नीमच 19अप्रेल (केबीसी न्यूज़) दूसरों के दर्द को अपना दर्द समझे यही सच्ची संवेदना होती है। संवेदना के बिना मनुष्य पशु के समान होता है।
जीव दया बिना आत्मा का कल्याण नहीं होता है।जीवो के प्रति प्रेम होता है वही सच्ची सेवा होती है। जीवो के प्रति दया रखेंगे तभी आत्म कल्याण होता है।यह बात संयम रत्न जी महाराज ने कहीं। वे पुस्तक बाजार स्थित नवीन आराधना भवन मेंभीड भंजन पार्श्वनाथ मंदिर श्वेतांबर समाज के त्वावधान में आयोजित धर्म सभा में बोल रहे थे। उन्होंने कहा कि मनुष्य जीवों के प्रति तरल स्वभाव रखे तो जिस प्रकार दरवाजा बंद होने पर भी पानी नीचे से अपनी जगह बनाकर रास्ता बना लेता है इस प्रकार यदि मनुष्य तरल स्वभाव का रहेगा तो वह जीवन में अपना मार्ग बना लेता है।मनुष्य यदि अकड़ रखता है तो वह कुछ भी नहीं कर सकता है।मनुष्य जीवन में यदि तरल स्वभाव होगा तो कठिनाइयां सरलता से सहन हो सकती है।यदि हम तरल बनेंगे तो कहीं भी सफलता पूर्वक प्रवेश कर सकते हैं। मोह माया की ममता का त्याग किए बिना सफलता नहीं मिलती है।इंसान सीधा होता है तो वह कहीं भी जा सकता है।
अनुभव ज्ञान सबसे बड़ा ज्ञान होता हैं।पुण्य कर्म के बिना संतों के दर्शन नहीं होते हैं साधु तीर्थ के समान होते हैं। संतों की संगत करने से हमें पुण्य मिलता है। मनुष्य ज्ञान से नहीं प्रेम से विद्वान होता है।अपनी स्वयं की आत्मा के समान ही दूसरों के प्राणियों मे भी देखना ही पंडित होता है। तपस्या का पुण्य कर्म करते हैं तो धर्म लाभ का पुण्य मिलता है और पाप कम होता है।जीवन में कभी भी गुरु साधु साध्वी की निंदा नहीं करना चाहिए और ना ही निंदा सुनना चाहिएं।देव दर्शन ज्ञान चरित्र हृदय के कमल होते हैं। सिद्ध बनना है तो सीधे बनना चाहिए। एक माला का जाप प्रतिदिन करें तो जीवन में आत्मा का कल्याण हो सकता है। तपस्या के बिना जीवन मृत्यु के समान होता है।तंबाकू गुटखा व्यसन से दूर रहना चाहिए तभी जीवन सफल होता है।
धर्म
सभा में साध्वी सुमंगला जी महाराज साहब की शिष्या प्रफुल्ल प्रभा जी महाराज साहब ने कहा कि84 लाख योनि के बाद हमें संसार में जन्म मिला है तो हमें अच्छे पुण्य कर्म करना चाहिए एक सामयिक की तपस्या तो रोज करनी चाहिए। संयम जीवन लेने वाले को कभी रोकना नहीं चाहिए नहीं तो जिन शासन भी नहीं रहेगा। धर्मसभा में मुनी भुवन रत्न जी महाराज एवं सुमंगला जी महाराज साहब की शिष्या वैराग्य पूर्णा जी महाराज साहब का भी सानिध्य मिला। नवीन आराधना भवन में प्रतिदिन 9:15 बजे साध्वी प्रफुल्ल प्रभा जी महाराज साहब के प्रवचन प्रवाहित हो रहे हैं। सभी धर्म प्रेमी श्रद्धालु समय पर उपस्थित होकर धर्म लाभ का पुण्य ग्रहण करें।