OMG : अजब प्रेम की गजब कहानी, पत्नी को खोने का ऐसा गम, मौत के बाद पति ने शव को घर के अंदर ही किया दफन, मोहल्ले में मचा हड़कंप, जिद से पुलिस भी हैरान, पढ़े खबर

MP 44 NEWS August 26, 2022, 11:52 am Technology

डिंडोरी. मध्य प्रदेश के डिंडौरी जिले में बीमार पत्नी की मौत के बाद पति ने शव को घर के अंदर दफना दिया. जानकारी लगते ही मोहल्ले में हड़कंप मच गया और स्थानीय लोगों ने हंगामा मचाना शुरू कर दिया. स्थानीय लोगों के विरोध के बाद प्रशासन मौके पर पहुंचा और शव को बाहर निकाला गया और श्मशान घाट में दोबारा विधि-विधान से दफनाया गया. दरअसल, वार्ड नं 14 निवासी शिक्षक ओंकार दास मोंगरे की पत्नी रुक्मणि लंबे समय से बीमार थीं. 23 अगस्त की सुबह अस्पताल में उनकी मौत हो गई. परिजनों ने अंतिम संस्कार की तैयारियां शुरू कर दी थीं लेकिन पति ओंकार दास ने घर के अंदर ही शव दफनाने की जिद पकड़ ली और घर के सामने स्थित कमरे में गड्ढा खोदकर शव को दफना दिया. इस बात की जानकारी जैसे ही आसपास के लोगों को लगी वे आक्रोशित हो गए. स्थानीय लोगों का कहना था कि मोहल्ले की महिलाएं व बच्चे इस घटना से काफी डरे सहमे हुए हैं, लिहाजा शव को श्मशान घाट में दफनाया जाए. मोहल्ले के लोग रात में ही कलेक्ट्रेट कार्यालय पहुंच गए और प्रशासन से इस मामले में दखल देने की मांग करने लगे.

घर से अंदर से निकलवाया गया शव

गौरतलब यह है कि मृतका पनिका समाज से है और पनिका समाज में शव को घर के अंदर दफनाने की परंपरा है. मृतका का पति भी प्रशासन को परंपरा का हवाला दे रहा था लेकिन लोगों के विरोध को देखते हुए पुलिस और प्रशासन ने शव को घर के अंदर से निकलवा कर श्मशान में दफना दिया. तब कहीं जाकर मामला शांत हुआ. डिंडोरी कोतवाली टीआई सीके सिरामे ने बताया कि वार्ड क्रमांक 14 से 23 अगस्त की सुबह एक महिला के शव को घर में ही दफनाए जाने की जानकारी मिली थी. आसपास के लोगों को ऐतराज था और उन्होंने थाने में आकर शिकायत दर्ज कराई थी. पुलिस बल लेकर मौके पर पहुंचे. राजस्व विभाग के अधिकारियों और नगर पंचायत के अधिकारियों को भी इस मामले से अवगत कराया गया. 24 अगस्त को शिक्षक के घर पहुंचे. परिजनों को समझाकर शव को पहले घर से निकलवाकर श्मशान घाट में दफनाया गया है. भांजा बोला- लंबे समय से बीमार थी मामी

टीचर के भांजे जगपाल ने बताया कि मामी लंबे समय से बीमार थीं. 23 अगस्त की सुबह उनका निधन हो गया. निधन के बाद मामा ओंकार दास मोंगरे ने जाति-समाज की परंपरा के अनुसार घर के आंगन में ही उनका विधि-विधान से उनका अंतिम संस्कार करवाया. दोनों के कोई बच्चा नहीं था. वो चाहते थे कि उनकी पत्नी का अंतिम संस्कार घर में ही हो. वह हमेशा के लिए अपनी पत्नी के साथ रहना चाहते थे.

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