चित्तौड़गढ़ - चित्तौड़गढ़ न्यायालय ने 3 अलग-अलग चेक बाउंस के मामलों में बोरीवाल कंस्ट्रक्शन के प्रोपराइटर जगदीश खटीक को दोषी मानते देते हुए कुल 18 महीने की सजा और 90 हजार रुपए जुर्माना सुनाया है। यह फैसला विशिष्ट न्यायिक मजिस्ट्रेट (एन.आई. एक्ट प्रकरण) चित्तौड़गढ़ की पीठासीन अधिकारी रितिका श्रोती ने सुनाया है। यानी आरोपी ने 4 लाख 50 हजार रुपए लिए थे लेकिन अब उसे 5 लाख 40 हजार रुपए चुकाने पड़ेंगे।
साल 2018 में लिए थे उधार
एडवोकेट ओमप्रकाश शर्मा ने बताया कि परिवादी हरिप्रसाद आमेटा और आरोपी जगदीश खटीक के बीच आपसी जान-पहचान थी। आरोपी को अपने कामों के लिए पैसों की जरूरत थी, जिस पर उसने परिवादी से 22 जनवरी 2018 को 4,50,000 रुपए नकद उधार लिए। इसके बदले में आरोपी ने IDBI बैंक के डेढ़-डेढ़ लाख रुपए के 3 अलग-अलग चेक जारी कर परिवादी को दिए।
चेक बैंक में जमा करवाया तो हुआ बाउंस
परिवादी ने जब ये चेक अपने बैंक खाते में भुगतान के लिए जमा करवाए, तो बैंक ने खाते में रुपए अपर्याप्त होने की जानकारी दी, जिससे तीनों चेक बाउंस हो गए। इसके बाद परिवादी ने अपने अधिवक्ताओं एडवोकेट ओमप्रकाश शर्मा, राजेन्द्र सिंह चौहान और सत्यनारायण माली के जरिए से आरोपी को रजिस्टर्ड एडी नोटिस भिजवाया, लेकिन आरोपी ने नोटिस के बावजूद राशि वापस नहीं की।
परिवादी ने न्यायालय में परिवाद पेश किया। सुनवाई के दौरान न्यायालय ने माना कि आरोपी ने जानबूझकर दिए गए चेकों की राशि का भुगतान नहीं किया, जिससे वह नेगोशिएबल इंस्ट्रूमेंट एक्ट की धारा 138 के तहत दोषी पाया गया।
न्यायालय ने अपने फैसले में आरोपी जगदीश खटीक को हर प्रकरण में मूल राशि के अलावा 30 हजार रुपए का जुर्माना लगाते हुए 6-6 माह की जेल भेजने की सजा सुनाई। इस तरह तीनों मामलों में कुल 5,40,000 रुपए जुर्माना और 18 माह की सजा आरोपी को दी गई।