KHABAR: धीरेंद्र शास्त्री बोले- कथा किसी जाति की बपौती नहीं, इटावा कांड पर नेता राजनीतिक रोटियां सेंक रहे, उमा ने कहा-ब्राह्मणों ने कभी विरोध नहीं किया, पढ़े खबर

MP 44 NEWS June 28, 2025, 3:17 pm Technology

भोपाल - उत्तर प्रदेश के इटावा में गैर ब्राह्मण कथावाचकों के साथ हुई मारपीट और बदसलूकी के मामले में यूपी में मामला गर्माया है। 25 दिन की विदेश यात्रा से लौटे पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री ने इस पर कहा कि इटावा में जो घटना हुई, वह निंदनीय है। उन्होंने कहा- अगर कथावाचक ने कोई गलती की थी, तो कानून और न्यायपालिका का सहारा लेना चाहिए था। खुद न्यायाधीश बनने से विद्रोह की स्थिति बनती है। भगवान की कथा किसी जाति विशेष की बपौती नहीं है। वहीं, इस विवाद पर मध्य प्रदेश की पूर्व सीएम उमा भारती ने कहा कि हमारे देश में ऐसा कोई विवाद नहीं हैं। राम कथा, कृष्ण कथा को लेकर, भागवत को लेकर कोई विवाद नहीं हैं। सबसे बडे़ कथावाचक मुरारी बापू ब्राह्मण नहीं हैं। ब्राह्मणों ने कभी आपत्ति नहीं की। पहले पढ़िए इस विवाद पर धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री ने क्या कहा? सनातन का प्रचार किसी जाति विशेष का नहीं धीरेंद्र शास्त्री ने कहा- महर्षि वेद व्यास, वाल्मीकि जी, मीरा, सूरदास, रविदास और कबीरदास जैसे महापुरुषों ने भगवान की चर्चा की, लेकिन किसी ने उनकी जाति नहीं पूछी। उनकी वाणी ही उनकी पहचान रही। भगवान का नाम ही उनकी पहचान है। कौवा कर्कश बोलता है, लेकिन रामचरितमानस में काग भुशुंडी महाराज की भी महिमा है। इसलिए जाति न पूछो साधु की पूछ लीजिए ज्ञान, मोल करो तलवार का, पड़ी रहने दो म्यान। जातिवाद से ऊपर उठकर राष्ट्रवाद की ओर बढ़ना होगा उन्होंने कहा कि कुछ नेता जातिवाद के नाम पर राजनीतिक रोटियां सेंक रहे हैं। भारत को हिंदू राष्ट्र बनाने के लिए जातिवाद से ऊपर उठकर राष्ट्रवाद की ओर बढ़ना होगा। इस उद्देश्य को लेकर वे 7 से 16 नवंबर तक दिल्ली से वृंदावन तक पदयात्रा करेंगे। यह यात्रा जातिवाद और ऊंच-नीच के भेदभाव को मिटाने का प्रयास होगी। अब पढ़िए पूर्व सीएम उमा भारती ने इस विवाद पर क्या कहा? : जिस तरह की घटना इटावा में सामने आई उस पर क्या कहेंगी? उमा भारती: मुझे उस पर कुछ कहना ही नहीं है। मैं मीडिया वालों को समझा भी रही हूं कि आप इस पर चर्चा ही मत करिए। क्योंकि, हमारे देश में ऐसा कोई विवाद नहीं हैं। राम कथा, कृष्ण कथा को लेकर, भागवत को लेकर कोई विवाद नहीं हैं। : अब ये कहा जा रहा है कि ब्राह्मणों के अलावा कथावाचक क्यों नहीं हो सकते? उमा भारती: हो नहीं सकते, हैं ही...और न ही ब्राह्मणों ने आज तक आपत्ति की है। सबसे बडे़ कथावाचक मुरारी बापू ब्राह्मण नहीं हैं। मैं तो कभी कथावाचक नहीं रही, मैं तो प्रवचनकार थी। इसलिए मुझे कभी प्रॉब्लम आ सकती है, ये सोच में भी नहीं आया। लेकिन मुरारी बापू तो कथावाचकों के पायोनियर माने गए हैं। वे तो स्वयं पिछड़े वर्ग से आते हैं। जो एक–दो घटनाएं होती हैं, उस पर लोगों की तीखी प्रतिक्रियाएं आती हैं। आप क्या सोचती हैं? उमा भारती: उसके लिए आप मीडिया वाले जिम्मेदार हैं। एक अति मामूली सी घटना किसी एक गांव में घटती है और वो भी प्लांड तरीके से। वो घटाई जाती है ताकी एक विवाद पैदा हो जाए। मैं हमेशा बोलती हूं कि विवादों को दिखाओगे नहीं तो खत्म हो जाएंगे। अखिलेश यादव ने तो उन कथावाचकों को सम्मानित किया। उमा भारती: उन्हीं ने इस तरह के आयोजन करवाए हों, मुझे ऐसा शक हो रहा है तो फिर मैं क्यों शामिल होऊं किसी साजिश में। आपको ऐसी संभावना है कि साजिश हुई है? उमा भारती: नहीं मुझे कोई संभावना नहीं लगती, मैं इस मैटर को बहुत हल्का मानती हूं। मैंने कहा भी है कि बडे़-बडे़ चैनल वाले इन फालतू की बातों को उठा रहे हैं। आज तक मैंने ब्राह्मणों को कभी विरोध करते हुए नहीं देखा। वेद व्यास महाराज तो केवट की पुत्री सत्यवती के पुत्र थे। उनके पिता शांतनु महाराज चंद्रवंशी क्षत्रिय थे। मेरे ख्याल से व्यासपीठ उन्हीं के नाम से जानी जाती है। इसलिए ये बातें व्यर्थ हैं। : इस तरह की चीजें बढ़ रही हैं तो सामाजिक समरसता के लिए क्या प्रयास होना चाहिए। उमा भारती: सामाजिक समरसता के लिए एक ही प्रयास होना चाहिए। मैंने देखा है कि आईएएस, आईपीएस जो लड़का होता है वो एससी हो, एसटी हो, ओबीसी हो। सब उसको अपनी लड़की दे देते हैं। मुख्य बात है कि सत्ता, शासन में बराबर की भागीदारी हो। उस भागीदारी का जब अभाव होता है तो ये बातें अन्य वर्ग को पीड़ा पहुंचाती हैं। हमारे छोटे भाई बागेश्वर महाराज ने एक पदयात्रा कर कहा कि जाति–पाति की करो विदाई। योगी जी ने कहा कि बंटेंगे तो कटेंगे। तो मैंने कहा था कि ठीक से बांटोगे तो नहीं बंटेंगे। ठीक से चीजें बांटों तो। एसटी, एससी, ओबीसी को रिस्पेक्टेबेल पोजिशन में रखो तो। गवर्नमेंट में कहां हैं, कैबिनेट में कहां हैं, सरकारों में कहां हैं। और उन जगहों पर रखो जहां आप निर्णय कर रहे हो।

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