नीमच 27 फरवरी 2024, मध्यप्रदेश में औद्योगिक विकास की अपार संभावनाएं हैं। जिसे इन्हें
धरातल पर उतारने के लिए वृहद स्तर पर उज्जैन में आगामी 1 एवं 2 मार्च को रीजनल इंडस्ट्री
कॉन्क्लेव 2024 का आयोजन किया जा रहा है। इससे उज्जैन, इंदौर सहित प्रदेश के अन्य जिलों
में औद्योगिक विकास के द्वार खुलेंगे। विशेष बात यह है कि इंडस्ट्री कॉन्क्लेव में मौके पर ही
169 उद्योगपतियों को 6774 करोड़ की भूमि आवंटित की जाएगी। उज्जैन में कुल 8000 करोड़
से अधिक के कार्यों का लोकार्पण एवं शिलान्यास होगा। जिससे 12000 से अधिक लोगों को
रोजगार प्राप्त हो सकेगा। प्रदेश के प्रमुख औद्योगिक क्षेत्र में भी भूमिपूजन के कार्यक्रम
आयोजित होंगे। उज्जैन कलेक्टर नीरज कुमार सिंह ने बताया कि रीजनल इंडस्ट्री कॉन्क्लेव
में अभी तक 662 बायर द्वारा और 2551 सेलर द्वारा रजिस्ट्रेशन कराया गया है। रजिस्ट्रेशन
अभी जारी हैं।
कलेक्टर सिंह ने बताया कि बायर और सेलर में प्रमुख रूप से फूड और एग्रो
प्रोडक्ट्स, सर्विस सेक्टर, इंजीनियरिंग प्रोडक्ट्स, केमिकल एंड एलाइड प्रोडक्ट्स, टेक्सटाइल,
प्लास्टिक , हैंडलूम और हैंडीक्राफ्ट, इलेक्ट्रिकल ,जेम एंड ज्वेलरी, रियल एस्टेट, लेदर, स्पोर्ट्स,
फिश एंड मरीन प्रोडक्ट्स के सेक्टर शामिल है। देश में आईटी सेक्टर्स के प्रमुख उद्योगपतियों
के साथ इंडस्ट्री कॉन्क्लेव में यूएसए, फिजी, मंगोलिया के गवर्मेंट डेलीगेशन और जापान, जर्मनी
के बिजनेस डेलिगेट्स शामिल होंगे।
भगवान महाकाल को विशेष भोग
प्रदेश के सर्वांगीण विकास और इंडस्ट्री कांक्लेव के सफल आयोजन के लिए सर्वप्रथम
भगवान महाकाल का आशीर्वाद लिया जाएगा। भगवान महाकाल को 6.25 क्विंटल लड्डू का
भोग लगाया जाएगा। यह विशेष प्रसाद इंडस्ट्री कॉन्क्लेव में शामिल उद्योगपतियों को भी दिया
जाएगा।
उज्जैन के समृद्ध धार्मिक, वैज्ञानिक और ऐतिहासिक महत्व से रूबरू होंगे उद्योगपति
मध्यप्रदेश में औद्योगिक निवेश के लिए अनुकूल वातावरण के साथ उज्जैन के समृद्ध
धार्मिक, वैज्ञानिक और ऐतिहासिक महत्व से भी उद्योगपतियों रूबरू होंगे। कालिदास,
वराहमिहिर, बाणभट्ट, राजशेखर, पुष्पदंत, शंकराचार्य, वल्लभाचार्य, भर्तृहरि, दिवाकर, कात्यायन
और बाण जैसे विविध क्षेत्रों के महान विद्वानों का उज्जैन से जुड़ाव रहा है।
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राजा विक्रमादित्य ने इस शहर को अपनी राजधानी बनाया। महान विद्वान संस्कृतज्ञ कालिदास
राजा विक्रमादित्य के दरबार में थे। उज्जैन का वर्णन स्कंदपुराण में मिलता है और इसे मंगल
गृह की उत्पत्ति का स्थान माना जाता है। उज्जैन बड़ा महत्व वैज्ञानिक रूप से काल गणना में
इसका केंद्रीय स्थान होने मे भी है। महाकाल के इस केंद्र में स्थित शहर में ज्योतिष की शुरुआत
और विकास हुआ। उज्जैन ने भारत और विदेशों को समय की गणना की प्रणाली प्रदान की है।
उज्जैन के प्राकृतिक, भौगोलिक और ज्योतिषीय महत्व को समझने की आवश्यकता है।
उद्योगपति और प्रतिभागियों को दी जाएगी किट
इंडस्ट्री कॉन्क्लेव में शामिल हो रहे उद्योगपतियो और प्रतिभागियों को विशेष किट दी
जाएगी। इसमें मध्य प्रदेश शासन की उद्योग फ्रेंडली नीतियों, भूमि बैंक, बुटीक प्रिंट, भगवान
महाकाल का विशेष प्रसाद दिया जाएगा।
मध्यप्रदेश का औद्योगिक परिदृश्य
मध्यप्रदेश, भारत के मध्य में स्थित होकर क्षेत्रफल के हिसाब से दूसरा सबसे बड़ा राज्य
है और पिछले दशक में 8% सीएजीआर पर वार्षिक जीएसडीपी वृद्धि के साथ सबसे तेजी से
बढ़ते राज्यों में से एक है। मध्य प्रदेश सरकार ने राज्य को एक औद्योगिक केंद्र के रूप में
विकसित करने और संभावित निवेश गंतव्य के रूप में बढ़ावा देने के लिए पिछले एक दशक
सतत् से कार्य किया है। राज्य की बड़े बाजारों और नई दिल्ली, मुंबई, अहमदाबाद, हैदराबाद और
कोलकाता जैसे प्रमुख मेट्रो शहरों से अच्छी कनेक्टिविटी है। मध्य प्रदेश में 160,000 किलोमीटर
का सड़क नेटवर्क है, 455 ट्रेनें प्रतिदिन राज्य से गुजरती हैं, इसके अलावा देश के प्रमुख टियर1
शहरों के साथ इसकी हवाई कनेक्टिविटी भी है। भूमि-बद्धता की समस्या को दूर करने के लिए
राज्य ने 6 अंतर्देशीय कंटेनर डिपो (आईसीडी) स्थापित किए हैं।
राज्य दिल्ली-मुंबई औद्योगिक गलियारे (डीएमआईसी) के प्रभाव क्षेत्र में आता है और
इसने गलियारे के साथ पीथमपुर-धार-महू, रतलाम-नागदा, शाजापुर-देवास और नीमच-नयागांव
जैसे औद्योगिक और निवेश क्षेत्र विकसित किए हैं। इसके अतिरिक्त, राज्य ने विशेष रूप से
दक्षिण पूर्व और सुदूर पूर्व एशियाई निवेशकों पर केंद्रित एक औद्योगिक टाउनशिप भी विकसित
की है। मध्य प्रदेश मैंगनीज, तांबा, कांच, चूना पत्थर आदि के प्रमुख उत्पादन के साथ भारत में
खनिजों का अग्रणी उत्पादक है और हीरे के भंडार वाला भारत का एकमात्र राज्य है। इसमें भारत
के कुल कोयला भंडार का 8% से अधिक और 1,434 बिलियन क्यूबिक मीटर कोल-बेड मीथेन
है। राज्य सरकार औद्योगिक विकास को बढ़ावा देने के लिए संसाधनों के सतत उपयोग को
बढ़ावा दे रही है।
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देश के सभी 11 कृषि जलवायु क्षेत्र मध्य प्रदेश में हैं। सोयाबीन, दालें, चना, लहसुन
आदि के उत्पादन में राज्य प्रथम और द्वितीय स्थान पर है गेहूं, मक्का और हरी मटर का
सबसे बड़ा उत्पादक। मध्य प्रदेश केला, संतरा, अमरूद, आम और नींबू फल उगाने में अग्रणी
राज्यों में से एक है। भारत की कुल जैविक खेती में राज्य का योगदान 40% से अधिक है और
डीएसीएफडब्ल्यू, भारत सरकार द्वारा प्रकाशित एक रिपोर्ट के अनुसार, मध्य प्रदेश में बागवानी
उत्पादकता/हेक्टेयर भारत के राष्ट्रीय औसत से अधिक है। राज्य देश के कुल वन क्षेत्र, लगभग
94,689.38 वर्ग किलोमीटर में अधिकतम वन क्षेत्र का योगदान देता है। मध्यप्रदेश के जंगलों में
लगभग 2,200 किस्मों के औषधीय पौधे उपलब्ध हैं। राज्य के पास देश का 14 प्रतिशत पशुधन
है, जो देश के कुल दूध उत्पादन में लगभग 10 प्रतिशत का योगदान देता है।
राज्य में 40,000 एकड़ विकसित क्षेत्र सहित 1,20,000 एकड़ औद्योगिक भूमि बैंक
है। पिछले वर्षों में इसने एसईजेड और सेक्टर विशिष्ट पार्क जैसे एसईजेड पीथमपुर, क्रिस्टल
आईटी पार्क, तमोट और ग्वालियर में प्लास्टिक पार्क, लॉजिस्टिक्स पार्क शिवपुरी, विक्रम
उद्योगपुरी, उज्जैन, स्पाइस पार्क, छिंदवाड़ा आदि विकसित किए हैं। उद्योगों को सहयोग देने के
लिए राज्य में प्रचुर तकनीकी एवं कुशल जनशक्ति उपलब्ध है।
राज्य एम्स,आईआईटी, आईआईएम, एनआईएफटी,एनआईडी, एनएलआईयू, IIITM और
सीआईपीईटी जैसे कई प्रमुख राष्ट्रीय संस्थानों का घर है। इसके अलावा, यह केंद्रीय, राज्य और
निजी विश्वविद्यालयों सहित कई विश्वविद्यालयों का घर है। राज्य में हर साल लगभग एक
लाख जनशक्ति (तकनीकी विशेषज्ञ) इन कॉलेजों से कार्यबल में शामिल होते हैं।
मध्य प्रदेश संस्कृति और पर्यटन की दृष्टि से भी समृद्ध है। खजुराहो, भीमबैठिका और
सांची जैसे पर्यटन स्थलों को विश्व धरोहर केंद्र के रूप में मान्यता दी गई है। कान्हा, बांधवगढ़,
पेंच, पन्ना और शिवपुरी प्रसिद्ध बाघ अभयारण्य हैं और यहां कई अन्य जानवर भी हैं। पचमढ़ी,
अमरकंटक और तामिया राज्य के कुछ अन्य प्रमुख पर्यटन स्थल हैं। पर्यटन विभाग ने राज्य के
विभिन्न द्वीपों जैसे हनुवंतिया, मध्य द्वीप और सैलानी द्वीपों का उपयोग करके पर्यटन को
बढ़ावा देने की पहल भी की है। यह हर साल भारत के एकमात्र और सबसे बड़े जल कार्निवल,
जल महोत्सव की मेजबानी करता है।
राज्य कपड़ा निर्माण, ऑटोमोबाइल, खाद्य प्रसंस्करण, इंजीनियरिंग और कृषि उपकरण
निर्माण में अग्रणी है। राज्य की शांतिपूर्ण जनशक्ति औद्योगिक विकास के लिए एक अतिरिक्त
लाभ है। उपरोक्त सभी कारक मध्य प्रदेश को एक विकसित राज्य बनने का मार्ग प्रशस्त करते
हैं।