विक्रम विश्वविद्यालय में रविवार को 29वां दीक्षांत समारोह आयोजित हुआ।
विक्रम विश्वविद्यालय के 29वें दीक्षांत समारोह में राज्यपाल मंगुभाई पटेल ने विद्यार्थियों को उपाधि और स्वर्ण पदक प्रदान किए। इस अवसर पर मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव और पद्मभूषण कमलेश डी. पटेल को मानद डी.लिट. की उपाधि से सम्मानित किया गया।
समारोह में मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने घोषणा की कि आने वाले समय में विश्वविद्यालय का नाम बदलकर सम्राट विक्रमादित्य विश्वविद्यालय किया जाएगा।
मुख्यमंत्री ने कहा कि उज्जैन, जिसे अवंतिका के नाम से भी जाना जाता है, सात पवित्र नगरियों में से एक है और इसका अस्तित्व हर युग में रहा है। उन्होंने गोल्ड मेडलिस्ट विद्यार्थियों को बधाई देते हुए कहा कि उनके ऊपर अब और अधिक जिम्मेदारी है। उनसे अपेक्षा है कि वे अपनी शिक्षा के बल पर विश्वविद्यालय, प्रदेश और देश का नाम विश्वभर में रोशन करें।
अच्छी नौकरी मिलने के बाद माता-पिता को भूल जाते
दीक्षांत समारोह में राज्यपाल मंगूभाई पटेल ने विद्यार्थियों को संबोधित करते हुए माता-पिता के प्रति कृतज्ञ रहने की सीख दी। उन्होंने कहा, "आज के दौर में माता-पिता छोटे बच्चों को उंगली पकड़कर स्कूल छोड़ने जाते हैं, लेकिन वही बच्चे बड़े होकर अच्छी नौकरी मिलने के बाद माता-पिता को भूल जाते हैं। यह गलत है।"
राज्यपाल ने कहा कि माता-पिता ने कठिनाइयों को सहकर बच्चों को बड़ा किया है, इसलिए उनका सम्मान और सेवा करना हर संतान का कर्तव्य है। उन्होंने विद्यार्थियों से अपील की कि जो माता-पिता की सेवा करेगा, वही समाज और राष्ट्र की भी सेवा करेगा।
राज्यपाल मंगूभाई पटेल ने विद्यार्थियों को माता-पिता के प्रति कृतज्ञ रहने की सीख दी।
राज्यपाल ने यह भी कहा कि जीवन में सही मार्ग का चुनाव करना महत्वपूर्ण है। धार्मिकता और सेवा की भावना के साथ आगे बढ़ें, क्योंकि यदि हमारा जीवन अच्छा नहीं होगा, तो हम देश को भी कुछ नहीं दे पाएंगे। उन्होंने विद्यार्थियों को उज्जवल भविष्य की शुभकामनाएं देते हुए भगवान महाकाल की कृपा उन पर बनी रहने की प्रार्थना की।
इस अवसर पर उच्च शिक्षा मंत्री इंदरसिंह परमार, राज्यसभा सांसद संत बालयोगी उमेशनाथ महाराज, सांसद अनिल फिरोजिया, विधायक अनिल जैन कालूहेड़ा और श्री रामचंद्र मिशन, हार्टफुलनेस, हैदराबाद के पद्मभूषण कमलेश डी. पटेल उपस्थित रहे।
विक्रम विश्वविद्यालय में 29 वां दीक्षांत समारोह आयोजित हुआ।
अकादमिक शोभायात्रा से समारोह की शुरुआत
समारोह की शुरुआत अकादमिक शोभायात्रा से हुई, जिसमें राज्यपाल, मुख्यमंत्री और अन्य गणमान्य अतिथि शामिल हुए। अतिथियों ने वाग्देवी के समक्ष दीप प्रज्ज्वलित किया और सम्राट विक्रमादित्य की प्रतिमा पर पुष्पांजलि अर्पित की। इसके बाद कार्यपरिषद सदस्यों और संकाय अध्यक्षों के साथ समूह चित्र लिया गया।
विद्यार्थियों को उपाधियां और स्वर्ण पदक
समारोह में 2024 के पीएच.डी. और डी.लिट. उपाधि धारकों को सम्मानित किया गया। स्नातक और स्नातकोत्तर परीक्षाओं में सर्वोच्च स्थान प्राप्त करने वाले विद्यार्थियों को स्वर्ण पदक और उपाधियां प्रदान की गईं। इस वर्ष 163 विद्यार्थियों ने दीक्षांत समारोह में पंजीयन कराया, जिसमें 64 पीएच.डी., 2 डी.लिट., 69 स्नातकोत्तर और 28 स्नातक उपाधि प्राप्तकर्ता शामिल थे।
समारोह की शुरुआत राष्ट्रगान और कुलगान के साथ हुई।
प्रशासनिक अधिकारी, शिक्षक और शोधार्थी शामिल
कार्यक्रम में कुलपति प्रो. अर्पण भारद्वाज ने विद्यार्थियों को आशीर्वचन दिया। समारोह में विश्वविद्यालय के वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी, शिक्षक, कर्मचारी, विद्यार्थी और शोधार्थी उपस्थित रहे। कार्यपरिषद सदस्य राजेश सिंह कुशवाह, संजय वर्मा, रूपचंद पमनानी, कुसुमलता निगवाल, मंजूषा मिमरोट, वरुण गुप्ता, डॉ. हर्षा क्षीरसागर, डॉ. दीपक गुप्ता, डॉ. अचला शर्मा और डॉ. गीता नायक सहित विभिन्न संकायाध्यक्षों ने भाग लिया। कार्यक्रम का संचालन वीरेंद्र चावरे ने किया।
समारोह में 2024 के पीएच.डी. और डी.लिट. उपाधि धारकों को सम्मानित किया गया।