भोपाल -
मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा कि प्रस्तावित भोपाल और इंदौर मेट्रोपॉलिटिन एरिया के दायरे में आने वाले नगरीय निकायों को हर तरह से मजबूत किया जाए। इन नगरीय निकायों की प्रशासनिक क्षमता और दक्षता को भी विकसित किया जाए। साथ ही आर्थिक मजबूती देने और आर्थिक रूप से बूस्ट किया जाए। ये निकाय आपसी समन्वय से आधारभूत सुविधाएं अपने क्षेत्र में विकसित करें। उन्होंने कहा कि ऐसी पंचायतें जिन्हें नगर परिषद बनाया जा सकता है उन्हें नगर परिषद बनाया जाए।
सीएम यादव ने ये बातें भोपाल और इंदौर मेट्रोपॉलिटिन एरिया को लेकर शनिवार को बुलाई गई बैठक में कहीं। अफसरों ने मुख्यमंत्री की मंशा के अनुरूप मप्र मेटोपॉलिटिन क्षेत्र नियोजन और विकास अधिनियम 2025 में शामिल प्रस्तावों के बारे में जानकारी दी। अधिनियम विधानसभा के मानसून सत्र में लाया जा सकता है। मुख्यमंत्री ने बैठक में अधिकारियों से यह भी कहा कि दोनों ही मेट्रोपॉलिटिन एरिया के विकास के लिए समग्र विकास के प्रस्ताव बनाएं और लार्जर एरिया में सीवेज, वाटर सप्लाई, यातायात समेत अन्य सुविधाएं वृहद रूप से विकसित करें।
मुख्यमंत्री ने दोनों ही मेट्रोपोलिटिन एरिया के प्रजेंटेशन देखे। मेट्रोपॉलिटिन सिटी एरिया के गठन को लेकर आयोजित बैठक में भोपाल और इंदौर के साथ मेट्रोपॉलिटिन एरिया में जोड़े जाने वाले शहरी और ग्रामीण इलाकों को लेकर चर्चा की गई। बैठक में राजस्व मंत्री करण सिंह वर्मा, मुख्य सचिव अनुराग जैन, अपर मुख्य सचिव राजेश राजौरा, संजय शुक्ल, प्रमुख सचिव पंचायत और ग्रामीण विकास दीपाली रस्तोगी समेत अन्य अधिकारी शामिल रहे।
मुख्यमंत्री डॉ यादव ने इसके पहले ली गई मेट्रोपॉलिटन एरिया गठन संबंधी बैठक में कहा था,
अच्छे टाउन प्लानर्स को सरकार के कामकाज से जोड़ा जाए। प्रदेश के सभी नगरों में चल रहे सीवरेज प्रोजेक्ट्स जल्द से जल्द पूरे किए जायें। सीवरेज के लिए स्थायी प्रकृति के काम हों। शहरों के वेस्ट वाटर का नदियों में निस्तारण (डिस्पोजल) न होने पाए। इससे हमारी नदियां प्रदूषित होने से बचेंगी। सॉलिड वेस्ट के साथ लिक्विड वेस्ट (गंदा पानी) के समुचित निस्तारण पर भी विशेष ध्यान देकर प्रभावी कार्यवाही की जाए।
भोपाल कमिश्नर ने दो दिन पहले ली बैठक
भोपाल मेट्रोपॉलिटन सिटी में भोपाल, विदिशा, रायसेन, सीहोर और राजगढ़ को मिलाकर मेट्रोपोलिटन सिटी बनाने का काम होना है। इसके लिए 14 महीने में पांचों जिलों का सर्वे करने के साथ रीजनल डेवलपमेंट एंड इंवेस्टमेंट प्लान बनाया जाएगा। इस प्लान के आधार पर भोपाल को मेट्रोपोलिटन सिटी बनाया जाना है। संभागायुक्त भोपाल ने पांचों जिलों के कलेक्टर्स की मौजूदगी में बीडीए के सीईओ श्यामवीर सिंह ने प्रजेंटेशन दिया। यह पांच जिलों के आठ हजार वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र को कवर करेगा जिसमें भोपाल, विदिशा, रायसेन, सीहोर और राजगढ़ शामिल किया गया है। इन जिलों को जोड़ने से महानगर की आबादी 35 लाख हो जाएगी। इसके लिए चार स्टेज में काम किया जाएगा।
पहले चरण में टीम का गठन, सर्वे, बैठकें आयोजित कर अमलीजामा पहनाना, वर्क प्लान फाइनल करना, सभी विभागों का सर्वे अपने अपने एरिया में करना और विधानसभावार 18 विभागों का डेटा जुटाने का काम किया जाएगा। आखिरी स्टेज में इंजीनियरिंग, लागत अनुमान और वर्क प्लान की डीपीआर तैयार की जाएगी।
बताया गया कि दो जून को डीपीआर बनाने के लिए टेंडर निकाला जाएगा। इसके आधार पर टैंडर लेने वाली कंपनी को डीपीआर बनाने का काम सौंपा जाएगा। इस डीपीआर के लिए 18 विभागों से डेटा मांगा गया है। पांचों जिलों के गांव और शहरों को एक दूसरे से जोड़ा जाएगा। सड़कों को एक दूसरे से जोड़कर आवागमन आसान किया जाएगा। इन जिलों के पर्यटन क्षेत्रों को जोड़ा जाएगा। सैटेलाइट से गांवों को चिह्नित किया जाएगा। कचरा डिस्पोजल और सीवेज सिस्टम भी डेवलप किया जाएगा।