मध्य प्रदेश में एक मई से सितंबर के बीच पांच चरणों में सहकारी समितियों के चुनाव कराए जाएंगे। राज्य सहकारी निर्वाचन प्राधिकारी एमबी ओझा ने 4500 सहकारी समितियों के चुनावों का शेड्यूल जारी किया है।
भले ही सहकारी निर्वाचन प्राधिकारी ने सहकारी समितियों के चुनाव का कार्यक्रम जारी कर दिया हो लेकिन, भाजपा और कांग्रेस के सहकारी नेताओं को इस बात का भरोसा नहीं हैं कि सरकार वास्तव में चुनाव कराएगी।
कांग्रेस विधायक बोले- चुनाव की सरकार की मंशा नहीं
अपेक्स बैंक के पूर्व अध्यक्ष और बदनावर से कांग्रेस विधायक भंवर सिंह शेखावत कहते हैं- भाजपा सरकार की मंशा चुनाव कराने की है ही नहीं। करीब 17-18 सालों से को-ऑपरेटिव के चुनाव नहीं हुए।
बीज निगम जब से बना तब से अब तक चुनाव नहीं कराया। मंडी समितियों के चुनाव नहीं करा रहे। अभी हाल ही में सरकार ने सहकारिता के कानून में संशोधन कर दिया है कि प्रशासक अनंत काल तक रह सकता है।
हमने विधानसभा में इस मामले को उठाया और हाईकोर्ट को भी जब ये समझ आ गया तो सरकार को दबाव में चुनाव कार्यक्रम जारी करना पड़ा। हमें अब भी भरोसा नहीं कि सरकार वास्तव में चुनाव कराएगी।
बीजेपी से जुडे़ नेताओं को भी चुनाव पर संदेह
जबलपुर जिला सहकारी बैंक के पूर्व अध्यक्ष और सहकार भारती के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष चौधरी नारायण सिंह कहते हैं- ये चुनाव कार्यक्रम का पत्र हाईकोर्ट में सरकार को बचाने के लिए जारी किया है। सहकारिता के चुनाव होंगे इस पर संदेह है। उन्होंने कहा-
ऐसे पत्र पहले भी तीन-चार बार निकाले जा चुके हैं। अभी हाल ही में हाईकोर्ट ने सरकार पर सहकारिता के चुनाव न कराने को लेकर 20 हजार रुपए की कॉस्ट लगाई है। कोर्ट ने पूछा है कि आखिर चुनाव क्यों नहीं हो रहे हैं?
सदस्यता सूची मिलते ही चुनाव हो जाएंगे।
सहकारी नेताओं की आशंकाओं को लेकर भास्कर ने राज्य सहकारी निर्वाचन प्राधिकारी एमबी ओझा से पूछा तो उन्होंने कहा- हमने जिलों से सदस्यता सूची मांगी है। सूची मिल जाएगी तो चुनाव हो जाएंगे।
अब जानिए सहकारिता के चुनाव पार्टियों के लिए कितने अहम?
मप्र में 4500 सहकारी समितियां हैं। 38 जिला सहकारी बैंक और प्रदेश स्तर पर एक अपेक्स बैंक है। इन 4500 सहकारी समितियों में करीब 53 हजार सदस्य बनेंगे। सबसे अहम 38 जिला सहकारी बैंकों में अध्यक्ष और संचालक मंडल के चुनाव होंगे। यानी 55 हजार से ज्यादा लोगों को इन समितियों में एडजस्ट करने का मौका मिलेगा।
पांच चरणों में चुनाव कराने का फैसला
सहकारी समितियों के चुनावों के लिए हाईकोर्ट के सख्त निर्देशों के बाद राज्य सरकार ने अब चुनाव कार्यक्रम जारी किया है। महाधिवक्ता कार्यालय ने इन चुनावों को अति आवश्यक बताते हुए पांच चरणों में चुनाव कराने का फैसला किया है।
समितियों के बाद जिला सहकारी बैंक और अपेक्स बैंक के संचालक मंडल के चुनाव भी कराए जाएंगे। हाल ही में विधानसभा के बजट सत्र में मप्र सरकार ने सहकारी अधिनियम में संशोधन किया है। इस संशोधन के बाद यह पहला चुनाव होगा।
2013 से नहीं हुए चुनाव, 5 साल में कराना जरूरी है
प्रदेश में प्राथमिक कृषि साख सहकारी समितियों के चुनाव आखिरी बार 2013 में हुए थे। इन समितियों का कार्यकाल 2018 में खत्म हो चुका है। कार्यकाल खत्म होने के छह महीने पहले ही चुनाव की प्रक्रिया शुरू होनी चाहिए।
चुनाव न होने की स्थिति में अधिकतम छह महीने तक कार्यकाल बढ़ाया जा सकता है। लेकिन, करीब तीन सालों से चुनाव टलते जा रहे हैं। सहकारी समितियों में प्रशासकों के भरोसे काम चल रहा है।
चुनाव न होने से असंतोष बढ़ा, HC में लगीं याचिकाएं
को-ऑपरेटिव चुनाव न होने से असंतोष बढ़ा और जबलपुर हाईकोर्ट के साथ ग्वालियर खंडपीठ में कई याचिकाएं दायर हुईं। मार्च में महाधिवक्ता कार्यालय ने सुनवाई के दौरान मुख्य सचिव और सहकारिता विभाग को सुझाव दिया कि चुनाव जल्द कराना जरूरी है। इसके बाद राज्य सहकारी निर्वाचन प्राधिकारी ने कार्यक्रम घोषित किया।
पुनर्गठन के बाद पहले चरण में चुनाव
चुनाव कार्यक्रम के तहत पहले चरण में उन समितियों को शामिल किया जाएगा, जो पुनर्गठित हो चुकी हैं। भारत सरकार के सहकारिता क्षेत्र के विस्तार के निर्देशों के कारण पहले पुनर्गठन पर जोर दिया गया, लेकिन अब हाईकोर्ट के दबाव में प्रक्रिया तेज की गई है।
महिलाओं के लिए संचालक मंडल में पद आरक्षित
निर्वाचन प्राधिकारी ने स्पष्ट किया कि सभी चरणों में व्यवस्थित ढंग से मतदान होगा। सबसे पहले रजिस्ट्रीकरण व निर्वाचन अधिकारी को सदस्यता सूची सौंपी जाएगी, जिसके बाद दावा-आपत्ति का निराकरण कर अंतिम सूची जारी होगी। महिलाओं के लिए संचालक मंडल में पद आरक्षित होंगे।
आमसभा की सूचना के साथ नामांकन और चुनाव प्रक्रिया पूरी की जाएगी। चुनाव प्रक्रिया में पारदर्शिता के लिए सदस्यता सूची प्रकाशन के बाद विशेष साधारण सम्मेलन बुलाकर अध्यक्ष, उपाध्यक्ष और जिला प्रतिनिधियों का चयन होगा।