नीमच - वन परिक्षेत्र कार्यालय नीमच परिसर स्थित ईको-सेंटर में गुरूवार को अंतर्राष्ट्रीय जैव विविधता दिवस के उपलक्ष्य में एक विशेष परिचर्चा आयोजित की गई। इस वर्ष जैव विविधता दिवस की थीम "प्रकृति के साथ सामंजस्य और सतत विकास" रही, जिस पर केंद्रित कार्यक्रम में जैव विविधता के संरक्षण और उसके महत्व पर विशेषज्ञों ने अपने विचार साझा किए।
कार्यक्रम का संचालन वन परिक्षेत्र अधिकारी नीमच शरद जाटव ने किया। उन्होंने अंतर्राष्ट्रीय जैव विविधता दिवस के इतिहास, इसके उद्देश्य, रियो अर्थ समिट-1992 तथा जैव विविधता संरक्षण के तीन मुख्य सिद्धांतों संरक्षण, सतत उपयोग और जैव संसाधनों से प्राप्त लाभ का समान वितरण पर विस्तार से जानकारी दी।
सीनियर वेटनरी सर्जन डॉ.ए.आर.धाकड़ ने पशुओं में जैव विविधता के महत्व और मानव-जैव विविधता के आपसी संबंधों को स्पष्ट किया।
उप वन मंडल अधिकारी नीमच दशरथ अखंड ने वन विभाग के संरक्षण प्रयासों और पर्यावरणीय संतुलन में जैव विविधता की भूमिका पर प्रकाश डाला।
एस.एस.डी.ओ. उद्यानिकी संदीप प्रजापति ने उद्यानिकी में जैव विविधता के योगदान और इसके मानव जीवन में महत्व को रेखांकित किया। रामपुरा के परिक्षेत्र अधिकारी भानुप्रताप सोलंकी ने वन्यप्राणियों और पक्षियों की जैव विविधता के विषय में जानकारी दी।
कार्यक्रम के अंत में स्वामी विवेकानन्द पी. जी. कॉलेज की एन.एस.एस. छात्रा दिव्या माली ने गिद्धों की पारिस्थितिक भूमिका और उनके संरक्षण की आवश्यकता पर अपने विचार प्रस्तुत किए।
इस अवसर पर नीमच, रतनगढ़, जावद, रामपुरा, मनासा, जीरन सहित विभिन्न परिक्षेत्रों के अधिकारी सर्व प्रताप लाल गहलोत, विपुल प्रभात करोरिया, शास्वत द्विवेदी, रमेश प्रजापति, आशीष प्लास, अब्दुल सलाम तथा वन विभाग का समस्त स्टाफ एवं एन.एस.एस.के छात्र-छात्राएं उपस्थित थे।