मंदसौर/नीमच - भारत में परमाणु ऊर्जा क्षेत्र को बढ़ावा देने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में अनेक कदम उठाए गए। भारत की परमाणु ऊर्जा उत्पादन क्षमता पिछले एक दशक में दुगनी हुई है। इसको 2031-32 तक तीगुना करने के लक्ष्य की ओर बढ़ रहे है। यह बात राज्य मंत्री, कार्मिक, लोक शिकायत और पेंशन तथा प्रधानमंत्री कार्यालय डॉ. जितेंद्र सिंह ने सांसद सुधीर गुप्ता के एक प्रश्न के जवाब में दी। प्रश्न काल के दौरान सांसद सुधीर गुप्ता ने कहा कि सरकार परमाणु ऊर्जा के माध्यम से विद्युत उत्पादन के लिए किसी स्वदेशी रूप से विकसित प्रौद्योगिकी पर काम कर रही है और परमाणु ऊर्जा उत्पादन के माध्यम से देश की वर्तमान विद्युत उत्पादन क्षमता कितनी है।
यह स्वदेशी रूप से विकसित प्रौद्योगिकी किस हद तक देश की विदेशों पर निर्भरता को कम करेगी और देश में विद्युत की कमी की समस्या का समाधान करेगी। उन्होने कहा कि सरकार ने ईंधन की आपूर्ति के लिए किसी देश/देशों के साथ कोई समझौता किया है, जो परमाणु ऊर्जा के माध्यम से विद्युत उत्पादन में प्रमुख बाधा है ।
इस पर डॉ. जितेंद्र सिंह ने बताया कि देश में वर्तमान स्थापित नाभिकीय विद्युत क्षमता 8180 मेगावाट है। दिनांक 17 मार्च, 2025 को 700 मेगावाट क्षमता का एक और रिएक्टर ग्रिड से जोड़ा गया है, जिससे क्षमता बढ़कर 8880 मेगावाट हो गई है। भारत दीर्घकालिक ऊर्जा संरक्षा और देश के नाभिकीय संसाधनों के अनुकूल उपयोग को सुनिश्चित करने के लिए स्वदेशी, त्रि-चरणीय नाभिकीय विद्युत कार्यक्रम का अनुसरण करता है। दाबित भारी पानी रिएक्टर (पीएचडब्ल्यूआर) कार्यक्रम के प्रथम चरण के रिएक्टर हैं। उनकी इकाई क्षमता 220 मेगावाट से 540 मेगावाट और फिर 700 मेगावाट तक बढ़ चुकी है। स्वदेशी 700 मेगावाट पीएचडब्ल्यूआर अब निकट और मध्यम अवधि में देश के नाभिकीय ऊर्जा विस्तार कार्यक्रम का मुख्य आधार होगा। भारत लघु रिएक्टर (बीएसआर) नाम के मानक 220 मेगावाट पीएचडब्ल्यूआर, जिसका साबित सुरक्षा और निष्पादन रिकॉर्ड है, उनको भूमि की आवश्यकता को कम करने और स्वोत्पाद (कैप्टिव) विद्युत संयंत्र के रूप में उपयोग के लिए उद्योगों के निकट स्थापित करने योग्य बनाने के लिए उन्नत किया जा रहा है। उन्होने बताया कि वर्तमान में, 8880 मेगावाट की कुल क्षमता वाले 25 नाभिकीय ऊर्जा रिएक्टर मौजूद हैं, जिनमें से 21 रिएक्टर पीएचडब्ल्यूआर हैं, जो कुल मौजूदा क्षमता का 60 प्रतिशत से अधिक है। वर्ष 2031-32 तक नाभिकीय विद्युत क्षमता को 22480 मेगावाट तक बढ़ाने की योजना है, जिसमें से 15160 मेगावाट क्षमता पीएचडब्ल्यूआर से प्राप्त की जाएगी। इसके अलावा, भारत सरकार का विचार मौजूदा और उभरती नई प्रौद्योगिकियों के आधार पर वर्ष 2047 तक 100 गीगावाट नाभिकीय विद्युत क्षमता प्राप्ति का है, जो निश्चित रूप से देश में बिजली की कमी की समस्या का समाधान करने में सहायक होगी। इसी के साथ ही विदेशों के संबंध में एकमात्र मौजूदा दीर्घकालिक यूरेनियम प्रापण समझौता मेसर्स नावोइयुरन स्टेट कंपनी, उज्बेकिस्तान के साथ है। यह अनुबंध 2026 तक और कुल मात्रा 1100MTUके लिए वैध है।