KHABAR: 184 करोड़ की फर्जी बैंक गारंटी मामले में दो गिरफ्तार, पीएनबी के सीनियर मैनेजर-कंपनी के कर्ताधर्ता को कोलकाता से ट्रांजिट रिमांड पर इंदौर लाए, पढ़े खबर

MP 44 NEWS June 21, 2025, 3:42 pm Technology

इंदौर - मप्र जल निगम लि. (एमपीजेएनएल) की 974 करोड़ की तीन सिंचाई परियोजनाओं के लिए 184 करोड़ रुपए की फर्जी बैंक गारंटी से जुड़े मामले में सीबीआई ने दो आरोपियों गोविंदचंद्र हंसदा और मोहम्मद फिरोज खान को गिरफ्तार किया है। गोविंदचंद्र पंजाब नेशनल बैंक (पीएनबी) का सीनियर प्रबंधक है। दोनों को टीम ने कोलकाता से गिरफ्तार किया है। सीबीआई की टीम उसे ट्रांजिट रिमांड पर इंदौर लेकर आई है। दरअसल वर्ष 2023 के इस घोटाले में जांच एजेंसी ने 19 और 20 जून को मप्र, दिल्ली, पश्चिम बंगाल, गुजरात और झारखंड में 23 स्थानों पर तलाशी अभियान चलाया। इंदौर स्थित तीर्थ गोपी कॉन कंपनी ने इन परियोजनाओं को हासिल करने के लिए आठ फर्जी बैंक गारंटी जमा की थीं, जिनकी कुल राशि 183.21 करोड़ रुपए थी। गुजरात की कंपनी का इंदौर में भी है ऑफिस तीर्थ गोपी कॉन कंपनी मूल रूप से गुजरात के अहमदाबाद की है। इंदौर में रावजी बाजार थाना क्षेत्र के पागनीसपागा स्थित अमर मेट्रो भवन में इसका ऑफिस है। कंपनी के एमडी महेश भाई कुंभानी, डायरेक्टर चंद्रिकाबेन कुंभानी और एक्जीक्यूटिव डायरेक्टर पल्लव कुंभानी हैं। यह कंपनी सरकार के सिविल इंजीनियरिंग वर्कर्स के टेंडर लेती है। कंपनी ने इंदौर, उज्जैन, छतरपुर सहित कई शहरों में प्रोजेक्ट लिए हैं। इंदौर नगर निगम के स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट से जुड़े कई काम भी यह कंपनी कर रही है। जानिए क्या है मामला सीबीआई अधिकारियों से मिली जानकारी के मुताबिक मप्र जल निगम लिमिटेड का टेंडर कंपनी को मिला। इसके लिए उसने पंजाब नेशलन बैंक कोलकाता की 24 परगना ब्रांच ने 183.21 करोड़ रुपए की बैंक गारंटी दी थी। 25 अप्रैल को कंपनी को जल निगम से नोटिस भेजा गया था कि आपकी बैंक गारंटी फर्जी है। इस पर कंपनी हाईकोर्ट पहुंची और बताया कि उन्हें उक्त गारंटी बैंक अधिकारियों ने ही दी है। कंपनी का आरोप है हमें जल निगम के नोटिस के बाद पता चला ये गारंटी फर्जी है। धोखाधड़ी तो बैंक अधिकारियों ने हमारे साथ की है। इसकी शिकायत इंदौर के रावजी बाजार थाने में दर्ज भी करवाई गई थी। इसी के बाद कोर्ट ने सीबीआई को मामले में जांच के आदेश दिए थे। साथ ही एक माह में कंपनी को नई गारंटी देने के लिए कहा और तब तक उन पर कार्रवाई के लिए रोक के भी आदेश दिए थे। पीएनबी के ईमेल की कॉपी कर फर्जी ईमेल से की गारंटी की पुष्टि जांच में सामने आया कि जल निगम को पंजाब नेशनल बैंक के आधिकारिक ई-मेल डोमेन की तरह दिखने वाले एक हूबहू फर्जी मेल से गारंटियों की पुष्टि भेजी गई थी। इन फर्जी पुष्टियों के आधार पर ही जल निगम ने परियोजनाओं के कॉन्ट्रैक्ट संबंधित कंपनी को दे दिए। मप्र हाईकोर्ट के निर्देश पर सीबीआई ने 9 मई 2025 को तीन केस दर्ज किए थे। जांच में पता चला है कि कोलकाता स्थित एक गिरोह सरकारी परियोजनाओं को हासिल करने के लिए फर्जी बैंक गारंटी बनाने में सक्रिय है। यह गिरोह देश के कई राज्यों में इसी तरह की धोखाधड़ी कर चुका है। फिलहाल मामले में सीबीआई की जांच जारी है। एक माह पहले हाईकोर्ट ने दिए थे CBI जांच के आदेश, स्मार्ट सिटी के काम कर रही कंपनी इंदौर में स्मार्ट सिटी के कई प्रोजेक्ट पर एक साथ काम कर रही अहमदाबाद की कंपनी तीर्थ गोपी कॉन के खिलाफ हाई कोर्ट ने एक माह पहले सीबीआई जांच का आदेश दिया था। मामला जल निगम में 184 करोड़ रुपए की फर्जी बैंक गारंटी देकर टेंडर लेने से जुड़ा है। मप्र हाईकोर्ट की जबलपुर खंडपीठ ने इस मामले में सुनवाई करते हुए कहा था कि सीबीआई जांच में यह तय हो जाएगा कि कंपनी दोषी है या खुद ठगी की शिकार हुई है। इस संबंध में हाई कोर्ट ने 30 जून तक जांच रिपोर्ट मांगी गई है। इस बीच सीबीआई ने मैनेजर सहित दो आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया। खुद को पीड़ित और बैंक को जिम्मेदार बताया था मप्र में पानी के अलग-अलग प्रोजेक्ट को पूरा करने के लिए जल निगम द्वारा जारी टेंडर के लिए कंपनी से 184 करोड़ की ई-बैंक गारंटी मांगी थी। बैंक गारंटी मिलने के बाद जल निगम ने आपत्ति ले कर कंपनी को नोटिस दिया था। जिस पर कंपनी ने हाई कोर्ट में याचिका दाखिल कर खुद को पीड़ित और बैंक को जिम्मेदार बताया। एडवोकेट सिद्धार्थ शर्मा ने कोर्ट को बताया था कि एक व्यक्ति, जिसने खुद को बैंक अधिकारी बताया था उसी ने फर्जी गारंटी दी थी। हाई कोर्ट ने सीबीआई को 30 जून तक रिपोर्ट पेश करने को कहा है। कोर्ट ने कहा कि सीबीआई जांच में यह तय हो कि कंपनी दोषी है या खुद ठगी की शिकार। हाई कोर्ट ने 2023 में रावजी बाजार थाने में हुई शिकायत का भी जिक्र किया कोर्ट ने याचिकाकर्ता की ओर से यह बताया गया था कि इस बारे में इंदौर के रावजी बाजार थाने पर भी बैंक गारंटी से संबंधित शिकायत दर्ज कराई गई है, जो कि पीएनबी ब्रांच कोलकाता से संबंधित है। यह शिकायत 20 मार्च 2023 को दर्ज कराई गई थी। इस कंपनी ने इंदौर में स्मार्ट सिटी के भी कई ठेके लिए हैं और निगम के एक अधिकारी ने आगाह भी किया कि उक्त कंपनी विवादित भी रही है। इंदौर में 455 करोड़ में 17 एकड़ जमीन का सौदा किया इंदौर में एमओजी लाइन महू नाका स्थित इस जमीन का आरक्षित मूल्य स्मार्ट सिटी ने 378 करोड़ रुपए रखा था और बदले में उसे तीन टेंडर प्राप्त हुए, जिसमें अहमदाबाद मुख्यालय और इंदौर में भी काम करने वाली तीर्थ गोपी कॉन नामक कंपनी ने 454.54 करोड़ यानी लगभग 455 करोड़ रुपए सर्वाधिक ऊंची बोली लगाई और यह टेंडर हासिल कर लिया। यह टेंडर तीसरी बार जारी करने के बाद किसी कंपनी ने इच्छा जताई थी। बीते दिनों 1 मई को ही हुई स्मार्ट सिटी बोर्ड की बैठक में इस उच्चतम दर की बोली को मंजूरी भी दी गई और कलेक्टर आशीष सिंह ने इस राशि से आधा दर्जन मास्टर प्लान सहित अन्य सड़कों के निर्माण की घोषणा की थी।

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