नीमच - प्रदेश के अग्रणी नेत्र चिकित्सालय गोमाबाई नेत्रालय के प्रोस्थेटिक विशेषज्ञ चिकित्सक ने रतलाम जिले के निवासी 59 वर्षीय राजेंद्र सिंह की करीब 37 वर्ष पूर्व पत्थर से लगी चोंट से क्षतिग्रस्त एक आँख का सफल ऑपरेशन करते हुए आर्टिफिशियल प्रोस्थेटिक आई ( नकली आँख ) प्रत्यारोपित कर रोगी को असहजता से निजात दिलाई हैं ।
-- नेत्रालय प्रबन्धन द्वारा जारी प्रेस विज्ञप्ति के अनुसार , 59 वर्षीय राजेंद्र सिंह को 37 साल पहले वर्ष 1988 में पत्थर से एक आँख में चोंट लगने के कारण एक आँख की दृष्टि तो खोई ही थी और साथ ही इस स्थिति को लेकर राजेंद्र सिंह सालों से बहुत असहजता एवं पीड़ा भी महसूस करते रहे थे ।
सालों से मानसिक तौर पर पीड़ा झेलने वाले राजेंद्र सिंह का अनेक नेत्र चिकित्सालयों में परीक्षण किया गया लेकिन संतोषजनक निदान नहीं हो पाया । हर जगह उनको क्षतिग्रस्त आंख निकालने की ही सलाह मिली जिसके लिए वह मानसिक रूप से तैयार नहीं थे । गोमाबाई नेत्रालय नीमच के बारे में जानकारी मिलने पर उनके परिजन नेत्रालय लेकर आये थे ।
नेत्रालय से सम्बद्ध प्रोस्थेटिक विशेषज्ञ चिकित्सक ने उनके नेत्र का सूक्ष्म परीक्षण कर कहा कि क्षतिग्रस्त आंख की रोशनी लौटना तो संभव नहीं है लेकिन प्रोस्थेटिक आई प्रत्यारोपित कर स्वरूप स्वाभाविक किया जा सकता हैं परिवार और रोगी की सहमति के बाद संस्थान में बहुत ही जटिल ऑपरेशन सावधानी और निपुणता से करते हुए रोगी की क्षतिग्रस्त आँख की जगह प्रोस्थेटिक आई प्रत्यारोपित की गई हैं ।
--- यह प्रत्यारोपित आँख बिल्कुल प्राकृतिक आँख की तरह ही दिखती एवं मूवमेंट करती हैं । सालों से असहजता और पीड़ा झेल रहे राजेंद्र सिंह अब पूरी तरह सहज हैं और मानसिक तकलीफ से मुक्ति पाकर उन्होने प्रसन्नता व्यक्त की है । उसका कहना है कि ऑपरेशन के बाद उनकी आंख स्वाभाविक रूप से असली जैसी ही लग रही है और वह निराशा से मुक्त हो गए हैं ।राजेन्द्र सिंह का कहना है कि , गोमाबाई नेत्रालय में उपचार और रोगी की देखभाल के बहुत अच्छे प्रबन्ध है और उच्च स्तरीय सेवाओं के लिहाज से उपचार भी बहुत किफायती है । उन्होंने नेत्रालय प्रबन्ध के प्रति आभार जताया है । उल्लेखनीय है कि कुछ वर्ष पूर्व गोमाबाईं नेत्रालय में प्रारम्भ की गई प्रोस्थेटिक आई शाखा में अभी तक अनेक रोगियों को प्रोस्थेटिक आई प्रत्यारोपित कर सम्बद्ध रोगियों को आत्मविश्वास दिलाने में सफलता हांसिल की है । यहां ऑपरेशन करवा कर लौटने वाले सभी रोगियों ने भी गोमाबाईं नेत्रालय प्रबन्धन को सराहा है ।