इंदौर - इंदौर के द्वारकापुरी में ड्यूटी के दौरान आरक्षक अनुराग ने शुक्रवार को एसएलआर गन ने खुद को गोली मार ली थी। वह कंट्रोल रूम को वायरलेस सेट पर जबाव नहीं दे रहा था। साथी रोहित विश्नोपिया को जब मौके पर भेजा गया तो अनुराग का खून से सना शव पड़ा मिला।
सुसाइड के करीब 4 घंटे पहले रात 12 बजे अनुराग ने दोस्त विकास वसुनिया से आखिरी बार बात की थी। अफसरों ने विकास से पूछताछ की तो उसने बताया कि अनुराग की अपनी पत्नी रानू से तनातनी चल रही थी। रात में पत्नी ने कॉल भी नहीं उठाया और जबाव भी नहीं दिया थी। इसके बाद उसने मुझे कॉल कर कहा था कि अब वह मेरी लाश के पास भी नहीं भटकेगी।हालांकि, अफसरों की अनुराग की पत्नी रानू से अभी बात नहीं हुई। 2-3 दिन बाद महिला अफसर के सामने रानू से पूछताछ की जाएगी।
आखिरी लोकेशन सुबह 4 बजे दी
अनुराग के साथ हेड काॅन्स्टेबल रोहित चौहान का भी सराफा से द्वारकापुरी में ट्रांसफर हुआ था। रात 10 बजे नाइट गश्त पर आने के बाद करीब 12 बजे तक विकास से अनुराग बात करते रहा। इसके बाद वह ड्यूटी पर चले गया। रातभर उसने अलग-अलग जगह से अपनी लोकेशन थाने के ग्रुप पर भेजी है। आखिरी लोकेशन अलसुबह 4 बजे दी थी। सुबह करीब 5:30 बजे के लगभग वह वायरलेस सेट पर जबाव नहीं दे रहा था। इसके बाद थाने पर कॉल कर जानकारी मांगी गई। तब रोहित विश्नोपिया को भेजा गया। इसके बाद घटना की जानकारी लगी।
सराफा में टीआई से नहीं बनी तो छोड़ा थाना
सराफा में कुछ माह पहले टीआई ने काम को लेकर सजा के तौर पर अनुराग का वेतन रुकवा दिया था। इस बात को लेकर अनुराग नाराज हो गया। अफसरों के सामने पेश होकर उसने ट्रांसफर मांगा। इसके बाद डीसीपी ने उसे द्वारकापुरी थाने भेज दिया। यहां भी उसका स्वभाव शांत सा था। वह सबसे अच्छे से बातचीत करता था। एक सप्ताह से पत्नी रानू से विवाद के चलते वह तनाव में चल रहा था और ड्यूटी पर ध्यान भी नहीं दे पा रहा था।
चचेरे भाई ने कहा-होते रहते थे छोटे-मोटे विवाद
चचेरे भाई राजेंद्र ने बताया कि अनुराग के पिता वेटनरी कॉलेज से डॉक्टर के पद से कुछ समय पहले ही रिटायर्ड हुए थे। अनुराग पुलिस विभाग में आना चाहता था। इसलिए गुना से उसकी भर्ती हुई थी। कुछ साल गुना में पोस्टिंग के बाद वह इंदौर आ गया। राजेंद्र ने बताया कि पति-पत्नी में छोटे मोटे विवाद होते रहते थे।
कुछ समय से अनुराग घर पर ध्यान नहीं दे पा रहा था। इधर ससुराल की तरफ से भी साले की तबीयत को लेकर दबाव था। हालांकि, अनुराग को द्वारकापुरी थाने में काम ओर व्यक्तिगत रूप से किसी तरह की परेशानी नहीं थी।