मध्यप्रदेश में गांधीसागर फॉरेस्ट रिट्रीट शुक्रवार से शुरू हुआ है। CM डॉ. मोहन यादव ने यहां पहुंचकर फेस्टिवल की शुरुआत की है। फेस्टिवल के दौरान जमीन से आसमां तक की कई एक्टिविटी की गई। अंधेरा होने से सीएम का हेलिकॉप्टर नहीं उड़ सकता था, इसलिए सीएम अब गांधीसागर फॉरेस्ट रिट्रीट के पास हिंगलाज रिसोर्ट में ही रात रुकेंगे। शनिवार को सुबह भोपाल रवाना होंगे। कलेक्टरों से कहा-पूरे प्रदेश में सर्वे करो मुख्यमंत्री ने अपने संबोधन में कहा कि कहीं पीला मौजेक, कहीं ज्यादा पानी गिरने या प्राकृतिक आपदाओं से नुकसान हुआ है। हमने प्रदेश के सभी जिलों के कलेक्टरों से कहा है कि पूरे प्रदेश में सर्वे करो। कहीं भी किसानों को तकलीफ हुई है तो सरकार उसकी भरपाई करेगी। हमने प्रत्येक कदम पर किसान और उनसे जुड़ी योजनाओं को आगे किया है। कभी सोचा था 2600 रुपए क्विंटल गेहूं खरीदेंगे। डेढ़ साल में 2600 मिल गए। अभी तो 3 साल बाकी है। अगली बार और आगे बढ़ाएंगे। कांग्रेसियों के एक-एक पाप का हिसाब चुकता करेंगे मुख्यमंत्री ने कहा कि माता-बहनों की आज ही लाटरी लगी है। लेकिन, दुर्भाग्य के साथ कहना पड़ेगा कि ये कांग्रेसी कहते हैं कि बहनें पैसे से दारू पीती हैं। याद रखना जब भी मौका आए कांग्रेसियों के एक-एक पाप का हिसाब चुकता नहीं करेंंगे। तब तक शांति से नहीं बैठेंगे। अफीम की भाजी खाए बिना कैसा आनंद मुख्यमंत्री ने कहा कि जब आप यहां आओ तो अफीम की भांजी का खाना खाए बिना कैसे आनंद आएगा। लोग अफीम का नाम सुनकर डर जाते हैं। लेकिन, यह हमारे मंदसौर-नीमच में यह घर-घर बनती है। यहां की प्राकृतिक छंटा से आगे स्विट्जरलैंड भी फैल इस मौके पर मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा कि भगवान पशुपति नाथ के इस क्षेत्र का संबंध गंगाजी से जुड़ रहा है। एक तरफ महाकाल के चरण पखारकर क्षिप्रा अपनी यात्रा प्रारंभ करती है। क्षिप्रा में गंभीर समाहित होती है। आगे क्षिप्रा चंबल की गोद भर यात्रा बढ़ाती है। यह जमुना में चंबल मिलने के बाद विराट महासागर की तरह हिलोरे लेती है। यहां की प्राकृतिक छंटा से आगे स्विट्जरलैंड भी फैल है। इतना अच्छा जंगल लग रहा है। अब हमें इस बात का भी आनंद है कि चीता कहीं मिले न मिले हमारे गांधी सागर में दौड़ लगाता हुआ दिखेगा। पूरे एशिया में चीता नहीं है, लेकिन मध्यप्रदेश में दो-दो जगह चीता उपलब्ध है। गिद्ध की प्रजाति दूसरे नंबर पर कहीं है तो इसी अंचल में है। परमात्मा की कृपा नीमच-मंदसौर में थोड़ी ज्यादा हुई है। रात और दिन के चार प्रहर होते हैं। वैदिक घड़ी के हिसाब से एक दिन के 12 मुहूर्त और रात के भी 12 मुहूर्त होते हैं। हमारा वैदिक काल का हिस्सा तो 48 मिनट में पूरा होता है और कला 24 मिनट में। ये जो हिसाब लगता है इसके आधार पर हमारे देवी-देवता भी दिन में 4 बार अपने चेहरे से प्रकृति की लीला बताते हैं। पशुपतिनाथ का आनंद ऐसे ही थोड़े आता है। जीवन के चारों अवस्था के चित्र पशुपतिनाथ में मिलता है। अब पर्यटक गांधी सागर की तरफ आकर्षित होंगे सांसद सुधीर गुप्ता ने कहा कि आज यह क्षेत्र स्वदेश दर्शन और बुद्धिष्ट दर्शन सर्किट से जुड़ा है। जिस तरह से हर वर्ग के लिए आपकी योजनाएं हैं। तब मेरा अपना संसदीय क्षेत्र कैसे पीछे रह सकता है। अब देशभर से पर्यटक गांधी सागर की तरफ आकर्षित होकर आएंगे। गांधी सागर फॉरेस्ट रिट्रीट का यह चौथा संस्करण मंत्री धर्मेंद्र सिंह लोधी ने बताया, गांधी सागर फॉरेस्ट रिट्रीट केवल पर्यटन आयोजन नहीं हैं, बल्कि ये मध्यप्रदेश की प्राकृतिक धरोहर, सांस्कृतिक समृद्धि और पर्यावरण संरक्षण को एक साथ जोड़ने का प्रयास हैं। गांधीसागर ईको-टूरिज्म व साहसिक पर्यटन के केंद्र के रूप में उभरे हैं। गांधीसागर फॉरेस्ट रिट्रीट का उद्देश्य प्रदेश को एडवेंचर टूरिज्म के मानचित्र पर विशेष पहचान दिलाना है। वहीं कूनो फॉरेस्ट रिट्रीट हमारे लिए वेलनेस और वन्यजीव पर्यटन का हब है। इन आयोजनों से न केवल देश-विदेश से पर्यटक आकर्षित होंगे बल्कि स्थानीय समुदायों के लिए रोजगार के अवसर भी सृजित होंगे। गांधीसागर फॉरेस्ट रिट्रीट का यह चौथा संस्करण है। सर्व सुविधा युक्त ग्लेम्पिंग का आनंद उठाएंगे अपर मुख्य सचिव शिवशेखर शुक्ला ने बताया कि गांधीसागर फॉरेस्ट रिट्रीट, अनुभव-आधारित पर्यटन के उदाहरण हैं। इन आयोजनों में आने वाले मेहमान उच्चस्तरीय और सर्व सुविधा युक्त ग्लेम्पिंग का आनंद उठाएंगे और जल, थल एवं वायु आधारित साहसिक गतिविधियों जैसे पैरासेलिंग, पैरामोटरिंग, जेट स्की, हॉट एयर बैलूनिंग, जंगल सफारी, नाइट वॉक और स्टार गेजिंग का रोमांचक अनुभव प्राप्त करेंगे। ऑल सीजन टेंट सिटी के साथ ही बोट सफारी, बोट स्पा, योग एवं वेलनेस सत्र, स्थानीय व्यंजन, हस्तशिल्प प्रदर्शन और सांस्कृतिक प्रस्तुतियां पर्यटकों को प्रदेश की संस्कृति और जीवन शैली से निकटता से जोड़ेंगी। इन आयोजनों को हमने इस तरह से आयोजित किया है कि पर्यटन के साथ पर्यावरण संरक्षण, स्थानीय समुदायों की भागीदारी और सतत विकास को प्राथमिकता दी जाए।