चित्तौड़गढ़ - पांच दिनों तक दुर्गा मां की आराधना करने के बाद विजयादशमी को बंगाली समाज की सुहागिन महिलाओं ने सिंदूर बोरोन की परंपरा निभाई। रविवार को मां दुर्गा की प्रतिमा को विसर्जित करने से पहले बंगाली समाज ने सिंदूर खेला या सिंदूर उत्सव मनाया। महिलाओं ने एक दूसरे को सिंदूर लगाकर विजयदशमी की शुभकामनाएं दीं। हालांकि विजयदशमी मुहूर्त के हिसाब से 12 अक्टूबर को था लेकिन शनिवार के चलते मां की मूर्ति का विसर्जन नहीं किया गया। इस कारण सिंदूर बोरोन की परंपरा रविवार को निभाई गई। सुहागिन महिलाओं ने खेला सिंदूर खेला चामटी खेड़ा चौराहे के समीप पांच दिनों से चल रही दुर्गा पूजा के आखरी दिन महिलाओं ने जमकर सिंदूर खेला। दुर्गा माता से परिवार की सुख, समृद्धि और पति की लंबी उम्र की कामना की। सभी सुहागिन महिलाओं ने मां दुर्गा को पान के पत्ते से सिंदूर चढ़ाया। साथ ही मां दुर्गा को पान और मिठाई भी खिलाई। इसके बाद महिलाओं ने एक-दूसरे को सिंदूर लगाकर जश्न मनाया। इस दौरान महिलाओं ने जमकर पारंपरिक डांस किया। माना जाता है कि जब मां दुर्गा मायके से विदा होती हैं, तो सिंदूर से उनकी मांग भरी जाती है। इसके साथ ही कई महिलाएं एक दूसरे के चेहरे पर सिंदूर लगाते हुए नजर आई। यह उत्सव होली के पर्व जैसा लगा। इसके ज़रिए महिलाएं कामना करती हैं कि एक-दूसरे की शादीशुदा जिंदगी सुखद और सौभाग्यशाली रहे। इससे पहले दो दिनों से महिलाओं ने ग्रुप में धुनुची डांस किया।