KHABAR: देश में पहली बार चीतों की इंट्रास्टेट शिफ्टिंग, MP में 8 घंटे का सफर तय कर कूनो से गांधीसागर पहुंचेंगे पावक और प्रभास, पढ़े खबर

MP 44 NEWS April 20, 2025, 11:53 am Technology

देश में आज रविवार को पहली बार चीतों की इंट्रास्टेट शिफ्टिंग की जा रही है, यानी एक राज्य के भीतर ही चीतों को एक जगह से दूसरी जगह छोड़ा जाएगा। श्योपुर जिले के कूनो नेशनल पार्क से मंदसौर जिले के गांधी सागर अभयारण्य में मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव दो नर चीतों- पावक और प्रभास को छोड़ेंगे। मुख्यमंत्री नीमच जिले के रामपुरा होते हुए शाम 4 बजे कार्यक्रम स्थल पहुंचेंगे। वे कई विकास योजनाओं का भूमिपूजन और लोकार्पण भी करेंगे। कूनो नेशनल पार्क से सुबह 8 बजे गांधी सागर के लिए चीतों को लेकर टीम रवाना हो गई है। दोनों को ट्रेंकुलाइजर कर पिंजरे में डाला गया। ये वही पिंजरे हैं, जिन्हें इन चीतों को दक्षिण अफ्रीका से लाने के लिए तैयार किया गया था। वातानुकूलित गाड़ी में दोनों को अलग-अलग पिंजरे में रखा गया है। ये चीते राजस्थान के कोटा, झालावाड़ होते हुए शाम 4 बजे तक गांधी सागर पहुंचेंगे। यहां इन्हें 6 वर्ग किमी के बाड़े में छोड़ा जाएगा। 8 घंटे में 360 किलोमीटर की दूरी बिना रुके तय करेंगे। नर चीते पावक और प्रभाष करीब 6-6 साल के हो चुके हैं। इन दोनों को दक्षिण अफ्रीका से 18 फरवरी 2023 को लाया गया था। तस्वीर 5 फरवरी 2025 की है, जब मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कूनो नेशनल पार्क में 5 चीतों को खुले जंगल में रिलीज किया था। अभयारण्य में 8-10 चीतों को बसाने का इंतजाम इनके साथ डॉक्टर, सीसीएफ उत्तम शर्मा, रेंजर और उनकी देखरेख करने वालों समेत 20 लोगों की टीम है। करीब 10-15 दिन तक गांधीसागर अभयारण्य में रहकर कूनो की टीम वहां के स्टाफ को चीतों की देखरेख के गुर सिखाएगी। गांधी सागर अभयारण्य में वन विभाग ने चीतों के लिए 8900 हेक्टेयर का विशेष क्षेत्र तैयार किया है। यहां 8 से 10 चीतों को बसाने की व्यवस्था की गई है। चीतों के भोजन के लिए अभयारण्य में 150 से अधिक चीतल, 80 से अधिक चिंकारा, 50 से अधिक व्हाइट बोर्ड और 50 से अधिक नीलगाय मौजूद हैं। इसके अलावा यहां पहले से ही हिरणों की अच्छी-खासी संख्या है। गांधी सागर अभयारण्य में 8 से 10 चीतों को बसाने की व्यवस्था की गई है। अभयारण्य के 90 चीता मित्र कूनो में हो चुके ट्रेंड गांधी सागर अभयारण्य के रेंजर अंकित सोनी ने कहा- 90 प्रशिक्षित लोगों की टीम चीतों की देखरेख करेगी। इनकी ट्रेनिंग कूनो सैंक्चुरी में पूरी हो चुकी है। वन विभाग ने 16 किलोमीटर में एक परिक्षेत्र बनाया है, जिसमें चीतों को सुरक्षित रखा जाएगा। पानी की विशेष व्यवस्था के लिए सैंक्चुरी एरिया में तालाब बनाए गए हैं। डीएफओ संजय रायखरे ने बताया कि गांधी सागर अभयारण्य मंदसौर संसदीय क्षेत्र का महत्वपूर्ण हिस्सा है। चीतों की आमद से यहां पर्यटन को बढ़ावा मिलने की उम्मीद है। कूनो नेशनल पार्क से प्रभाष और पावक को गांधी सागर अभयारण्य में शिफ्ट किया जा रहा है। सड़क मार्ग से शिफ्टिंग, 8 घंटे लगेंगे कूनो नेशनल पार्क से चीतों को सैनिटाइज्ड वाहनों में लाया जा रहा है। दक्षिण अफ्रीका से जिन पिंजरों में चीतों को लाया गया था, उन्हीं के जरिए इन्हें गांधी सागर पहुंचाया जा रहा है। इन्हें पहुंचने में 8 घंटे तक लगेंगे, इसीलिए इनके साथ इमरजेंसी मेडिकल सुविधा वाले वाहन और टीम भी है। चीते बिना रुके सफर करते हुए गांधी सागर नेशनल पार्क पहुंचेंगे। यहां इन्हें 6 वर्ग किलोमीटर के बाड़े में छोड़ा जाएगा। गांधी सागर अभयारण्य में चीतों के लिए पानी के छोटे टैंक भी बनाए गए हैं। दो साल से बाड़े में थे दोनों चीते पावक और प्रभाष कूनो नेशनल पार्क के बाड़े में बंद थे। उन्हें जुलाई 2023 में पकड़कर बाड़े में बंद कर दिया गया था, क्योंकि तब गर्दन में इंफेक्शन होने से कुछ चीतों की मौत हो गई थी। अब कूनो में रह जाएंगे 24 चीते इन दोनों चीतों के कूनो नेशनल पार्क से जाने के बाद यहां 24 चीते रह जाएंगे। इनमें 13 भारतीय जबकि 11 विदेशी चीते हैं। इन 24 में से 17 चीते फिलहाल कूनो नेशनल पार्क के खुले जंगल में दौड़ लगा रहे हैं।

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