नीमच - आज परिवारों में वितृष्णा बढ़ती जा रही हैं। भाई-भाई का दुश्मन हो गया है। ईर्ष्या, द्वेष, जलन ने घरों की सुख-शांति छीन ली है। पारिवारिक वैमनस्यता ने विकराल रूप धारण कर सामाजिक समरसता को समाप्त कर दिया है। ऐसे संगीन समय में परिवार को टूटने से बचाने और परस्पर भाईचारा कायम करने के निहितार्थ रामचरित मानस का नित्य पाठ घरों में हो। बच्चों को रामचरित मानस के पात्र राम, भरत, लक्ष्मण और शत्रुघ्न का प्रेम, माँ की ममता, प्यार और अनुशासन सीखने को मिलेगा। घरों में सुख शांति और एकता का उदय होगा। चारो तरफ खुशहाली का वातावरण निर्मित होगा। उक्त विचार मानस मर्मज्ञ प्रख्यात कथाकार पण्डित मुकेश नायक ने सामाजिक, साहित्यिक, सांस्कृतिक संस्था कृति और ज्ञानोदय शिक्षण समिति द्वारा आयोजित ’’प्रेम मूर्ति भरत’’ विषय पर स्थानीय टाउन हॉल में नीमच की प्रबुद्ध जनता के बीच व्यक्त किये। पण्डित मुकेश नायक का सभागार पहुँचने पर कृति संस्था के अध्यक्ष बाबूलाल गौड़, ज्ञानोदय शिक्षण संस्थान के चैयरमेन अनिल चौरसिया, ज्ञानोदय यूनिवर्सिटी की कुलाधिपति डॉ. माधुरी चौरसिया, वाईस चांसलर डॉ. प्रशांत शर्मा ने शाल श्रीफल और माल्यार्पण कर स्वागत किया। स्वागत उद्बोधन ज्ञानोदय संस्थान के चैयरमेन अनिल चौरसिया ने व्यक्तित्व परिचय कृति अध्यक्ष बाबूलाल गौड़ ने दिया। स्वागत कृति संस्था के संरक्षक किशोर जेवरिया ने किया। सर्वप्रथम अतिथियों ने माँ सरस्वती के चित्र पर माल्यार्पण किया। तत्पश्चात् पण्डित मुकेश नायक ने अपनी रसभरी वाणी से सभागार को भक्ति रस से सरोबर कर दिया। उन्होंने बताया कि कथाकार माता कैकेयी को खलनायिका के रूप में प्रस्तुत करते हैं जबकि स्वयं राम ने मानव जाति के उद्धार के लिए माँ सरस्वती से प्रार्थना की और मंथरा की कुबुद्धि का सहारा लेकर स्वयं वन को प्रस्थान किया। समाज और देश का अहित करने वाले राक्षसों से मुक्ति दिलाई। जब भगवान राम 14 वर्ष का वनवास पूरा कर वापस लौटे तो सबसे पहले माता कैकेयी का दर्शन करने सबसे पहले पहुँचे और भरत ने राजा की कुर्सी से खडाऊ शासन समाप्त कर पुनः रामजी को राजपाठ सौंपा। सभागार में पिन ड्राप सायलेंस था। श्रोता भक्ति रस में गोता लगा रहे थे और आनन्द के अतिरेक में डूबे हुए थे। भक्ति पूर्ण कार्यक्रम का संचालन सत्येन्द्र सिंह राठौड़ ने व आभार डॉ. माधुरी चौरसिया ने माना।