KHABAR: सर्पदंश होने पर तत्‍काल नजदीकी शासकीय संस्‍थाओं से उपचार प्राप्‍त कर जीवन रक्षा करें , पढ़े MP44NEWS पर खास खबर

MP 44 NEWS July 1, 2025, 7:08 pm Technology

नीमच - मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ.आर.के.खद्योत ने बताया, कि वर्तमान में वर्षा ऋतु में सर्पदंश की घटनाएं बढ़ जाती है। इस दौरान सांप व अन्य जीव जंतु अत्यधिक सक्रिय हो जाते है और मानव बस्तीयों के नजदीक आ जाते है। इस कारण सर्पदंश की घटनाये होती है। अतः जिले वासियों से अपील की जाती है, कि बरसात के मौसम में सचेत रहे और यदि सर्पदंश की घटना घटित होती है, तो मरीज को बिना किसी देरी के तत्काल प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र लेकर पहुंचे, जिससे समय पर इलाज प्रारंभ किया जा सके। विकासखण्ड जावद में वन क्षेत्र में आबादी होने तथा पहाड़ी क्षेत्र होने से इस क्षेत्र में प्रति वर्ष सर्पदंश के केस मिलते है। अतःजावद विकासखण्ड के सिविल हास्पि‍टल जावद, सामु.स्वा.केन्द्र सिंगोली, प्राथमिक स्‍वा.केन्द्रनयांगाव, अठाना, सरवानियामहाराज, लासुर, डीकेन, जाट, रतनगढ़, काकरियातलाई, अथवाकला, कदवासा, झांतला पर पर्याप्त मात्रा में सर्पदंश के उपचार हेतु एन्टी स्नेक वेनम (ASV) उपलब्ध है। सर्पदंश का उपचार सभी संस्थाओ में 24*7 नि:शुल्क उपलब्ध है। किसी भी आपात स्थिति‍ में चिकित्सा सेवाएं मिलने में विलम्ब होने पर डॉ.राजेश मीणा, बी.एम.ओ. डीकेन मो.न. 9424544269 तथा डॉ.आर.के. खद्योत सीएमएचओ नीमच मो.न 9993357287 पर सुचित किया जा सकता हैं। मुख्‍य चिकित्‍सा एवं स्‍वास्‍थ्‍य अधिकारी डॉ.आर.के.खद्योत ने बताया, कि सर्पदंश की घटनाओं को नियत्रित करने हेतु निम्न उपाय किये जावे। उपयोग करने से पहले स्लीपंग बैग, जुते, कपड़ों को खोलकर हिलाएं, जिससे उसमे छुपे हुए सांप व अन्य कीडे़ भी बाहर निकल जाये। किसी भी पेड़ के नीचे बैठने से पहले जमीन की जांच कर ले। झांड़ि‍यों या गहरी रेत में चलते समय जूते, मोजे और लंबी पत्तलून पहने। रात में टहलते समय या जलाने की लकड़ि‍यों को इकट्ठा करते समय या शौच करते समय विशेष रूप से भारी बारिश के बाद टार्च का प्रयोग करें। झरनों, नदियों और झीलों के पास किनारे पर जाते समय विशेष ध्यान रखे। सांपो को परेशान न करे, न उनके पास जाये। जो लोग जमीन पर सोते है, वो मच्छरदानी का यूज करें। यथा संभव पंलग पर ही सोये। ऐसी जगह पर जंहा सांपो का खतरा रहता है, वहां पर छडी से जमीन पर आवाज करते हुए चले। पत्थरों के नीचे गड्डे के अंदर जिन जगहों पर सांपो के छुपे होने की आंशका रहती है, उन जगहों से छेड़छाड़ न करें। अपने घर के आसपास की घास की समय- समय पर सफाई करवाते रहे। घर या दुकान के पास में किसी तरह का कचरा, कूड़ा, कबाड़ इक‌ट्ठा न करें। घर या दुकान में छोटे गडढे़ और दरार है, तो उसे बंद करे। सांप को अकेला छोड़ दे, कई बार सांप के ज्यादा नजदीक आने के कारण लोग सर्पदंश का शिकार बन जाते हैं। अपने हाथ व पैर को उन स्थानों से यथा सम्‍भव दूर रखे, जहाँ पर आपकी दृष्टि न पड़ती है, यदि मजबुत चमडे़ के जुते न पहने हो, तो ऊंची घास वाले स्थानों से दूर रहे, जहां तक सम्भव हो स्वयं को पगडण्डियों तक सीमित रखे। पानी का मटका भूमि से ऊपर स्टेंड पर ही रखें। सर्प दंश के लक्षण:- सर्प काटने वाली जगह पर दर्द, सूजन, काटने के स्थान पर छिद्र या दांत के निशान, लालिमा या नीला पड़ना, उल्टी व जी मचलाना, अकड़न व कपंकपी, एलर्जी, स्किन कलर में बदलाव, पेट दर्द, दस्त, बुखार सिरदर्द, काटने वाली जगह काली पडने लगी हो, कमजोरी, प्यास लगना, लो बीपी, घाव से खून बहना, अंगो के आसपास के हिस्से का सुन्न पड़ना, पीड़ि‍त को आखे खोलने तथा बोलने में कठिनाई होना, पेशाब में खून बहने, सांस रुकने लगेगी एंव अंगो के काले पड़ने की संभावना, यदि ऐसे लक्षण दिखाई दे, तो मरीज को तत्काल शासकीय अस्पताल लेकर चिकित्‍सक को दिखाए और उपचार लें। यदि सर्पदंश की घटना घटित हो जाए, तो शांत रहे, घबराये नही, पीड़ि‍त को आराम दे, सर्पदंश स्थल को स्थिर रखे, जल्दी से जल्दी अस्पताल पहुंचे, सर्पदंश स्थल को साफ व खुला रखे, सांप के पहचाने की कोशिश करे, बस उसके रंग आकार व अन्‍य विशेषताओं को याद रखें। सर्पदंश की स्थिति में घाव को काटने या चूसने का प्रयास नहीं करना चाहिए, बर्फ या आईसपैक न लगाये, शराब या अन्य नशीले पेय पदार्थ का सेंवन न करे। घाव को धोने की कोशिश न करे, स्वयं किसी भी प्रकार की दवाई मरीज को न दे। सपेरे या तांत्रिक झांड फूक के चक्कर में न पडे़, नजीदीकी अस्पताल तक पहुंचे और नि:शुल्क 108 संजीवनी एम्बुलेन्स को फोन करें। उक्‍त उपायों पर अमल कर व सतर्कता व सावधानी तथा तत्‍काल उपचार से सर्पदंश से होने वाली जनहानि से बचा जा सकता हैं।

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