रतलाम - रतलाम के बाजना रोड स्थित श्री जैन बालक हायर सेकंडरी स्कूल (हिंदी मीडियम) में कक्षा 9वीं से 12वीं तक की मान्यता का मामला अब तक सुलझा नहीं है। शुक्रवार को स्कूल प्रबंधन द्वारा छात्रों को स्कूल न आने के लिए कहे जाने के बाद छात्र और अभिभावक शनिवार को पैदल ही मंत्री चेतन्य काश्यप के निवास पर पहुंचे।
छात्रों के साथ अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (अभाविप) के पदाधिकारी भी मंत्री निवास पहुंचे और अपनी ही पार्टी के मंत्री के निवास के बाहर स्टूडेंट को साथ लेकर सड़क पर बैठ गए। जमकर नारेबाजी की। जिला शिक्षा अधिकारी मुर्दाबाद के नारे लगाए। पेरेंट्स प्रदर्शन के खिलाफ थे, लेकिन कुछ छात्र और पदाधिकारी सड़क से हटने को तैयार नहीं थे।
15 दिन से स्कूल आ रहे थे, अब अचानक मना कर दिया
छात्रों ने बताया, स्कूल प्रबंधन को पहले से जानकारी थी, लेकिन हमें नहीं बताया गया। हम पिछले 15 दिन से नियमित स्कूल जा रहे थे, अब अचानक मना कर दिया गया। हम उसी स्कूल में पढ़ना चाहते हैं। इसलिए मंत्री जी से मिलने आए हैं ताकि उन्हें अपनी समस्या बता सकें।
मंत्री चेतन्य काश्यप रतलाम से बाहर थे, इसलिए उनके प्रतिनिधि के रूप में भाजपा नेता मनोहर पोरवाल बाहर आए। उन्होंने अभिभावकों से मुलाकात कर ज्ञापन लिया और कहा, बच्चों को किसी प्रकार की परेशानी नहीं आने दी जाएगी। कलेक्टर और डीईओ से इस मामले में बात की गई है।
अपनी ही पार्टी के मंत्री के निवास के बाहर बैठे
दरअसल, विद्यार्थियों व पेरेंट्स को बात करने के लिए निवास के अंदर आराम से बैठकर बात करने के लिए कहा गया। लेकिन अभाविप के पदाधिकारी सड़क पर आकर बात करने की मांग पर अड़ गए। पेरेंट्स ने पदाधिकारियों को कहा अंदर चलकर बैठकर बात करते हैं। लेकिन पदाधिकारी मानने के लिए तैयार नहीं हुए। वे कहते रहे कि, यह विद्यार्थी परिषद है अंदर नहीं सड़क पर ही सबके सामने बात होगी। इस दौरान पेरेंट्स व पदाधिकारी भी आपस में उलझते रहे। अपनी ही पार्टी के मंत्री के निवास के बाहर सड़क पर बैठना कहीं ना कहीं गुटबाजी को दर्शाता है।
पेरेंट्स को कार्यालय में बुलाया गया
मंत्री के कार्यालय से पेरेंट्स और बच्चों को अंदर बुलाकर बात करने को कहा गया, लेकिन अभाविप पदाधिकारी सड़क पर ही चर्चा की मांग पर अड़े रहे। स्टेशन रोड थाना प्रभारी स्वराज डाबी पुलिस बल के साथ पहुंचे और समझाइश दी, लेकिन प्रदर्शनकारी नहीं माने।
दो दिन पहले कलेक्टर से भी की थी मुलाकात
इससे पहले गुरुवार को जब स्कूल आने से मना किया गया, तब पेरेंट्स ने स्कूल में विरोध जताया था। बाद में सभी कलेक्टर कार्यालय पहुंचे और एडीएम डॉ. शालिनी श्रीवास्तव से मिले थे। उन्हें भी आश्वासन दिया गया था, लेकिन समाधान नहीं हुआ। इसलिए छात्र पैदल मंत्री निवास पहुंचे।
बता दें कि, स्कूल में 9वीं से 12वीं तक कुल 164 छात्र हैं। पैरेंट्स के अनुसार अप्रैल से पढ़ाई शुरू हो चुकी है। बच्चे यूनिफॉर्म, किताबें, स्टेशनरी ले चुके हैं। ऑटो और अन्य इंतजाम भी हो चुके हैं। अब स्कूल से मना करना सही नहीं है।
डीईओ ने आवेदन में देरी बताई, स्कूल ने विभागीय गड़बड़ी
डीईओ ने पहले कहा था कि स्कूल ने समय पर मान्यता के लिए आवेदन नहीं किया। वहीं स्कूल प्रिंसिपल अमृतलाल भाबर ने बताया था, हमारे पास लोक शिक्षण संचालनालय से 2027-28 तक की मान्यता का प्रमाण-पत्र है। लेकिन पोर्टल पर केवल 2024-25 तक ही दर्ज है। इस विषय में उज्जैन और भोपाल को लगातार पत्र भेजे हैं, लेकिन अभी तक सर्टिफिकेट मान्य नहीं किया गया है।
विद्यार्थियों के अधिकारों का हनन है- अभाविप पदाधिकारी
अभाविप के प्रांत सह मंत्री कुशल यादव ने कहा, तीन महीने से बच्चे स्कूल जा रहे हैं, अब कहा जा रहा है कि किसी और स्कूल में एडमिशन लो। माता-पिता को गुमराह कर टीसी लेने को कहा जा रहा है। यह विद्यार्थियों के अधिकारों का हनन है। जनप्रतिनिधियों की जिम्मेदारी है कि वे इसका समाधान करें।
भाजपा नेता बोले- विभागीय गलती, जल्द सुधार होगा
भाजपा नेता मनोहर पोरवाल ने कहा, मान्यता का प्रमाण-पत्र 2027-28 तक का है, लेकिन पोर्टल पर अपडेट नहीं हुआ है। स्कूल प्रबंधन ने शिक्षा विभाग से पत्राचार किया है। विभागीय गलती को सुधारने के लिए भोपाल को पत्र लिखा गया है। नया आवेदन भी कर दिया गया है। बच्चों की पढ़ाई बाधित नहीं होने दी जाएगी।