KHABAR: सिंघार ने वनग्रामों के सर्वे को आदिवासियों की जीत बताया, कहा- घोषणा से नहीं चलेगा काम, सर्वे कराने की समय सीमा बताए सरकार, पढ़े खबर

MP 44 NEWS June 21, 2025, 5:14 pm Technology

वन ग्रामों का फिर से सर्वे कराने की मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव की घोषणा को विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार ने मध्य प्रदेश के आदिवासियों की जीत बताया है। उन्होंने 'एक्स' पर लिखा कि राज्य सरकार को आदिवासियों की पीड़ा और संघर्ष के आगे झुकना पड़ा। वन ग्रामों में फिर से सर्वे होगा और जो छूट गए हैं उन्हें पट्टे दिए जाएंगे, यह स्वागत योग्य कदम है। हालांकि सिंघार ने सरकार से सवाल भी किए हैं। वे पूछते हैं कि सर्वे कब होगा? और इसकी समयसीमा क्या होगी स्थिति स्पष्ट करें। सिंघार ने कहा कि हमने कांग्रेस के साथी नेता कमलेश्वर पटेल, अरुण यादव के साथ नेपानगर क्षेत्र में आदिवासियों के वन भूमि के पट्टों के अधिकार के लिए आंदोलन शुरू किया था और यह संघर्ष आगे भी जारी रहेगा। उन्होंने सरकार को घेरते हुए कहा कि यह बताया जाए कि 3 लाख से अधिक वन अधिकार पट्टों के आवेदन बिना किसी सूचना के क्यों निरस्त किए गए? वे पूछते हैं कि यह सिर्फ एक घोषणा है या इससे जमीनी हकीकत में बदलाव आएगा? हम हर आदिवासी भाई-बहन को उनका अधिकार दिलाकर रहेंगे। वहीं मीडिया से चर्चा में कहा कि यह सिर्फ घोषणा है समाधान नहीं। उन्होंने कुछ सवाल भी पूछे हैं, जिनका सरकार से तत्काल स्पष्ट जवाब मांगा है। सीएम ने कल कहा है, सर्वे कराएंगे, पट्‌टे देंगे मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने शुक्रवार को समत्व भवन में वन विभाग की समीक्षा बैठक के दौरान वन अफसरों से कहा है कि वन ग्रामों में भी पट्टे दिए जाएंगे। वन ग्रामों में सर्वे कराया जाएगा और जो पात्र व्यक्ति छूट गए हैं उन्हें भी ससम्मान पट्टे दिए जाएंगे। गौरतलब है कि वन भूमि पर पट्टा वन अधिकार अधिनियम 2006 के तहत दिया जाने वाला एक कानूनी दस्तावेज है। यह अधिनियम अनुसूचित जनजातियों और अन्य परंपरागत वन निवासियों को वन भूमि पर अधिकार और उपयोग का कानूनी अधिकार देता है। क्यों दिया जाता है वन अधिकार पट्टा प्रदेश के वन अंचल में रहने वाले वनवासियों और अन्य परंपरागत वन निवासियों की आजीविका और उनकी खाद्य सुरक्षा के लिए यह व्यवस्था लागू की गई है। इसके जरिये वन संरक्षण व्यवस्था को भी मजबूत किया गया है और सामुदायिक वन संसाधनों की निगरानी और प्रबंधन में स्थानीय जनों का झुकाव हुआ है। इसके माध्यम से सीमांत समुदायों के पारंपरिक संबंधों को सुरक्षित करने का भी काम हुआ है। वन अधिकार पट्टा व्यक्तिगत और सामुदायिक दोनों रूप में दिया जा सकता है। पट्टा पाने के लिए13 दिसंबर 2005 से पहले वन भूमि पर काबिज होना आवश्यक है। पट्टे की भूमि को बेचा या स्थानांतरित नहीं किया जा सकता है। कौन काट रहा आदिवासियों के जंगल, जांच कराए सरकार सिंघार ने यह भी कहा कि कौन काट रहा है आदिवासियों के जंगल? सरकार इस पर जांच कराए। आखिर ऐसा क्या कारण है कि पिछले दो-तीन वर्षों में कई इलाकों में जंगल तेजी से साफ हो रहे हैं? क्या इसमें वन विभाग की मिलीभगत है? बार-बार आदिवासियों पर आरोप लगाया जाता है कि वो जंगल काट रहे हैं लेकिन सच्चाई क्या है? सरकार को इस पूरे मामले की तत्काल निष्पक्ष जांच करानी चाहिए, ताकि जंगल बचें और आदिवासियों को बदनाम करने की साजिश भी सामने आ सके।

Related Post

window.OneSignal = window.OneSignal || []; OneSignal.push(function() { OneSignal.init({ appId: "6f6216f2-3608-4988-b216-8d496a752a67", }); });