चित्तौड़गढ़ - चित्तौड़गढ़ के अफीम तौल करवाने वाले किसानों के लिए खुशखबरी है। उनकी उपज के पेमेंट के लिए जहां उन्हें कुछ महीनों का इंतजार करना पड़ता था, वहीं अब उनका यह इंतजार खत्म हो जाएगा। किसानों की उपज अब उसी दिन ही नीमच फैक्ट्री भेजी जाएगी और एनालिसिस के 2 दिन बाद ही किसानों को पूरा पेमेंट दे दिया जाएगा।
ऐसा पहली बार होने जा रहा है कि चित्तौड़गढ़ के पहले, दूसरे डिवीजन और भीलवाड़ा जिले की अफीम और डोडाचूरा गाजीपुर नहीं बल्कि नीमच फैक्ट्री भेजी जा रही है। जबकि चित्तौड़गढ़ के तीसरे डिवीजन के किसानों की उपज हमेशा से ही नीमच फैक्ट्री जाती थी। विभाग के अधिकारियों का मानना है कि ऐसा करने से समय भी बचेगा और ट्रेन की बुकिंग में दिए जाने वाले खर्चों से भी बचा जा सकता है।
चंदेरिया स्टेशन से चलती थी ट्रेन, होता था लाखों का खर्चा
नारकोटिक्स विभाग में आज से अफीम तोल का काम शुरू हो चुका है। हर दिन तूली जाने वाली अफीम को चित्तौड़गढ़ में बनाए गए सेंट्रल गोदाम में रखा जाता था। महीने भर चलने वाले तोल का प्रोसेस पूरा हो जाने के बाद सभी को गाजीपुर एक विशेष ट्रेन के जरिए भेजा जाता था। इस ट्रेन की बुकिंग के लिए लंबा प्रोसेस भी चलता था। साथ ही इस बुकिंग के लिए लगभग 30 से 35 लाख रुपए दिए जाते थे। यह ट्रेन चंदेरिया स्टेशन से चलती थी और चंदेरिया स्टेशन तक ले जाने के लिए भी कई ट्रकों की बुकिंग की जाती थी। उसके लिए भी काफी रुपए खर्च किए जाते थे।
इस ट्रेन में चित्तौड़गढ़ के पहले, दूसरे डिवीजन के 7 भीलवाड़ा जिले की अफीम और डोडाचूरा लेकर जाया जाता था। विभाग ने पहल करते हुए होने वाले समय की बर्बादी और रुपयों का अतिरिक्त खर्च को कम करने के लिए अफीम को गाजीपुर ना ले जाने का फैसला किया है। अब यह अफीम उसी दिन मध्य प्रदेश के नीमच जिले में बने केंद्रीय गोदाम तक पहुंच जाएंगे।
बता दे कि, चित्तौड़गढ़ के तीसरे डिवीजन के अफीम सालों से नीमच जिले में ही जाया करती है। अब वहां सुविधाएं बढ़ा देने के कारण चित्तौड़गढ़ और भीलवाड़ा जिले की अफीम को भी अब नीमच ही भेजा जाएगा। नीमच से फिर यह अफीम एक साथ गाजीपुर भेजी जाएगी। गाजीपुर फैक्ट्री में जितनी भी अफीम की रिक्वायरमेंट होगी उसके हिसाब से ही वहां अफीम भेजी जाएगी।
'आरोपों से बचने के लिए पेमेंट पद्धति में किया चेंज'
सहायक नारकोटिक्स आयुक्त, कोटा जे. एस राजपुरोहित नहीं बताया कि इस बार एक और बदलाव किया जा रहा है। सरकार द्वारा किसानों से अफीम कलेक्ट करने के बाद उन्हें तुरंत 90 प्रतिशत पेमेंट दे दिया जाता था और फिर फैक्ट्री में परीक्षण के बाद 10 प्रतिशत पेमेंट दिया जाता था। 10 प्रतिशत पेमेंट आने में कई महीनों का इंतजार भी हो जाता था। इस बीच अगर चित्तौड़गढ़ में अफीम परीक्षण में किसी को उच्च केटेगरी (सेंट्रल गवर्नमेंट द्वारा बनाई गई पॉलिसी के अनुसार किसानों की अफीम की गुणवत्ता चेक की जाती है और उन्हें क्लास में बांटा जाता है) मिलती थी और फैक्ट्री में जाने के बाद परीक्षण के बाद अफीम की केटेगरी डाउन होती थी तो किसानों द्वारा अधिकारियों पर आरोप लगाया जाता था। रिकवरी का भी झंझट रहता था।
लेकिन इस बार ऐसा नहीं होगा। कलेक्ट किए गए अफीम को नीमच फैक्ट्री अगले दिन ही भेज दी जाएगी। वहां सेंट्रल गोदाम में अफीम का एनालिसिस किया जाएगा और 2 दिन में ही इसका रिजल्ट भी आ जाएगा। एनालिसिस के रिजल्ट आते ही किसानों को उनके फुल पेमेंट दे दिए जाएंगे। इससे विभाग पर हमेशा की तरह आरोप भी नहीं लगेंगे और किसानों को भी अपने पेमेंट का लंबा इंतजार नहीं करना पड़ेगा। बाकी CPS पद्धति से लिए जाने वाले डोडों का हाथों हाथ पेमेंट किया जाएगा क्योंकि इसमें मिलावट करने का कोई चांस नहीं होता है। किसानों से उनके पूरे डोडे ले लिए जाते हैं। CPS पद्धति के डोडों की फिक्स रेट होती है। किसानों को 200 रुपए किलो के हिसाब से पेमेंट किया जाता है। जबकि अफीम को उनके क्लास के हिसाब से 2000 से लेकर 2400 रुपए प्रति किलो की बीच पेमेंट किया जाता है।
गम पद्धति के लाइसेंस मिलने की हो सकती है उम्मीद
उन्होंने बताया कि इस बार लाइसेंस देते समय 4.2 पर हेक्टेयर काम मार्फिन रखा गया था। इस साल की पॉलिसी के अनुसार पिछले साल जिन्होंने 90 प्रतिशत से ज्यादा डोडे दिए थे उन्हें इस बार गम पद्धति के पट्टों के लिए लाइसेंस दिया गया था। इस बार किसानों में होड़ रहेगी। उन्हें इस बात की उम्मीद रहेगी की इस साल भी अगर 90 प्रतिशत से ज्यादा डोडे दिए जाएंगे तो अगले साल गम पद्धति के लाइसेंस मिलने का चांस रहेगा। हालांकि यह अगले साल की पॉलिसी पर डिपेंड करता है। इस बारे में तो दावे के साथ विभाग के अधिकारी भी कुछ नहीं कह सकते। बता दे कि किसान गम पद्धति से लाइसेंस लेना ज्यादा पसंद करता है क्योंकि उसमें उसका प्रॉफिट ज्यादा बनता है।
पहला डिवीजन
गांव दिए गए किसानों को गम पद्धति के लाइसेंस CPS पद्धति के लाइसेंस
हंकवाई
तुलाई करवाने वाले किसान
तहसीलें
327 5128 2616 71 7673 चित्तौड़गढ़, बस्सी, भदेसर, भिंडर, वल्लभनगर, कानोड़ और लसाडिया
दूसरा डिवीजन
गांव दिए गए किसानों को गम पद्धति के लाइसेंस CPS पद्धति के लाइसेंस
हंकवाई
तुलाई करवाने वाले किसान
तहसीलें
198 4431 1585 83 5933
गंगरार, राशमी, कपासन, भूपालसागर, डूंगला, मावली
तीसरा डिवीजन
गांव दिए गए किसानों को गम पद्धति के लाइसेंस CPS पद्धति के लाइसेंस
हंकवाई
तुलाई करवाने वाले किसान
तहसीलें
260 4705 2251 17 6939
निंबाहेड़ा और बड़ीसादड़ी
जिले की बेगूं और रावतभाटा तहसीलों का अफीम तौल भीलवाड़ा जिले में किया जाता है।