चीताखेड़ा। हमारी भारतीय परंपरा में व्रत उपवास आदि सांस्कृतिक धरोहर के रूप में अत्यंत महत्वपूर्ण प्रतीक होते हैं। इसमें महिलाओं की और से अत्यंत ही रमणीय,सरल ह्रदय, प्रगाढ़ आस्था एवं उत्साहित होकर के हर धार्मिक कृत्यों में भाग लेने का अनुपम योगदान रहता है। सोमवार को अंचल में हर परिवार की दशा और दिशा को अनुकूल करने वाली मां दशा माता का व्रत सुहागिन महिलाओं द्वारा आस्था और श्रद्धा एवं भक्ति के साथ किया गया । महिलाओं ने दशा माता का पूजन किया और परिक्रमा आदि लगाकर भोग प्रसादी अर्पित की । सोमवार को सुबह से लेकर शाम तक पूरे अंचल में श्रृंगारित सुहागिन महिलाओं ने थाली में पूजन सामग्री सजा कर तथा पुराना धागा उतारकर नया सूत का धागा धारण किया ।दशा माता के नाम का 10 गांठ वाला नया धागा पूजन कर धारण किया ,वही दशा माता की कथा के श्रवण के बाद घरों की दीवारों पर मेहंदी एवं कुम कुम के स्वास्तिक चिन्ह एवं हाथों के छापे लगाएं, धूप, दीप ,अगरबत्ती और मेहंदी के साथ आरती उतार कर विशेष पकवान लापसी ,चावल का भोग लगाया। परंपरा अनुसार सनातन धर्म की महिलाएं रंग-बिरंगे परिधानों में सज धज कर पूजा करने के लिए माली मौहल्ले में स्थित रामलीला मैदान में पिपल की सुहागिनों ने बड़े ही उत्साह भरे माहौल में विधि विधान से पूजा अर्चना की ,बाद कनिष्ठ उंगली से पीपल के तने से सूखी छाल का टुकड़ा उखाडती है ऐसा करने से घर की दशा अच्छी बनी रहती है घर की दशा को लेकर श्रद्धा रखने वाले कई पुरुषों ने भी पत्नी के साथ दशा माता का व्रत किया।