यानी सोनिया गांधी के निवास पर आना-जाना था।
जब राजीव गांधी प्रधानमंत्री थे, तब मप्र दौरे के दौरान दीदी उनके साथ रहती थीं। मृदुला ने आगे कहा- कोर्ट ने जो दोबारा जांच के आदेश दिए। उससे अब आशा बंध गई है कि जो दीदी की मौत में जिम्मेदार हैं, उस केस में जो लोग शामिल रहे, जांच में उनका चेहरा सामने आएगा।
माता-पिता पहुंचे, पुलिस ने नहीं लिया बयान
अनुराग मिश्रा ने बताया कि दीदी के आग से जलने की घटना के बाद सबसे पहले मेरे माता-पिता मौके पर पहुंचे थे। लेकिन पुलिस ने उन्हें घर से बाहर कर दिया और घटना स्थल पर ताला लगा दिया। पुलिस ने न तो माता-पिता का बयान लिया, न ही मेरी एक और सगी बड़ी बहन का।
पुलिस ने इसे संदिग्ध परिस्थिति में जलने का मामला मानकर IPC की धारा 309 (आत्महत्या के प्रयास) के तहत केस दर्ज कर लिया और बाद में मौत को आत्महत्या बता दिया। हमने उसी समय जांच अधिकारी से बार-बार कहा कि दीदी की हत्या की गई है। हमने लिखित में आवेदन भी दिया, लेकिन कोई जांच नहीं की गई।
विवेचना में षड्यंत्र की आशंका, FIR कराएंगे
अनुराग मिश्रा ने कहा, पुलिस ने तो इसे आत्महत्या मानकर केस बंद करने की तैयारी कर ली थी, लेकिन मैंने लड़ाई लड़ी। 28 साल बाद कोर्ट ने मामले की दोबारा जांच के आदेश दिए हैं।
उन्होंने कहा कि केस में जो विसंगतियां रहीं उनमें प्रथम दृष्टया थाना प्रभारी एस.एम. जैदी, डॉ. सतपथी, और विवेचक महेंद्र सिंह करचली या अन्य कोई अधिकारी शामिल हैं तो हम उनके खिलाफ संबंधित थाने में लिखित शिकायत देंगे और FIR कराएंगे।
अनुराग ने आरोप लगाया कि मामले में तत्काल एफआईआर होनी चाहिए, क्योंकि विवेचना में घोर लापरवाही बरती गई है। जांच करने वाले अधिकारी षड्यंत्र में शामिल रहे हैं।