KHABAR: कांग्रेस का मटका फोड़ प्रदर्शन, वार्डों में चलेगा अभियान, नलों में आ रहे गंदे पानी को लेकर महापौर और परिषद के खिलाफ लगाए नारे, पढ़े खबर

MP 44 NEWS May 3, 2025, 6:15 pm Technology

इंदौर - जलसंकट को लेकर शहर कांग्रेस कमेटी ने शनिवार को कलेक्ट्रेट चौराहा, मोती तबेला चौराहा, हरसिद्धि, पंढरीनाथ, छत्रीपुरा और छत्रीबाग पर मटका-फोड़, हल्ला बोल प्रदर्शन किया। कांग्रेस ने पहले इन क्षेत्रों से पदयात्रा निकाली गई। जिसके बाद शहरभर में पानी की समस्या को लेकर कांग्रेस नेताओं ने नगर निगम परिषद के खिलाफ मटके फोड़े गए। कांग्रेस नेताओं ने 'नगर निगम महापौर, परिषद पानी दो-पानी दो' नारे लगाए। प्रदर्शन के दौरान कांग्रेस नेताओं ने कहा कि शहर के सभी 85 वार्डों में आम जनता पानी के लिए तरस रही है। विभिन्न बस्तियों में पानी की समस्या है और नगर निगम महापौर एवं परिषद मस्त है, जनता त्रस्त है। कांग्रेस शहर कार्यवाहक अध्यक्ष देवेंद्र सिंह यादव ने कहा कि शहर के 40% से ज्यादा बोरिंग सूख गए हैं। कई जगह नर्मदा लाइन है पर पानी नहीं आ रहा है। फिर भी जनता को नर्मदा लाइन का बिल दिया जा रहा है। 85 वार्डों में पानी के टैंकर कम पड़ रहे हैं। कांग्रेस पार्षदों से भेदभाव किया जा रहा है। उनके क्षेत्र में पानी की समस्या बनी हुई है। जिन क्षेत्रों में नर्मदा की पाइपलाइन नहीं डाली गई है वहां की जनता बोरिंग और टैंकरों के भरोसे है, पर कई बोरिंग सूख गए हैं और टैंकर भी नहीं पहुंच रहे हैं। उन्होंने कहा कि लोग सुबह से रात तक खाली बर्तन लेकर पीने के पानी के लिए भटकते रहते हैं। जनप्रतिनिधि, अधिकारी सिर्फ घोषणा ही करते हैं जबकि जमीनी हकीकत अलग है। वैसे भी एक दिन छोड़कर नर्मदा का पानी दिया जाता है और पैसे पूरे माह के लिए जाते हैं। होटल, ढाबों, अस्पतालों, इमारतों, निर्माण स्थलों में पानी बेचा जा रहा है। कांग्रेस शहर कार्यवाहक अध्यक्ष देवेंद्र सिंह यादव के नेतृत्व में लोगों ने मटके फोड़े। अगले ढाई से तीन माह तक शहर में जलसंकट रहेगा यादव ने कहा कि बार-बार बिजली जाने से लोगों को भीषण गर्मी का सामना करना पड़ रहा है। मच्छरों का भी प्रकोप है। इसके अलावा पानी की किल्लत ने परेशान कर रखा है। ऐसे में नल में नर्मदा का साफ पानी आने के बजाय ड्रेनेज मिला काला और मटमैला पानी आ रहा है, जो पीने या अन्य किसी उपयोग में नहीं लिया जा सकता है। शहरवासियों को गंदे पानी की समस्या से भी परेशान होना पड़ रहा है। कई क्षेत्रों में पुरानी पाइप लाइनें सड़ गई या फिर टूट गई हैं, जिन्हें बदलना बहुत जरूरी है। नल में गंदा पानी आने की शिकायत नगर निगम मुख्यालय से लेकर जोनल ऑफिस, सीएम हेल्पलाइन, जलप्रदाय विभाग के अफसरों से की जाती हैं, मगर शिकायतों का निराकरण समय रहते नहीं होता और मुसीबत आमजन की हो जाती है। नलों में गंदा पानी न आए इसकी ठोस कार्ययोजना क्यों नहीं ? कांग्रेस नेताओं ने प्रदर्शन के दौरान कहा कि शहर में लोगों को पीने के लिए नर्मदा का साफ पानी देने की जिम्मेदारी नगर निगम के जलप्रदाय विभाग की है, मगर विभाग में तैनात डिग्रीधारी इंजीनियर अपनी यह जिम्मेदारी ठीक ढंग से नहीं निभाते हैं। सवाल तो यह है कि शहर में कहीं पर भी नलों में गंदा पानी न आए, इसको लेकर जलप्रदाय विभाग के अफसरों को सख्त आदेश दिए गए हैं, तो फिर इस आदेश का पालन क्यों नहीं होता? अफसर अपनी जिम्मेदारी निभाने में लेटलतीफी क्यों करते हैं? नलों में गंदा पानी न आए इसको लेकर ठोस कार्ययोजना क्यों नहीं बनती ? पानी और ड्रेनेज की नई लाइनें बिछाने के साथ पुरानी जर्जर लाइनों को क्यों नहीं बदला जाता? पानी सप्लाई को लेकर निगम जलप्रदाय विभाग थोड़ी ईमानदारी से काम कर ले तो जनता को काफी राहत मिल जाए।

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