KHABAR: इंदौर में दबंग दुनिया का सीईओ गिरफ्तार, डायरेक्टर किशोर वाधवानी की अग्रिम जमानत खारिज कराने की प्रक्रिया शुरू, 500 करोड़ की काली कमाई का मामला, पढ़े खबर

MP 44 NEWS May 2, 2025, 6:10 pm Technology

इंदौर - इंदौर में एक मीडया संस्थान के सीईओ पंकज मोजपुरिया की गिरफ्तार किया गया। वह एक धोखाधड़ी के मामले में नोटिस मिलने के बाद भी पुलिस की मदद नहीं कर रहे थे। गुरुवार को गिरफ्तारी के बाद उन्हें पूछताछ के लिए एक दिन के रिमांड पर लिया गया है। पुलिस ने डायरेक्टर किशोर वाधवानी और भतीजे नितेश वाधवानी की अग्रिम जमानत खारिज करने की प्रक्रिया भी शुरू कर दी है। एसीपी सेन्ट्रल कोतवाली विनोद दीक्षित के मुताबिक ब्लैक मनी को व्हाइट करने के मामले में फेक इनवाइस बनाकर उन्हें विज्ञापन में दिखाने के मामले में तुकोगंज पुलिस ने धोखाधड़ी संबंधी प्रकरण दर्ज किया था। मीडिया संस्थान के प्रमोटर्स किशोर वाधवानी और नीतेश वाधवानी से 2016 से 2020 के बीच की प्रतियां मांगी गई थी। इस मामले में उन्होंने एक वकील के माध्यम से पत्र भेजा और मामले की जानकारी सीईओ पंकज मोजपुरिया को जानकारी होने की बात कही थी। पुलिस पंकज को लगातार कॉल कर बुला रही थी। लेकिन वह बयान के लिए उपस्थित नहीं हो रहे थे। इसके बाद उन्हें दो बार नोटिस भेजे गए। जब नोटिस के जवाब पर भी वह नहीं पहुंचे तब गुरुवार को उन्हें गिरफ्तार किया गया। दो जगह की सर्चिंग, नहीं मिले अखबार एसीपी विनोद दीक्षित के मुताबिक उन्होंने मामले में सांवेर रोड़ स्थित प्रिटिंग प्रेस और रेसकोर्स रोड़ स्थित आफिस पर सर्चिंग की। दोनों ही जगह उन्हें अखबार की प्रतियां नहीं मिली। पूछताछ में पकंज मोजपुरिया ने बताया कि बेसमेंट में पानी भरा होने से अखबार की प्रतियां गायब हो गई थी। रद्दी होती थी कर्मचारी के यहां जमा पुलिस को अखबार के कुछ कर्मचारियों से अलग से पूछताछ में जानकारी मिली है कि ऑफिस में ही एक अन्य कर्मचारी अपने खजराना इलाके में स्थित गोदाम में अखबार की कॉपियां इकट्‌ठा करता था। जिसे बाद में रद्दी में बेच देता था। कुछ अन्य कॉपियां विजयनगर इलाके के एक गोदाम में रखी जाती थी। पुलिस इस मामले में आज सर्चिंग कर सकती है। छोटे विज्ञापन में होती थी लाखों की बिलिंग पुलिस को जांच में पता चला कि पूरा खेल अखबार के अकाउंट डिपार्टमेंट में होता था। जिसमें छोटे विज्ञापन के बदले लाखों की बिलिंग होती थी। इसी को लेकर फेक इनवाइस बनाए गए थे। जीएसटी सतर्कता महानिदेशालय (डीजीजीआई) को यह फेक इनवाइस सर्चिंग में मिले थे। उस समय प्रकरण में कई कर्मचारियों को तलब भी किया गया था। बाद में पूछताछ कर उन्हें छोड़ दिया था।

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