KHABAR:- जैसा कर्म करेंगे वैसा ही फल मिलेगा - पंकज कृष्ण महाराज, श्रीमद् भागवत ज्ञान गंगा प्रवाहित, पढ़े खबर

MP44NEWS December 29, 2023, 12:14 pm Technology

हम जैसा कर्म करेंगे वैसा ही फल मिलेगा।इसलिए सदैव पाप कर्म से बचना चाहिए सदैव अच्छे कर्म करते रहना चाहिए। कर्मों के फल की सजा से राम कृष्ण भी नहीं बच पाए थे तो हम तो सामान्य इंसान हैं।अच्छे कर्म करेंगे तो अच्छा फल मिलेगा बुरे कर्म करेंगे तो बुरा फल मिलेगा। मनुष्य को सदैव पुण्य कर्म करते रहना चाहिए मनुष्य के जीवन का कब अंत हो जाए किसी को पता नहीं होता है अंत गति भक्ति के साथ रहे तो सद्गति होती है।यह बात पंकज कृष्ण महाराज ने कही।वे स्पेंटा‌‌ पेट्रोल पंप के पीछे न्यू इंदिरा नगर स्थितशनि मंदिर परिसर नीमच पर आयोजित श्रीमद्भागवत धर्म सभा में बोल रहे थे। उन्होंने कहा कि धर्मात्मा राजा उग्र सेन के यहां पापी कंस ने जन्म लिया तथा पापी हिरणाकश्यप के यहां भक्त प्रहलाद ने जन्म लिया था। पिछले जन्म के कर्मों का फल होता है।कंस ने 16 वर्ष की अल्पायु में की तपस्या की और शक्ति और बलवान बना था।और विश्व विजय को प्राप्त किया था। शक्ति प्राप्त करने के लिए भजन तप जप की आवश्यकता होती है। दहेज प्रथा का प्रारंभ राजा महाराजा के समय से हुआ था। आज गरीब लोगों को बेटे बेटी का विवाह कर्ज लेकर करने को मजबूर होना पड़ता है। दहेज प्रथा एक सामाजिक बुराई है इससे सभी को लेने और देने से दोनों से बचना चाहिए।क्रोध आने पर तुरंत जवाब नहीं देना चाहिए। क्रोध का परिणाम विनाश के रूप में सामने आता है। लाख सुख पाने के बाद भी कुंती महारानी ने परमात्मा से दुःख को ही मांगा था। क्योंकि दुःख में प्रभु का स्मरण रहता है।जीवन में सदैव पुण्य परमार्थ का पुरुषार्थ करते रहना चाहिए। दुःख की घड़ी के अंत समय में धन माया भी साथ नहीं देती है।सुख मिलने पर परमात्मा को प्रतिदिन सुबह धन्यवाद देना चाहिए। श्री कृष्ण को विदुरानी द्वारा केले के छिलके खिलाने विदुर प्रसंग से हमें यह शिक्षा मिलती है कि भगवत प्राप्ति में आडंबर नहीं प्रेम होना चाहिए।दक्ष प्रजापति के प्रसंग से हमें यह शिक्षा मिलती है कि भगवत प्राप्ति में अहंकार बाधक है। कपिल ध्रुव प्रसंग से हमें यह शिक्षा मिलती है कि मन से इंद्रियों को जीत कर प्रभु की प्राप्ती की जा सकती है। भगवान के दशावतार सृष्टि का विस्तार कैसे हुआ यह वैज्ञानिक दृष्टिकोण भी बताता है।सुनीति को अपनाएं तो ध्रुव जैसा बालक अवश्य जन्म लेगा जो भगवान को प्राप्त करा देगा।मानस पूजा मन से होती है। इसलिए वह सर्वश्रेष्ठ होती है। बेटी के घर पानी भी नहीं पीना चाहिए इसका अर्थ यह है कि उसके पारिवारिक कार्यों में हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए तभी बेटी का परिवार सुखी रहता है। आप में मर्यादा होती है और तू व तुम्हें तुम में प्यार निहित होता है।साधु संतों का संग करना चाहिए।आत्मा और मन निर्मल हो तभी परमात्मा के दर्शन होते हैं। कण कण में भगवान होता है। प्रकृति पशु पक्षी धरती पेड़ पौधे सभी प्राणियों में भगवान का स्वरूप होता है ।जीव दया कर प्राणियों की रक्षा करनी चाहिए। दीन दुखियों की सेवा का संस्कार भी सिखाना चाहिए ताकि उसके जीवन में पुण्य धर्म के संस्कार भी बढ़ते रहे। मृत्यु जीवन का सच्चा दर्पण है। ध्रुव ने 6 वर्ष की अल्पायु में तपस्या कर भगवान की गोद‌‌ को प्राप्त किया और 12हजार वर्ष धरती पर राज करने का वरदान प्राप्त किया था। भागवत कथा में महाराज ने श्री कृष्ण गोपी संवाद,कंस का अहंकार, ,सती ,शिव ,दक्ष प्रजापति संवाद मीरा, राधा कृष्ण , तुलसी, तुलसीदास ,ध्रुव ,पूतना आदि धार्मिक प्रसंग के महत्व पर विस्तार से प्रकाश डाला। श्रीमद् भागवत ज्ञान गंगा 30 दिसंबर तक प्रतिदिन दोपहर 1 से 4 बजे तक प्रवाहित हो रही है । .... भागवत में आज श्री कृष्ण रुक्मणी विवाह .. भगवताचार्य पंकज कृष्ण महाराज द्वाराआज गुरुवार को श्री कृष्ण रुक्मणी विवाह परिणय प्रसंग पर वर्तमान परिपेक्ष्य के महत्व पर प्रकाश डालेंगे। शुक्रवार को कृष्ण सुदामा चरित्र व शनिवार को श्रीमद् भागवत ज्ञान गंगा का विश्राम हवन यज्ञ के साथ होगा। महाआरती में इंदिरा नगर नीमच सिटी ग्वालटोली आदि क्षेत्र सहित विभिन्न क्षेत्रों केअनेक गणमान्य लोग उपस्थित थे। श्रीमद् भागवत कथा में सभी महिलाएं लाल हरे परिधानों में सहभागी बनी। महाआरती के बाद प्रसाद वितरण किया । ... गिरिराज पर्वत महोत्सव व 56भोग झांकी देख श्रद्धालु भाव विहल हुए ... भागवत कथा के मध्य जब महाराज ने गोवर्धन गिरिराज पर्वत पूजा व 56भोग का प्रसंग बताया तो भक्ति पांडाल में भजन पर भक्ति कर श्रद्धालु भक्तों द्वारा श्री कृष्ण बने 13 वर्षीय बालक हार्दिक नागर का पुष्प वर्षा से स्वागत किया गया। और सभी भाव विहल हो गए गोवर्धन गिरिराज पर्वत श्रृंगारित कर 56भोग लगाया। इस अवसर पर मातृशक्ति ने गिरिराज पर्वत की परिक्रमा लगाकर दुख समृद्धि एवं शांति के लिए प्रार्थना की।

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