भोपाल -
बॉन्ड भरने के बाद भी चिकित्सकीय सेवा से गायब रहने वाले डॉक्टरों पर सरकार सख्ती करेगी। इसके लिए डिप्टी सीएम ने ऐसा सॉफ्टवेयर तैयार करने को कहा है, जिससे ऐसे डॉक्टरों की अस्पताल में उपस्थिति जीपीएस-इनेबल्ड ऑनलाइन रहे। इस मामले में ऑफलाइन सिस्टम पूरी तरह से खत्म किया जाएगा।
उपमुख्यमंत्री और लोक स्वास्थ्य व चिकित्सा शिक्षा मंत्री राजेंद्र शुक्ल ने कहा है कि बॉन्ड अवधि पूर्ण करने वाले यूजी-पीजी बॉन्ड चिकित्सकों की वास्तविक सेवा उपस्थिति तय करने के लिए जीपीएस-इनेबल्ड ऑनलाइन अटेंडेंस प्रणाली सभी स्वास्थ्य संस्थाओं में लागू की जाए।
उन्होंने निर्देश दिए कि सॉफ्टवेयर में ऐसी व्यवस्था हो कि जब एक वर्ष की अवधि (सॉफ्टवेयर गणना अनुसार) पूरी हो, तभी एनओसी जारी हो जाए। उन्होंने विधिवत दायित्वों का निर्वहन करने वाले बॉन्ड चिकित्सकों को सहजता से ऑनलाइन एनओसी प्रदाय करने की व्यवस्था के निर्देश दिए। शुक्ल ने कहा कि ऑफलाइन एनओसी की व्यवस्था पूरी तरह समाप्त की जाए।
मंत्रालय में लोक स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा विभाग की समीक्षा बैठक में उपमुख्यमंत्री शुक्ल ने यह भी कहा कि ‘सार्थक’ ऐप में ऐसे प्रावधान किए जाएं, जिससे संस्था के जियो-रेफरेंस्ड क्षेत्र में मौजूद होने पर ही उपस्थिति दर्ज हो।इससे प्रक्रिया में पूर्ण पारदर्शिता बनी रहेगी और प्रदेश में स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार की स्थिति बनी रहेगी।
बैठक में प्रमुख सचिव लोक स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा संदीप यादव, आयुक्त तरुण राठी, एमडी एनएचएम डॉ. सलोनी सिडाना, संचालक स्वास्थ्य दिनेश श्रीवास्तव, एमडी एमपीएसईडीसी आशीष वशिष्ठ सहित विभागीय वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।