रतलाम - रतलाम शहर में पतंगबाजी के लिए उपयोग हो रही चायनीज डोर अब जानलेवा साबित हो रही है। रक्षाबंधन से लेकर रविवार तक दो दिन में दो बच्चों सहित 8 लोग घायल हो चुके हैं। इनमें से एक युवक की हालत अब भी गंभीर है। वह इशारों में बात कर पा रहा है। रविवार को दो और युवक चायनीज डोर की चपेट में आकर घायल हो गए।
गले में लगा गहरा घाव, 4 टांके आए
रविवार को रतलाम जिले के पलसोड़ी गांव के पास कमल (25) पिता कांतू मुनिया, निवासी कोटलिया (राजस्थान), बाइक चला रहा था। उसके साथ मां और चार साल की बेटी भी थीं। अचानक चायनीज डोर उसके गले में लिपट गई, जिससे वह गंभीर रूप से घायल हो गया।
कमल को मेडिकल कॉलेज में भर्ती कराया गया, जहां डॉक्टरों ने बताया कि गले में एक इंच गहरा घाव है, हालांकि सांस नली और मुख्य रक्त नलिकाएं कटने से बच गईं। गले में 4 टांके आए हैं। डॉक्टरों ने ईएनटी विभाग में इलाज जारी रखा है।
रविवार शाम को चायनीज डोर की चपेट में आए कमल व लखन राठौड़।
108 एंबुलेंस चालक भी घायल
रविवार शाम लखन राठौड़ (21), जो 108 एंबुलेंस का ड्राइवर है, भी घांस बाजार में चायनीज डोर की चपेट में आ गया। वह बाइक से किराना लेने जा रहा था। बाइक पर पीछे 108 के डिस्ट्रिक्ट मैनेजर भी सवार थे। अचानक डोर गले में फंस गई, जिससे दोनों तरफ घाव हो गया और उसे एक टांका आया।
गंभीर घायल युवक की हालत अब भी नाजुक
रक्षाबंधन के दिन समीर (19) पिता शकूर खान के गले की सांस नली कट गई थी। डॉक्टरों ने 45 मिनट के ऑपरेशन के बाद ट्रेकियोस्टॉमी ट्यूब लगाकर उसकी जान बचाई। अभी वह ICU में भर्ती है, और सिर्फ इशारों में बात कर पा रहा है। उसे तरल आहार दिया जा रहा है, और डॉक्टरों ने बोलने से मना किया है।
गले में 12 टांके आए
बांगरोद निवासी जितेंद्र प्रजापत भी शनिवार को चायनीज डोर की चपेट में आ गए थे। उनकी पत्नी संजू ने बताया कि पतंग की डोर अचानक गले में आ गई थी। गले में 10 से 12 टांके आए हैं और हादसे में एक उंगली भी कट गई।
शनिवार को चायनीज डोर की चपेट में आए जितेंद्र प्रजापत व समीर खान।
रक्षाबंधन पर भी कई घायल
शनिवार को सुभाष नगर निवासी आनंद गोसर और उनकी पत्नी मुस्कान, जावरा फाटक के पास से गुजर रहे थे, तभी डोर से घायल हो गए।
सेजावता निवासी समीर, रतलाम-जावरा फोरलेन पर चायनीज डोर से गंभीर रूप से घायल हो गया था। जितेंद्र प्रजापत और दो बच्चे भी उसी दिन अस्पताल में भर्ती हुए थे।
प्रशासन बेखबर, धड़ल्ले से बिक रही चायनीज डोर
स्थानीय लोगाें ने बताया कि चायनीज डोर पर प्रतिबंध के बावजूद बाजार में आसानी से उपलब्ध है। यह डोर मेटल से बनी होती है और बेहद तेज होती है, जो त्वचा को चीर देती है। ऐसे में सवाल उठता है कि प्रतिबंध के बावजूद प्रशासन इसे रोकने में क्यों नाकाम है।
सांस नली कटने पर 45 मिनट तक ऑपरेट कर घायल समीर की जान बचाने वाले डॉ. गोपाल यादव समीर से बातचीत करते हुए।
अब तक घायल लोग
कमल (25) – गले में 4 टांके, मेडिकल कॉलेज में भर्ती
लखन (21) – गले पर चोट, एक टांका
समीर (19) – सांस नली कटी, ICU में भर्ती
जितेंद्र प्रजापत – गले में 10-12 टांके
आनंद गोसर और पत्नी मुस्कान – मामूली घायल
दो बच्चे – शनिवार को घायल
जनता में रोष, कार्रवाई की मांग
लगातार हो रहे इन हादसों के बाद स्थानीय लोगों में नाराजगी है। लोगों का कहना है कि अगर समय रहते प्रशासन कार्रवाई करता और बाजार से चायनीज डोर हटवाता, तो इतने हादसे नहीं होते। लोगों ने मांग की है कि सख्त अभियान चलाकर डोर बेचने वालों पर कार्रवाई की जाए, ताकि और जानें न जाएं।
सूत की अपेक्षा ज्यादा शार्प होता है चाइनीज मांझा
भोपाल के एडवोकेट यशदीप सिंह ने बताया कि आमतौर पर पतंग उड़ाने के लिए दो तरह के मांझे का इस्तेमाल होता है। पहला सूती मांझा और दूसरा चाइनीज मांझा। सूती मांझे की अपेक्षा चाइनीज मांझा ज्यादा खतरनाक होता है। यह नायलॉन का बना होता है। इस मांझे पर कांच या मैटेलिक पाउडर से धार भी लगाई जाती है। यही वजह है कि यह सूत के मांझे से ज्यादा शार्प होता है।