पोस्ता मंडी समस्या ; पूर्व विधायक नन्दकिशोर पटेल का तीखा आरोप शासन - प्रशासन की अक्षमता पर पर्दा डालने के लिए व्यापारियों को लायसेंस निलंबित करने की धमकी , पढे खबर

December 19, 2022, 6:49 pm Technology

नीमच , 19 दिसम्बर । वरिष्ठ इंका नेता और पूर्व विधायक नंदकिशोर पटेल ने नीमच मंडी सचिव द्वारा व्यापारियों को पोस्ता नीलामी में भाग नहीं लेने पर लायसेंस निलंबित करने सम्बंधी जारी नोटिस को उनके स्वतंत्र व्यापार करने के आधारभूत अधिकारों पर गहन कुठाराघात निरूपित किया हैं । श्री पटेल ने कहा कि , व्यापारियों को नियमानुसार पोस्ते का कारोबार करने को कहा जा रहा है लेकिन हास्यास्पद और अक्षमता यह है कि भाजपा सरकार ने अभी तक इस बाबत कोई नियम ही नहीं बनाए गए हैं । यहाँ जारी एक बयान में श्री पटेल ने कहा कि , पूर्व में पोस्ता व्यापारियों को पोस्ता छनाई - सफाई करने की विधिवत अनुमति दी जाती थी और इससे निकलने वाले धुला पाली सहित सारी सामग्री सरकार द्वारा तय डोडाचूरा के निर्धारित ठेकेदार को सौंप दिया जाता था । नियमों की इस स्पष्ट व्यवस्था के चलते मंडी में सालों - साल से पोस्ता कारोबार सुचारू रूप से चलता रहा था । लेकिन 1 अप्रैल 2016 से केंद्र की मोदी सरकार द्वारा देश में डोडा की खरीद - फरोख्त को पूरी तरह अवैध घोषित किये जाने के बाद मध्यप्रदेश सरकार ने डोडाचूरा ठेके देना बंद कर दिए और सम्बन्धित सभी नियम भी निरस्त कर दिए गए थे । इसके साथ ही पोस्ता छनाई की अनुमति व्यवस्था भी बंद कर दी गई । श्री पटेल ने कहा कि , डोडाचूरा व्यापार प्रतिबंधित किया गया था जबकि पोस्ता व्यापार पर कोई रोक नहीं हैं । इसके मद्देनजर मध्यप्रदेश सरकार को वर्ष 2016 में ही तुरन्त पोस्ता कारोबार के तहत व्यापारियों को छनाई - सफाई करने की अनुमति और निकलने वाली सामग्री को नष्ट करने सम्बन्धी सुस्पष्ट एवं समुचित नियम बनाने चाहिए थे । ऐसा किया जाता तो पोस्ते के सालों से जमे - जमाए कारोबार और किसानों तथा व्यापारियों के हितों तथा परस्पर विश्वास भरे सम्बन्धों में कोई अवरोध नहीं आता । श्री पटेल ने कहा कि , अफीम उत्पादन के तहत जिस तरह डोडा चूरा स्वतः निकलता है ठीक वैसे ही पोस्ता दाना में प्राकृतिक रूप से धुलापाली एवं काला दाना समाहित रहता है । कोई भी किसान या व्यापारी बाहर से इन वस्तुओं की मिलावट नहीं करता हैं । ऐसे में जिस तरह 1400 से भी अधिक गावों में बसे लायसेंसधारी हजारों अफीम किसानों के डोडाचूरा नष्ट करने की तमाम व्यवस्थागत जिम्मेदारी राज्य सरकार की है ठीक वैसे ही पुख्ता और कानून सम्मत नियम और प्रबन्ध धुलापाली और काला दाना नष्टीकरण की जिम्मेदारी भी सरकार को अपने ऊपर लेनी चाहिए । ध्यान दें कि पोस्ता कारोबार से जुड़े व्यापारियों की संख्या तो महज 20 - 25 ही होगी और वह भी मंडी और गोदाम के सीमित दायरों में । * खोट सरकार की क्षमता में और चोंट व्यापारियों एवं किसानों पर --- वर्ष 2017 में उचित नियमों के निर्धारण की माँग को लेकर लम्बे समय तक बंद रही पोस्ता मंडी का उल्लेख करते हुए श्री पटेल ने कहा कि , नियत साफ़ और काम करने की क्षमता - योग्यता हो तो पोस्ता छनाई से अर्जित सामग्री के नष्टीकरण सम्बन्ध नियमों का निर्धारण और प्रबन्ध बहुत आसान हो सकता है । तब भी प्रदेश में मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान से इस माँग की अनदेखी ही की और समस्या को बढाया । इस संदर्भ में तत्कालीन काँग्रेस सरकार के मुख्यमंत्री कमलनाथजी के संज्ञान में यह विषय लाये जाने पर उनके निर्देशानुसार नियम निर्धारण की प्रक्रिया लगभग पूर्ण हो गई थी लेकिन अकस्मात षडयंत्र पूर्वक सरकार गिरा दी जाने से अपेक्षित नियम घोषित नहीं हो पाए थे । श्री पटेल ने कहा कि , इसके बाद ढाई साल से पुनःशिवराजसिंह चौहान के ही नेतृत्व में भाजपा सरकार है और काँग्रेस संगठन , व्यापारी वर्ग एवं किसानों की ओर से लगातार मांग किये जाने के बावजूद पोस्ता छनाई और निकलने वाली सामग्री के नष्टीकरण के लिए कोई नियम ही नहीं बनाएँ जा रहें हैं । श्री पटेल ने कहा कि , सरकार के जिस मंत्रालय वित्त एवं वाणिज्यिक कर विभाग को नियम बनाने हैं उसके मंत्री जगदीश देवडा स्वयं अफीम उत्पादक क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करतें हैं और इस समस्या के सभी पहलुओं को अच्छे से जानते हैं ।

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