चित्तौड़गढ़ -
सनातन धर्म के प्रचार-प्रसार के लिए चित्तौड़गढ़ के 2 संत जापान में सत्संग के लिए 24 मई को जाएंगे। देश के 5 राज्यों से करीब 84 अनुयायी भी उनके साथ जाएंगे। सनातन धर्म के प्रचार के लिए दोनों संत पहले भी लगभग 20 देशों में कथा और सत्संग करवा चुके हैं। दोनों चित्तौड़गढ़ के करीब 21 अनुयाइयों के साथ बूंदी रोड स्थित रामद्वारे से बैंड-बाजे के साथ रवाना होंगे।
अंतर्राष्ट्रीय रामस्नेही संप्रदाय के संत रमता राम महाराज और उनके शिष्य संत दिग्विजय राम महाराज 24 मई से 1 जून तक जापान यात्रा में रहेंगे। जापान के टोक्यो और टोयामा में सनातन धर्म का प्रचार-प्रसार करने के लिए सत्संग कार्यक्रम का आयोजन होगा।
5 राज्यों से जाएंगे 84 अनुयायी
संत दिग्विजय राम महाराज ने बताया कि उनके साथ राजस्थान से चित्तौड़गढ़, भीलवाड़ा, मध्य प्रदेश से इंदौर, मंदसौर, गुजरात से अहमदाबाद, बड़ौदा, महाराष्ट्र से नासिक, मुंबई और तमिलनाडु से हैदराबाद के अनुयायी जाएंगे। कुल करीब 84 भक्त जाएंगे, जिसमें से 21 जने चित्तौड़गढ़ के भक्त शामिल है। उन्होंने बताया कि चित्तौड़गढ़ से उदयपुर और उदयपुर से दिल्ली जाएंगे। वहीं पर सब 84 जने एकत्रित होंगे। वहां से जापान के लिए रवाना होंगे।
27 मई को संत दिग्विजय महाराज मनाएंगे दीक्षा महोत्सव
उन्होंने बताया कि यह उनका आध्यात्मिक यात्रा है। 25 मई को सत्संग का आयोजन टोक्यो में होगा। वहीं पर रहने वाले अग्रवाल फैमिली द्वारा यह आयोजन किया जा रहा है। यहां से जाने वाले सभी अनुयायी का स्वागत सत्कार किया जाएगा। टोक्यो में रहने वाले भारतीय मूल निवासियों को भी सत्संग के लिए आमंत्रित किया गया है। महाप्रसादी भी अग्रवाल फैमिली द्वारा ही की जाएगी। जापान के समय अनुसार 5 से 6:30 तक यह सत्संग का आयोजन रहेगा। वहीं, 27 मई को संत दिग्विजय महाराज को दीक्षा लिए हुए 24 साल पूरे होंगे और 25वें साल में प्रवेश करेंगे। उन्होंने 27 मई 2001 में संत रमता राम महाराज से दीक्षा ली थी। इसलिए उसी दिन वे दीक्षा महोत्सव के रूप में मनाएंगे। 27 मई को टोयामा शहर में उनका जापान समय के अनुसार 5 से 8 बजे तक सत्संग का आयोजन होगा।
शास्त्र और शस्त्र की शिक्षा सभी को लेनी चाहिए
उन्होंने भारत-पाकिस्तान के युद्ध पर बोलते हुए कहा है कि हमारा देश वसुधैव कुटुंबकम् का संदेश देता है। भारत में सभी धर्म का सम्मान किया जाता है। भारत में कभी यह नहीं कहा कि मैं सुखी हूं, यहां हमेशा बोला जाता है कि सर्वे भवंतु सुखिनः, यानी विश्व में सभी सुखी रहे। मैं अपनी सत्संग में भी विश्व में शांति की बात करता हूं।
उन्होंने कहा कि पहलगाम में जो हुआ वो जघन्य पाप था। निंदनीय है। धर्म पूछ कर आघात दिया है। मैंने हमेशा अपनी कथा में जिक्र किया है कि अपने धर्म और संस्कृति के प्रति सब कुछ जागरूक होना पड़ेगा। हमारे धर्म में शास्त्र और शस्त्र दोनों ही शिक्षा दी जाती है। कोई अगर ऐसी हरकत करता है तो व्यक्ति को खुद को संबल बनाना चाहिए ताकि धर्म पूछ कर कोई आघात ना करें।
विदेश में करवा चुके हैं सत्संग और कथा
संत दिग्विजय राम महाराज ने बताया कि कहा कि मैं खुशनसीब हूं जो मुझे जल, थल और नभ में कथा और सत्संग करने का मौका मिला है। फॉरेन कंट्री की बात करें तो रमता राम जी महाराज के सानिध्य में उन्होंने भारत, दुबई, श्रीलंका, मलेशिया, सिंगापुर, इंडोनेशिया, बाली, साउथ अफ्रीका, स्वीट्जरलैंड, ऑस्ट्रिया, जर्मनी, इटली, फ्रांस, वेनिस, रूस सहित 20 देशों में कथा और सत्संग करवाया है।
उन्होंने कहा देश और विदेश को मिलाकर अभी तक लगभग कुल 100 कथा और सत्संग करवा चुके हैं। बता दें कि संतों का नानी बाई का मायरा कथा काफी पसंद किया जाता है। उनके कथा में लाखों की संख्या में भीड़ जुटती है। उन्होंने बताया कि इंडोनेशिया जाते समय उन्होंने फ्लाइट में ही सत्संग किया था। मलेशिया की क्रूज में भी उन्होंने सत्संग कर चुके है।