नीमच - सुप्रभ सागर जी एवं मुनि वैराग्य सागर जी महाराज की पावन निश्रा में स्वतंत्रता पर्व 15 अगस्त को दिगम्बर जैन मांगलिक भवन सभागार में सुबह 9 बजे विभिन्न कार्यक्रमों के साथ मनाया गया। इस अवसर पर दो वर्ष से लेकर 12 वर्ष तक के बच्चों की विभिन्न फैंसी ड्रेस प्रतियोगिताएं आयोजित की गई जिसमें बच्चों ने चंद्रशेखर आजाद, शहीद भगत सिंह, सुभाष चंद्र बोस महात्मा गांधी आदि के स्वांग धरकर प्रतियोगिताओं में अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन किया। इस प्रतियोगिता में 30 से अधिक बच्चों ने भाग लिया जिसको दिगंबर जैन समाज के अतिथियों द्वारा पुरस्कार प्रदान कर सम्मानित किया गया।इस अवसर पर उन्होंने चातुर्मास पत्रिका का अनावरण दिगंबर जैन समाज के अध्यक्ष विजय विनायका जैन ब्रोकर्स , जम्बुकुमार जैन ,चातुर्मास समिति संरक्षक संजय विनायका जैन ब्रदर्स एवं कार्यकारिणी के सदस्यों की उपस्थिति में किया गया। इस अवसर पर चिंतन कणिका पत्रिका के विमोचनकर्ता और पुण्यार्जक श्रीमती कला देवी सुरभि महिवाल सिंगोली थे सांस्कृतिक प्रतियोगिता में विजेता उपविजेता बच्चों को चांदी का सिक्का पुरस्कार के रूप में श्रीमती साधना एवं किशोर पाटनी औरंगाबाद के कर कमलों द्वारा प्रदान किया गया ।धार्मिक धर्मशास्त्र का दान अतिथियों द्वारा किया गया। इस अवसर पर जिला न्यायाधीश डॉक्टर कुलदीप जैन एवं दिगंबर जैन समाज के अध्यक्ष विजय जैन विनायका जैन ब्रोकर द्वारा ध्वजारोहण किया गया राष्ट्रगान के साथ कार्यक्रम का समापन हुआ इससे पूर्व सुबह 8 बजे दिगंबर जैन समाज जनों द्वारा दिगंबर जैन मंदिर से तिरंगा यात्रा प्रारंभ की गई जो कमल चौक घंटाघर तिलक मार्ग होते हुए दिगंबर जैन मांगलिक भवन पहुंची । कार्यक्रम के मध्य मुनी सुप्रभ सागर जी महाराज ने कहा कि परतंत्रता को समझे बिना स्वतंत्रता का महत्व नहीं समझ आता है। हम भौगोलिक स्तर पर जरूर स्वतंत्र हो गए हैं लेकिन मानसिक रूप से आज भी स्वतंत्र नहीं हुए हैं। आज भी हम अंग्रेजी भाषा पश्चिमी संस्कृति और विदेश में रोजगार की और आकर्षित हो रहे हैं जबकि दुनिया में सबसे ज्यादा प्रगति करने वाला राष्ट्र में चीन राष्ट्र है चीन की प्रगति का प्रमुख कारण चीन की मातृभाषा में शिक्षा अध्यापन है। भारत के लोग अंग्रेजी भाषा को स्टेट सिंबल समझते हैं जबकि भारत की मातृभाषा हिंदी ही है और हिंदी मातृभाषा में पढ़ने वाले व्यक्ति जीवन के हर क्षेत्र में सफल होते हैं स्वतंत्रता प्रगति का आधार है तथा स्वच्छंदता पतन का कारण है। परतंत्रता को समझें बिना स्वतंत्रता का महत्व समझ नहीं आता है। हम भौगोलिक स्तर पर जरूर स्वतंत्र हो गए हैं लेकिन मानसिक रूप से आज भी स्वतंत्र नहीं हुए हैं। आज भी हम अंग्रेजी भाषा पश्चिमी संस्कृति और विदेश में रोजगार की ओर आकर्षित हो रहे हैं जबकि दुनिया में सबसे ज्यादा प्रगति करने वाले राष्ट्र में चीन राष्ट्र है। चीन की प्रगति का प्रमुख कारण चीन की मातृभाषा में शिक्षा अध्ययन है। भारत के लोग अंग्रेजी भाषा को स्टेट सिंबल समझते हैं जबकि भारत की मातृभाषा हिंदी है और हिंदी मातृभाषा में पढ़ने वाले व्यक्ति जीवन के हर क्षेत्र में सफल होते हैं।स्वतंत्रता प्रगति का आधार है तथा स्वच्छंदता पतन कारण है। मुनि वैराग्य सागर जी मसा ने कहा कि आत्मा की स्वतंत्रता ही सच्ची स्वतंत्रता होती है। कार्यक्रम का संचालन अजय कासलीवाल ने किया तथा आभार उपाध्यक्ष प्रमोद गोधा ने व्यक्त किया। परम पूज्य चारित्र चक्रवर्ती 108 शांति सागर जी महामुनि राज के पदारोहण के शताब्दी वर्ष मे परम पूज्य मुनि 108 श्री वैराग्य सागर जी महाराज एवं परम पूज्य मुनि 108 श्री सुप्रभ सागर जी महाराज जी का पावन सानिध्य मिला। उक्त जानकारी दिगम्बर जैन समाज के उपाध्यक्ष जयकुमार बज, मिडिया प्रभारी अमन विनायका ने दी।