BIG NEWS : खरगोन में हुए साम्प्रदायिक दंगों के बाद प्रदेश सरकार ने पहले क्लेम ट्रिब्यूनल का किया गठन, 90% मामलाें में गृहस्थी फूंकने वाले आराेपी अज्ञात, सिर्फ 34 प्रकरणों में आरोपी हुए ज्ञात, पढ़े खबर

MP 44 NEWS August 28, 2022, 2:15 pm Technology

रामनवमीं पर 10 अप्रैल को खरगोन में हुए साम्प्रदायिक दंगों के बाद प्रदेश सरकार ने पहले क्लेम ट्रिब्यूनल का गठन किया। प्रदेश सरकार ने दंगाइयों से लोक और निजी संपत्ति के नुकसान की वसूली के लिए गठित क्लेम ट्रिब्यूनल को निर्धारित समय सीमा में कुल 343 प्रकरण प्राप्त हुए। शुरूआत में इन प्रकरणों के निराकरण की समय सीमा 90 दिन निर्धारित की गई थी। प्रकरणों की संख्या अधिक होने व करीब 90 प्रतिशत प्रकरणों में अनावेदक अज्ञात होने से यह समयावधि 3 माह और बढ़ाई गई है। अब तक कुल 343 में से सिर्फ 34 प्रकरणों में आरोपी ज्ञात हैं और शेष 309 प्रकरणों में आरोपी अज्ञात हैं। इन्हें नोटिस तामील करवाए जा रहे हैं। कुछ आरोपी जेल में हैं, उन्हें वहीं नोटिस तामील करवाए जाने की बात कही गई है। अब इन आरोपियों के पक्ष सुने जाएंगे। इसके बाद ट्रिब्यूनल अपना फैसला देगा। अब ट्रिब्यूनल की समयावधि 26 अक्टूबर तक बढ़ाई गई है। दावा आयुक्त अपर कलेक्टर जेएस बघेल ने बताया जो आरोपी जेल में हैं, उन्हें वहीं नोटिस तामील करवाए जाएंगे। जरूरी हुआ तो वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से सुनवाई भी हो सकती है।

नुकसान से दो गुना तक कर सकते हैं अवॉर्ड

निजी संपत्ति के नुकसान पर संपत्ति मालिक या संपत्ति का नियंत्रणकर्ता 30 दिन के भीतर आवेदन कर सकता है। क्लेम ट्रिब्यूनल को हर्जाना/मुआवजे का निर्धारण यथासंभव आवेदन करने के 3 माह में करना आवश्यक होता है। विशेष परिस्थितियों में यह समयसीमा बढ़ाई जा सकती है। ट्रिब्यूनल नुकसान के 2 गुना तक अवॉर्ड पारित कर सकता है। ट्रिब्यूनल कलेक्टोरेट में प्रति सोमवार, मंगलवार व बुधवार को सुनवाई करती है। ट्रिब्यूनल के आदेश के बाद क्या

ट्रिब्यूनल के अवॉर्ड पारित (नुकसान वसूली) करने के 15 दिन में भुगतान नहीं होने पर ब्याज व आवेदनकर्ता को क्लेम में प्रकरण में हुए खर्चे की वसूली के आदेश देने के अधिकार हैं। 15 दिन में राशि जमा नहीं होने पर ट्रिब्यूनल कलेक्टर को बकाया की वसूली के लिए संबंधितों की चल-अचल संपत्ति की कुर्की व नीलामी के लिए प्रमाण-पत्र जारी कर सकते हैं। हालांकि इस अधिनियम से पुलिस की कार्रवाई बाधित नहीं होगी। हाईकोर्ट में दी जा सकती है चुनौती

मध्य प्रदेश लोक व निजी संपत्ति को नुकसान का निवारण और नुकसानी की वसूली विधेयक- 2021 के अनुसार ट्रिब्यूनल को सिविल कोर्ट के अधिकार और शक्तियां होती है। क्लेम ट्रिब्यूनल के आदेश केवल उच्च न्यायालय में चुनौती दी जो सकती है, वह भी ट्रिब्यूनल द्वारा अवॉर्ड पारित (नुकसान वसूली या नुकसान की रकम तय करना) होने के 90 दिन के भीतर।

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