दो साल की पाबंदियों के बाद उमड़ा आस्था का सैलाब, मां भादवा के दरबार में शीश नवाने हजारों श्रद्धालुओं ने की पद यात्रा -मालवा की वैष्णोदेवी के नाम से प्रसिद्ध हैं,मां भादवा का धाम -श्रद्धालुओं को स्वल्पहार कराने भी संस्थाओं ने निभाया जिम्मा

DEEPAK KHATABIYA May 12, 2022, 3:27 pm Technology

नीमच । नीमच जिले में मां भादवा विराजित हैं,इस धाम को मालवा ओर मेवाड़ में मालवा की वैष्णोदेवी के नाम से जाना जाता हैं। मां भादवा के दरबार में दर्शन बावड़ी के जल से स्नान और कुछ दिन रुकने मात्र से ही लखवा और अन्य रोगों से लोगों को मुक्ति मिलती हैं। मां भादवा के दरबार में लोग आते तो औरों के सहारे हैं,लेकिन मां की महिमा उन लोगों को अपने पैरों पर यहां से भेजती हैं। मां भादवा के इन चमत्कारों से मालवा और मेवाड़ का हर एक शख्स वाकिफ हैं। कोरोना काल में दो साल की पाबंदियों के कारण मां भादवा के दरबार में सुरक्षा के तौर पर श्रद्धालुओं के दर्शन पर प्रतिबंध था। लेकिन इस बार चैत्र नवरात्रि में जैसे ही कोरोना के तमाम प्रतिबंध हटे,तो श्रद्धालु मां भादवा के दर्शन को उमड़ पड़े। इस बार की चैत्र नवरात्रि में नो ही दिन माता के दरबार में विशेष आराधना ओर पूजा-अर्चना का दौर चलता रहा,प्रतिदिन दृर-दराज के क्षेत्रों से श्रद्धालुओं ने पहुंच कर मां भादवा के दरबार में आस्था के शीश नवाये। महाष्टमी पर भादवामाता में विशेष हवन आयोजित किया गया,जिसमें यजमानों ने आहुतियां देकर क्षेत्र में सुख-शांति और समृद्धि की मंगल कामना की। महाष्टमी की शाम से ही बड़ी संख्या में नीमच समेत आस-पास के जिलों के श्रद्धालु बड़ी संख्या में महामाया भादवामाता के दर्शन के लिए पैदल रवाना हुए। पदयात्रियों के पैदल जाने का सिलसिला देर रात तक चलता रहा,श्रद्धालुओ ने पैदल-पैदल दरबार में पहुंच कर क्षेत्र को मां भादवा के जयघोष से गुंजायमान कर दिया। और मां भादवा के दरबार में आस्था के शीश नवाये। मां भादवा के दरबार में जाने वाले श्रद्धालुओं की सेवा करने से शहर के समाजसेवी ओर समाजिक संस्थाए भी पीछे नहीं हटी,शहर समेत भादवामाता तक के मार्ग पर जगह-जगह स्टॉल लगाई गई। जहां श्रद्धालुओं को रोक कर उनकी सेवा की गई,और उन्हें स्वल्पहार करवाया गया।

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