भैया-भाभी और उनके दोनों बच्चे जम्मू-कश्मीर घूमने गए थे। हमें पता नहीं था। कल शाम करीब 8 से 9 बजे के बीच भतीजे ऑस्टिन का फोन आया। उसका रो-रोकर बुरा हाल था। कुछ बोल ही नहीं पा रहा था। दो बार फोन काट दिया। तीसरी बार में उसने बताया कि आतंकवादियों ने पापा को गोली मार दी है। बहन आकांक्षा के पैर में भी गोली लगी है। मां और मैं जैसे-तैसे बचे हैं। भतीजे की बात सुनकर हमारे भी हाथ-पैर ढीले पड़ गए।
यह कहते हुए पहलगाम में मारे गए एलआईसी अफसर सुशील नथानियल के ममेरे भाई संजय कुमरावत फूट-फूटकर रोने लगे। कहा, मेरा दोस्त जैसा भाई चला गया। सुशील को सरप्राइज देने की आदत थी, इसीलिए उसने इस टूर के बारे में हमें नहीं बताया। वहां से लौटकर हमें सरप्राइज देना चाहता था। वह सरप्राइज देकर ही हमसे विदा हो गया। लेकिन उसने इस बार समय गलत चुन लिया।
संजय ने कहा, कश्मीर से धारा 370 हटने के बाद से ही हम लोग वहां घूमने का प्लान बना रहे थे। लेकिन वहां के हालात ठीक नहीं हैं। यदि सुशील ने हमें पहले बताया होता या चर्चा की होती तो हम जाने ही नहीं देते। वहां ऐसे लोग रहते हैं जो कायर हैं, हमसे द्वेष भाव रखते हैं।
मृतक सुशील बीच लाल शर्ट में। उनके दाईं ओर बेटी आकांक्षा, दूसरी ओर बेटा ऑस्टिन और पत्नी जेनिफर। यह तस्वीर हादसे के पहले खींची गई थी।
कलमा पढ़ने के लिए घुटनों के बल नहीं बैठ सके, तो गोली मार दी
सुशील के छोटे भाई की पत्नी जैमा विकास ने बताया कि पूरा परिवार बाहर रहता है। कुछ दिन साथ रह सकें, इसलिए वे साथ घूमने गए थे। कल हमले के बाद बेटे ऑस्टिन का फोन आया तो कहा, "आतंकियों ने पापा से बोला- कौन से धर्म के हो?" तब हम सब चुपचाप खड़े रहे। फिर आतंकी ने कहा, "कलमा पढ़ सकते हो?" ये सुनकर पापा ने हम सबको वहां से जाने के लिए कहा।
फिर आतंकी ने पापा को घुटनों के बल पर बैठने को कहा। पापा वैसे नहीं बैठ सके जैसे कलमा पढ़ने के लिए बैठा जाता है। तब आतंकवादी ने पापा से पूछा, "कौन से धर्म के हो?" पापा ने जैसे ही ईसाई कहा, उसने पापा को गोली मार दी। एक गोली कुछ दूर खड़ी बहन आकांक्षा के पैर में भी लगी। फायरिंग के बाद आतंकी वहां से भाग गए। हम पापा के पास पहुंचे, तब तक उनकी जान जा चुकी थी।
सुशील के छोटे भाई की पत्नी जैमा विकास ने बताया कि ऑस्टिन से बात होने के बाद भाभी से भी बात हुई, उनका भी रो-रोकर हाल बुरा है।
बुआ बोलीं- इजरायल का प्लान था, छुट्टी नहीं मिली तो कश्मीर गए
सुशील की जोबट (आलीराजपुर) की रहने वाली बुआ इंदु डावर ने बताया कि सुशील परिवार के साथ गर्मी में हर बार घूमने के लिए कहीं न कहीं जाते थे। इस बार उनका इजरायल जाने का प्रोग्राम था। लेकिन उनकी पत्नी जेनिफर को लंबे समय के लिए छुट्टी नहीं मिली, इसलिए कश्मीर चले गए। उनका परिवार इंदौर में ही रहता था, लेकिन वे मुझसे मिलने आलीराजपुर से जोबट जरूर आते थे।
सुशील कहता था, जीवन में आए तो कुछ अच्छा करके जाएंगे
इंदु ने कहा कि सुशील के दादाजी सेकेंड वर्ल्ड वॉर में सैनिक थे। पहले हम सब लोग साथ में रहते थे। लेकिन जैसे-जैसे नौकरियां लगती गईं, सब यहां से जाते गए। सुशील के पिता 87 साल के हैं। पिता को कम सुनाई देता है, इस वजह से सुशील हमेशा उनके साथ रहते थे। सुशील हमेशा कहते थे, "जीवन में आए हैं तो कुछ अच्छा करके जाना चाहिए।" वह अपना काम मेहनत व लगन से करते थे।
एलआईसी अफसर सुशील की छोटी बुआ इंदु डावर ने कहा- उनसे 8-10 दिन पहले बात हुई थी।
पिछले साल पिता को खोया, इस साल दोस्त जैसा भाई
सुशील के भाई संजय ने बताया कि 22 अप्रैल मेरे जीवन में दोहरा दुःख लेकर आया। पिछले साल 22 अप्रैल को ही मेरे पिता जी की मौत हुई थी और आज इसी दिन मेरा दोस्त जैसा भाई चला गया। हम काका-मामा-बुआ के 10-12 भाई-बहन हैं।
हमेशा साथ ही पिकनिक मनाते हैं और घूमने भी साथ ही जाते हैं। हम दोस्त जैसे रहते हैं। यदि आज सूर्यास्त के पहले शव आ जाता है तो आज ही अंतिम संस्कार करेंगे, नहीं तो कल सुबह कब्रिस्तान ले जाएंगे।
विधायक रमेश मेंदोला भी मिलने पहुंचे
हादसे की जानकारी के बाद इंदौर-2 के विधायक रमेश मेंदोला भी परिवार से मिलने उनके घर पहुंचे। उन्होंने परिवार को हरसंभव मदद का आश्वासन दिया। उनके साथ एमआईसी सदस्य राजेंद्र राठौर भी थे।
हादसे के बाद बुधवार को विधायक रमेश मेंदोला ने परिवार से मुलाकात की।
आलीराजपुर में एलआईसी में मैनेजर थे सुशील, पत्नी इंदौर में टीचर
सुशील आलीराजपुर के एलआईसी की सैटेलाइट ब्रांच में पदस्थ थे। वे चार दिन पहले ही 21 साल के बेटे ऑस्टिन, बेटी आकांक्षा (30) और पत्नी जेनिफर के साथ कश्मीर गए थे। जेनिफर खातीपुरा के सरकारी स्कूल में टीचर हैं। बेटी आकांक्षा सूरत में बैंक ऑफ बड़ौदा में कार्यरत हैं। वहीं, बेटा ऑस्टिन बैडमिंटन प्लेयर है। परिवार मूल रूप से जोबट का रहने वाला है।