मध्यप्रदेश में अवैध कॉलोनियों को वैध करने के नियम अब और ज्यादा सख्त होने वाले हैं। डॉ. मोहन यादव सरकार नगरपालिका एक्ट में बदलाव करने जा रही है। संशोधित कानून में अवैध कॉलोनी बनाने पर 10 साल की सजा और 50 लाख जुर्माने का प्रावधान किया जा रहा है। इसका ड्राफ्ट तैयार हो गया है। नगरीय प्रशासन मंत्री कैलाश विजयवर्गीय का कहना है कि एक महीने में नया कानून प्रभावी हो जाएगा।
मध्यप्रदेश में अवैध कॉलोनियों को नियमित करने के मौजूदा कानून में सजा और जुर्माने के प्रावधान में बदलाव के साथ ये भी तय किया जा रहा है कि 2016 से पहले बनी अवैध कॉलोनियों को वैध किया जाए या 2022 के पहले बनी? इस पर अभी सहमति नहीं बनी है। हालांकि, पिछले साल नगरीय प्रशासन मंत्री ने जब अवैध कॉलोनियों की समीक्षा की थी, तब जिला कलेक्टरों से 2016 की अवैध कॉलोनियों का डेटा मांगा गया था।
इससे ये माना जा रहा है कि सरकार 2016 से पहले अवैध कॉलोनियों को ही नियमित कर सकती है। यदि ऐसा हुआ तो करीब 2 हजार अवैध कॉलोनियों में रहने वाले लोग प्रभावित होंगे। बता दें कि पूर्ववर्ती शिवराज सरकार ने 2022 से पहले बनी अवैध कॉलोनियों को नियमित करने का फैसला लिया था। इसका ऐलान विधानसभा चुनाव 2023 के पहले किया गया था।
अब अवैध कॉलोनियों को लेकर बने मौजूदा कानून में सरकार क्या बदलाव कर रही है? इसकी जरूरत क्यों पड़ी? इस बदलाव से आम लोगों पर क्या असर पड़ेगा, पढ़िए रिपोर्ट...
पहले जानिए, शिवराज सरकार ने क्या फैसला लिया था
पूर्व सीएम शिवराज सिंह चौहान के कार्यकाल में 2016 से पहले बनी अवैध कॉलोनियों को वैध करने का फैसला लिया गया था। इसके बाद विधानसभा चुनाव से ठीक पहले 23 मई 2023 को अवैध कॉलोनियों के नियमितीकरण के लिए आयोजित कार्यक्रम में घोषणा करते हुए शिवराज ने दिसंबर 2022 तक बनी सभी अवैध कॉलोनियों को नियमित करने का फैसला किया। किसी तरह का विकास शुल्क न लेने का भी ऐलान किया था।
शिवराज ने कहा था- मैं मानता हूं कि जब ये कॉलोनियां बन रही थीं, तब ध्यान देना चाहिए था कि वो वैध बन रही हैं या अवैध। लेकिन हमारे भाई-बहन का क्या दोष? जिंदगीभर की पूंजी लगाकर प्लॉट खरीद लिया। पाई-पाई जोड़कर मकान बना लिया। मकान बन गया, तब सरकार आई और कहा- ये तो अवैध है। यह न्याय नहीं है। अवैध मतलब क्या हम अपराधी हो गए? अवैध ठहराने का निर्णय ही अवैध है, इस निर्णय को मैं समाप्त करता हूं।
अब जानिए, कानून में संशोधन क्यों कर रही मौजूदा सरकार
मध्यप्रदेश सरकार ने अवैध कॉलोनियों को वैध करने का कानून तो बना दिया है लेकिन इसका प्रभावी पालन नहीं हो सका है। शिवराज सरकार ने साल 2016 से पहले बनी अवैध कॉलोनियों को वैध करने का फैसला लिया था। उस समय नगरीय प्रशासन एवं आवास विभाग ने पूरे प्रदेश में सर्वे कर ऐसी 6077 अवैध कॉलोनियां चिह्नित की थीं।
मोहन सरकार ने पिछले साल जब अवैध कॉलोनियों का डेटा जिलों से मंगाया तो पाया गया कि अवैध कॉलोनियों की संख्या 6077 से बढ़कर 7981 हो चुकी है यानी 1908 नई अवैध कॉलोनियां बन चुकी हैं। नगरीय विकास एवं आवास मंत्री कैलाश विजयवर्गीय ने विधानसभा के पिछले सत्र में कहा था कि प्रदेश में बन रही अवैध कॉलोनियों को सरकार वैध नहीं करेगी। इनमें रहने वाले लोगों को बुनियादी सुविधाएं मिल सकें, बिल्डिंग परमिशन मिल जाए, यह काम जरूर किया जा रहा है।
उन्होंने यह भी कहा था कि प्रदेश में अवैध कॉलोनियां एक गंभीर मुद्दा बन गई हैं। इसके लिए जल्द ही कानून लाया जाएगा। बता दें कि मप्र नगरपालिका अधिनियम 2021 की धारा 292 और 339 की उप धाराओं में अवैध कॉलोनी बनाने वालों के खिलाफ सजा और जुर्माने का प्रावधान है।
(4 जुलाई 2024 को विधानसभा में एक प्रश्न के जवाब में कहा था।)
भोपाल के उदाहरण से समझिए, कैसे बढ़ रही अवैध कॉलोनियां
पिछले दो साल में भोपाल में 300 नई अवैध कॉलोनियां कट चुकी हैं। साल 2022 में हुए सर्वे के मुताबिक, भोपाल जिले में कुल 576 अवैध कॉलोनियां मिलीं थीं। इनमें से 31 दिसंबर 2016 से पहले बनी 321 कॉलोनियों को नियमतिकरण की श्रेणी में रख दिया गया। बाकी 255 पर दिसंबर 2023 तक एफआईआर दर्ज कराई गई।
अब नए सिरे से सर्वे शुरू किया गया तो 300 से ज्यादा नई अवैध कॉलोनियां और मिल गई हैं। यह सर्वे अभी जारी है, ऐसे में इनकी संख्या बढ़ सकती है। बता दें कि वर्ष 2000 के पहले भोपाल में 198 अवैध कॉलोनियां थीं। नगर निगम की तत्कालीन सर्वे रिपोर्ट में इसका जिक्र था यानी 25 साल में ऐसी कॉलोनियों में तीन गुना तक इजाफा हो चुका है।
अब जानिए, कानून में क्या बदलाव प्रस्तावित किए गए हैं
प्रस्तावित संशोधन में कॉलोनाइजर, आम लोग और जिम्मेदार अधिकारियों की भूमिका को लेकर प्रावधान किए गए हैं। सिलसिलेवार जानिए, किसके लिए क्या है प्रावधान...
अवैध कॉलोनाइजर: 10 साल की सजा, 50 लाख जुर्माना
प्रस्तावित संशोधन में व्यक्ति के साथ फर्म, कंपनी, सोसाइटी, संस्था, प्रमोटर या सरकारी इकाई को भी कॉलोनाइजर की कैटेगरी में रखा गया है।
पहले किसी कॉलोनाइजर का रजिस्ट्रेशन एक जिले में होता था, लेकिन प्रस्तावित संशोधन में अब प्रदेश स्तर पर रजिस्ट्रेशन होगा। इसके लिए सरकार रजिस्ट्रेशन प्राधिकारी की नियुक्ति करेगी। इसके बाद कॉलोनाइजर प्रदेश के किसी भी हिस्से में कॉलोनी काट सकेगा।
कॉलोनी बनाने के लिए कॉलोनाइजर पहले की ही तरह सक्षम अधिकारी के पास आवेदन करेगा। मगर, प्रस्तावित संशोधन में कॉलोनी की अनुमति देने की समय सीमा तय करने का प्रावधान किया गया है। यदि अधिकारी तय समय में अनुमति देने या न देने की सूचना कॉलोनाइजर को नहीं देता तो फिर अनुमति दी गई, मानी जाएगी।
बिना अनुमति कॉलोनी बनाने वाले कॉलोनाइजर के खिलाफ तीन से 7 साल की सजा और 10 लाख रुपए के जुर्माने का प्रावधान है। प्रस्तावित संशोधन में इसे बढ़ाकर 7 से 10 साल और 50 लाख जुर्माना किया जा रहा है।
अवैध कॉलोनियों के खिलाफ ठोस कार्रवाई न होने के कारण इनकी संख्या दिन पर दिन बढ़ती जा रही है। प्रस्तावित संशोधन में ये भी तय किया है कि जुलाई 2021 के बाद बनी अवैध कॉलोनियों के खिलाफ कार्रवाई की जाए। अवैध निर्माण तोड़ने के लिए जो पैसा खर्च होगा, वो कॉलोनाइजर से वसूल किया जाए।
पार्षद कर सकेंगे नगर निगम-पालिका अधिकारियों की शिकायत
प्रस्तावित संशोधन के मुताबिक, यदि नगर निगम या नगर पालिका-परिषद का कोई अधिकारी जिसे अवैध निर्माण रोकने की जिम्मेदारी है, वह अपनी जिम्मेदारी पूरी नहीं करता या इसे रोकने की कोशिश नहीं करता तो तीन साल की सजा और 10 हजार के जुर्माने का प्रावधान किया गया है।
पुलिस को शिकायत मिलने पर अवैध कॉलोनाइजर के खिलाफ 90 दिन के भीतर एफआईआर दर्ज करने का प्रावधान भी जोड़ा गया है। यदि पुलिस अधिकारी इस समय सीमा का पालन नहीं करते तो उनके खिलाफ भी अनुशासनात्मक कार्रवाई का प्रावधान किया गया है।
अब तक अवैध कॉलोनियों के मामलों में किसान और खरीदार ही नामित होते थे, जिससे कॉलोनाइजर कानूनी कार्रवाई से बच जाते थे। लेकिन नए ड्राफ्ट में प्रमोटर और अवैध कॉलोनी बनाने के लिए उकसाने वालों को भी आरोपी बनाया जाएगा। जिससे अवैध कॉलोनाइजरों पर कानूनी शिकंजा कस सकेगा।
प्रस्तावित संशोधन के मुताबिक, वार्ड के पार्षद भी अवैध कॉलोनी की जानकारी कलेक्टर, मुख्य नगरपालिका अधिकारी या इंजीनियर को दे सकते हैं। ये जानकारी उन्हें लिखित में देनी पड़ेगी।
एक्सपर्ट बोले- कानून का क्रियान्वयन जरूरी है
क्रेडाई, भोपाल के अध्यक्ष मनोज सिंह मीक बढ़ती अवैध कॉलोनियों के पीछे की वजह बताते हैं- गांव से जो लोग पलायन कर आते हैं, उन्हें शहर में कम कीमत में जमीन दे दी जाती है। कॉलोनी का विकास नहीं होता।
वे बताते हैं कि ये समस्याएं न केवल मप्र की बल्कि पूरे देश की है। आने वाले समय में 50 फीसदी शहरीकरण होना है। इस समस्या का निदान ये है कि जो वैध कॉलोनी है, सरकार को उसकी जटिलताओं को कम करना जरूरी है। जो भी कॉलोनाइजर एक कॉलोनी विकसित करता है तो वो नियमों के तहत ही प्लॉट या मकान बेचता है।
सरकार को इस पर गंभीरता से विचार करना चाहिए, तब तक समस्या दूर नहीं होगी।