संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) सिविल सेवा परीक्षा-2024 में 96वीं रैंक हासिल करने वाले जयपुर के आदित्य आचार्य का कहना है- "संघर्ष को एंजॉय करना सीख लिया तो राह आसान हो गई," । दो बार प्री एग्जाम में असफल होने के बाद हताश हो चुके आदित्य को पिता की प्रेरणा ने फिर से राह दिखाई।
वहीं, कोटा की रहने वाली अनुश्री ने 220वीं रैंक हासिल की है। उन्होंने बताया- साल 2017 से 2021 तक मुंबई में रहकर IIT की थी। साल 2020 में इंटर्नशिप के लिए जर्मनी में रिसर्च स्कॉलरशिप मिली थी। कोविड के कारण जर्मनी नहीं जा सकी तो सिविल सर्विसेज में जाने की ठान ली।
भास्कर से दोनों से बात की। उन्होंने बताया कि इंटरव्यू के दौरान भजन और पालतू कुत्तों के बारे में भी सवाल पूछा गए। इसके अलावा कोटा में स्टूडेंट की घटती संख्या और बढ़ते सुसाइड को लेकर सवाल पूछा गया था।
सबसे पहले पढ़िए- 96वीं रैंक वाले आदित्य ने कैसे तैयारी की...
सवाल- सिविल सर्विसेज की तैयारी कर सिलेक्शन तक पहुंचाने का सफर कितना संघर्ष भरा था?
जवाब- मेरे सफर में संघर्ष ज़रुर था। लेकिन मैंने अपने संघर्ष को काफी एंजॉय किया है। मुझे लगता है, संघर्ष को एंजॉय करने नहीं मेरी राह को आसान बनाया है। 12वीं के बाद से ही मैं सिविल सर्विसेज की तैयारी करने लग गया था। लगभग 7 साल का यह मेरा पूरा संघर्ष है। जिसे मैंने एंजॉय किया है।
सवाल- 7 साल के संघर्ष भरे हैं सफर में आप दो बार सिविल सर्विसेज की प्री - परीक्षा पास नहीं कर पाए थे। फिर तीसरी बार फिर से एग्जाम देने की तैयारी कैसे शुरू की?
जवाब- मैंने साल 2021 और 2022 में दो बार सिविल सर्विसेज की परीक्षा दी थी। लेकिन तब मैं प्री परीक्षा भी पास नहीं कर पाया था। इसके बाद इस साल पहली बार ही ऐसा हुआ था। जब मैं सिविल सर्विसेज की परीक्षा दी और इस बार न सिर्फ मैंने न सिर्फ प्री - परीक्षा को पास किया। बल्कि, मेंस परीक्षा और इंटरव्यू को भी क्लियर कर आज इस मुकाम तक पहुंच पाया हूं।
सवाल- तैयारी के दौरान कितने घंटे पढ़ाई करते थे। किस तरह के स्टडी मैटीरियल का इस्तेमाल करते थे?
जवाब- मैं आम तौर पर 8 से 10 घंटे तक पढ़ाई करता था। लेकिन कम से कम 8 घंटे में हर दिन तैयारी करता था। एग्जाम जब नजदीक आने लगे। तो मैंने अपने स्टडी टाइम को भी बढ़ाना शुरू कर दिया था। इस दौरान मेरा सबसे ज्यादा फोकस बेसिक पर रहता था। मैं करंट अफेयर पर थोड़ा कम ध्यान देता था। लेकिन 80 से 90% तक मेरा फोकस स्टेटिक पोर्शन पर रहता था। जिसमें हिस्ट्री, इकोनॉमिक्स और ज्योग्राफी शामिल है। जिसे में बार - बार रिवाइज करता था।
सवाल- 7 साल के सफर के क्या कभी निराशा हुए। क्या कभी रिश्तेदारों ने आपको भी ताने सुनाए। जिससे कुछ और करने की सोच दिमाग में आई?
जवाब- 7 साल में सफल नहीं हुआ तो लोग तो बेशक मुझे बोलने लगे थे, ताने देने लगे थे। लेकिन मुझे लगता है, वह लोग मेरे अच्छे के लिए ही बोल रहे थे। मैं तानो को सुनकर भी काफी पॉजिटिव रहा। लेकिन जब मैं दूसरे अटेम्प्ट में भी सफल नहीं हुआ था। तो मैं बहुत ज्यादा हताश हो गया था। तब मेरे पिता ने मुझे काफी मोटिवेट किया। मेरी बहन ने मुझे सपोर्ट किया और मेरी मां ने मुझे प्यार से समझाया। उसी का नतीजा है कि मैं आज इस रैंक को हासिल कर पाया हूं।
आदित्य आचार्य के माता-पिता दोनों प्राइवेट सेक्टर में जॉब करते है। अपने बेटे को सफलता पर उन्होंने इस तरह खुशी का इजहार किया।
सवाल- सिविल सर्विसेज के इंटरव्यू दौरान स्टूडेंट से काफी रोचक सवाल पूछे जाते हैं। आपसे भी क्या सीसी तरह के सवाल पूछे गए थे?
जवाब- मेरा इंटरव्यू बहुत ज्यादा नॉर्मल रहा था। मेरे इंटरव्यू में ज्यादातर सवाल मेरे रिज्यूम में जो थे उन्हें लेकर ही पूछे गए थे। जिसमें मैंने अपनी बेसिक जानकारी में यह बताया था कि मुझे भजन सुनना और पेट डॉग पालन काफी पसंद है। ऐसे में एक्जामिनर ने मुझसे भजन के बारे में ही सवाल पूछे थे।
सवाल- देशभर में आप टॉप 100 में है। तो क्या आप राजस्थान में ही अपनी सर्विस देना चाहते हैं, या फिर किसी और राज्य में काम करना चाहते हैं?
जवाब- मैं राजस्थान से ही हूं, इसलिए मैंने फर्स्ट प्रिफरेंस में राजस्थान कैडर ही भरा है। हालांकि सरकार मुझे कौन से राज्य में काम करने का मौका देगी। यह तो भविष्य में ही पता चल सकेगा। लेकिन मैं इतना जरूर से कहना चाहता हूं कि मुझे जहां भी काम करने का मौका मिलेगा मैं पूरी ईमानदारी और निष्ठा के साथ वहां आम जनता की सेवा और मदद करने का काम करूंगा।
अनुश्री के पिता पिता सुशील सचान (बीएसएनल डिपार्टमेंट में मंडल अभियंता) और मां शर्मिला सचान मिठाई खिलाते हुए।
कोटा की अनुश्री का चौथे अटेंप्ट में सिलेक्शन
सवाल- कोटा में बच्चे (स्टूडेंट्स) कम क्यों हो रहे है? अगर आप कोटा कलेक्टर होती तो सुसाइड रोकने के लिए क्या स्टेप लेती?
जवाब- सुसाइड की वजह बच्चों का डिमोटिवेट होना हैं। वो नहीं आना चाहते। पेरेंट्स भी डरते है कि कहीं बच्चा कोई गलत कदम न उठा लें। वहीं कोविड के समय ऑन लाइन क्लासेज का प्रचलन चला था। लोगों को लगा कि जब ऑन लाइन कोचिंग मिल रही है तो क्यों दूसरे शहर में जाकर खर्चा करें।
अगर मैं कोटा कलेक्टर होती तो हर संडे होने वाले टेस्ट को बंद कर देती। ताकि बच्चों को एक दिन का रेस्ट मिल सकें। एग्जाम का करिकुलम चेंज करें। मसलन जेईई/नीट के सिलेबस स्कूल में पढ़ाए जाने वाले सिलेबस मैच होना चाहिए।
सवाल- सरकारों की ओर से चलाई जाने वाली DBT स्कीम (लाडली बहना योजना) चलनी चाहिए या नहीं। क्योंकि आजकल सभी राजनीतिक पार्टियां ऐसी योजना लॉन्च कर रही हैं।
जवाब- ये शार्ट टर्म के लिए तो ठीक हैं। लॉन्ग टर्म के लिए सही नहीं हैं। लोगों को बिना काम के पैसा मिलेगा तो लोग काम क्यूं करेंगे। अनुश्री ने बताया कि वो स्पेनिश गाने सुनती हैं। उनसे स्पेनिश सिंगर का नाम भी पूछा गया था।