वरिष्ठ कांग्रेस नेत्री एवं पूर्व जिला पंचायत सदस्य मधु बंसल ने कहा कि प्रदेश सरकार ने शिक्षकों के लिए ई-अटेंडेंस अनिवार्य कर दी है अच्छा निर्णय है होना भी चाहिए लेकिन सिर्फ शिक्षकों पर ही क्यों अन्य विभाग के अधिकारियों व कर्मचारियों पर क्यों नहीं अन्य विभागों में बैठे अधिकारी और कर्मचारी अपनी जिम्मेदारी निभाने से लगातार बचते आ रहे हैं। जिला मुख्यालय और तहसील दफ्तरों में जनता घंटों चक्कर काटती है, लेकिन अधिकारी अपनी टेबल पर मौजूद नहीं मिलते। हालत यह है कि जनता को प्रमाण पत्र से लेकर छोटे-छोटे कामों के लिए बार-बार अपमानजनक स्थितियों का सामना करना पड़ता है। उन्होंने कहा कि भारत गांवों का देश है। गांव-गांव में पंचायत सचिव समय पर उपलब्ध नहीं होते, पटवारी हल्के से गायब रहते हैं यहां तक की महिला एवं बाल विकास जैसे विशाल विभाग के कर्मचारी व अधिकारी और स्वास्थ्य विभाग का अमला गांवमैं नहीं मिलता इन सबकी कोई जवाबदेही तय नहीं की जाती। ऐसे में सिर्फ शिक्षकों पर ई-अटेंडेंस का दबाव डालना साफ तौर पर सरकार की असल समस्याओं से आंखें मूंद लेने की कोशिश है। उन्होंने कहा कि शिक्षक पहले से ही अपनी जिम्मेदारी पूरी निष्ठा से निभा रहे हैं। 90% से ज्यादा शिक्षक रोज समय पर स्कूल पहुंचते हैं और बच्चों को पढ़ाते हैं। लेकिन व्यावहारिक कठिनाइयां भी कम नहीं हैं। ग्रामीण इलाकों में जहां नेटवर्क की सुविधा नहीं है, वहां ई-अटेंडेंस लागू करना अव्यवहारिक है। इसके विपरीत शहरों में जहां सारी सुविधाएं मौजूद हैं, वहां बैठे अधिकारी-कर्मचारी आराम से कामचोरी करते हैं, लेकिन उन पर कोई कार्रवाई नहीं होती। कांग्रेस नेत्री ने यह भी कहा कि शिक्षा का काम ही शिक्षकों की असली जिम्मेदारी है, लेकिन सरकार हर बार उन्हें ही चुनाव, योजनाओं और अब जनगणना जैसे कामों में भी झोंक देती है। पढ़ाई के साथ-साथ अतिरिक्त जिम्मेदारियों का बोझ लगातार बढ़ता जा रहा है। अब उपस्थिति पर भी सिर्फ शिक्षकों को निशाना बनाना न सिर्फ अन्याय है बल्कि शिक्षा व्यवस्था को कमजोर करने वाला कदम है।मधु बंसल ने सवाल उठाया कि जब तहसील और कलेक्ट्रेट जैसे बड़े कार्यालयों में बायोमेट्रिक मशीनें बंद पड़ी रहती हैं, जबकि सारे जिम्मेदार अधिकारी रोज इन्हीं कार्यालयों में मौजूद रहते हैं, तो फिर वहां कर्मचारियों की जवाबदेही क्यों तय नहीं होती? यह कैसी व्यवस्था है कि जिन कार्यालयों में रोज हजारों लोग अपने जरूरी काम लेकर आते हैं, वहां बायोमेट्रिक मशीनें धूल खा रही हैं और अधिकारियों का ध्यान इन चीज़ों पर नहीं है, जबकि शिक्षकों को कठघरे में खड़ा कर दिया जाता है? मधु बंसल ने स्पष्ट कहा कि ई-अटेंडेंस व्यवस्था का स्वागत तभी होगा, जब इसे सभी विभागों पर समान रूप से लागू किया जाए। सचिव से लेकर पटवारी तकतहसील व जिला मुख्यालय तक – हर स्तर के कर्मचारी इसमें शामिल किए जाएं। अगर जवाबदेही तय करनी है, तो सबके लिए एक समान नियम होना चाहिए। बंसल ने कहा कि प्रशासन को इस भेदभावपूर्ण रवैये पर तुरंत पुनर्विचार करना चाहिए। शिक्षकों का सम्मान और अधिकार सुरक्षित करना कांग्रेस की प्राथमिकता है।