KHABAR : दुग्ध समृद्धि सम्पर्क अभियान के तहत घर-घर जाकर संवाद कर रहे पशुपालक मित्र, पढ़े MP44 NEWS की खबर

MP 44 NEWS December 23, 2025, 10:58 am Technology

नीमच | नीमच वर्तमान में मध्यप्रदेश की दुग्ध उत्पादन में राष्ट्रीय भागीदारी नो प्रतिशत है। शासन की मंशानुसार आगामी पांच वर्षों में इसे बीस प्रतिशत तक ले जाना हैं। इस उद्देश्य की प्राप्ति हेतु दो से नो अक्टूबर के मध्य दुग्ध समृद्धि सम्पर्क अभियान के प्रथम चरण में दस से अधिक पशुधन रखने वाले जिले के 8500 पशुपालकों को गृहभेंट देकर, उन से पशु स्वास्थ्य,पशु पोषण एवं पशु प्रजनन पर संवाद किया गया और इसके माध्यम से लाभ अर्जित करने के संबंध में बताया गया। शासन की मंशानुसार जिले में कलेक्टर हिमांशु चंद्रा के निर्देशन एवं सीईओ जिला पंचायत अमन वैष्णव के मार्गदर्शन में 17 दिसंबर से नीमच जिले में दुग्ध समृद्धि सम्पर्क अभियान का दूसरा चरण प्रारम्भ किया गया है जो 30 दिसंबर तक चलेगा। अभियान के दौरान जिले के 14500 से अधिक पशुपालक जिनके पास पांच से नो तक पशु है उनको पशुपालन विभाग के उपसंचालक, पशुचिकित्सक, सहायक पशु चिकित्सा क्षेत्राधिकारी, गो सेवक मैत्री एवं दुग्ध संघ के कार्यकर्ता गृहभेंट देकर उनसे वर्तमान में अपनायी जा रही पशुपालन संबंधि पद्धतियां और उसमें क्या आवश्यक सुधार की आवश्यकता है, ताकि पशुपालन से अधिक से अधिक लाभ अर्जित किया जा सके। इन विषयो पर संवाद कर रहे है। उप संचालक पशुपालन डॉ.राजेश पाटीदार ने बताया, कि दुग्‍ध समृद्धि सम्‍पर्क अभियान के तहत संवाद के तीन मुख्य बिंदु है। पशु स्वास्थ्य-दुग्ध उत्पादन बढ़ाने हेतु पशु का स्वास्थ्य अच्छा होना जरुरी है, ताकि वह बीमारियों से बचे, उसका उत्पादन बड़े और समय पर गर्मी पर आये, ताकि उनके रखरखाव पर खर्चा कम हो। इस हेतु जरूरी है पशुओं का समय-समय पर टीकाकरण हो तथा उन्हें पेट के कीड़े व बाह्य पर जीवि‍यों से बचाने हेतु नियमित दवाई दी जाये, पशुशाला साफ सुथरी व हवा एवं प्रकाश युक्त हो। पशु पोषण - पशुओं को भी मनुष्यों की भांति संतुलित आहार की नियमित आवश्यकता होती है। संतुलित आहार में ऊर्जा प्रोटीन वसा खनीज लवण एवं विटामिन्स इन पांच अवयवो का होना जरुरी है। यें अवयव क्रमशः अनाज दाने, दलहन, तेलीय बीज से प्राप्त होते है एवं खनीज लवण एवं विटामिन्स दाने व हरे चारे से प्राप्त होते है। यदि मिनरल मिक्सचर की अतिरिक्त पूर्ति करने की जरूरत हो, तो बाजार से मिनरल मिक्सचर लाकर खिलाया जा सकता है। जिसे आम बोलचाल की भाषा में दूध बढ़ाने का पाउडर कहा जाता है। संतुलित पशु आहार से बछिया जल्दी माँ बनेगी और दो ब्यात का अंतर कम होगा साथ ही पशु का दुग्ध उत्पादन बढ़ेगा इससे पशुपालक की आय बड़ेगी। नस्ल सुधार हेतु पशु प्रजनन - दूध उत्पादन बढ़ाने हेतु जहाँ पशु का स्वास्थ्य एवं पोषण का अच्छा होना जरूरी है उतना ही जरूरी है पशु की नस्ल का सुधार करना अर्थात उन्नत नस्ल जो ज़ादा दूध देती है जैसे गिरसाहिवालमुर्रा अथवा संकरजर्सीयाहोलेस्टन आदि के वीर्य से पशु का प्रजनन कर वानाताकि पैदा होने वाली बछिया से ज़ादा दूध प्राप्त किया जा सके। पशुपालक को यह भी बताया जा रहा है, कि अब हमारे पास उन्नत नस्लों का ऐसा भी वीर्य उपलब्ध है, जिसके लगाने से नब्बे प्रतिशत बछिया होने की सम्भावना है, जिसे सेक्ससॉर्टेडसिमन कहा जाता है। संवाद में पशुपालकों द्वारा पर्याप्त रूचि ली जा रही है तथा वे गृहभेंटकर्ता पशुपालक मित्र की बतों को गंभीरता से सुनकर बताई जार ही तकनीक का उपयोग करने हेतु आगे आ रहे है। संवाद के दौरान उदाहरणीय पशुपालकों के माध्यम से भी उनकी सफलता की कहानिया साझा करवाई जा रही है। अंत में पशुपालक मित्र अपना मोबाइल नंबर भी साझा कर रहा है तथा इन तीन विषयो पर बनी अलग अलग जागरूकता रील भी उनसे साझा कर रहे है। चर्चा उपरांत पशुओं सम्बंधि आवश्यक जानकरी इस हेतु बनाये गए एप पर दर्ज कर रहे है तथा व्हाट्स एप्प ग्रुप से पशुपालकों को जोड़ा जा रहा है, ताकि भविष्य में भी पशुपालकों को विभागीय गतिविधियों से अवगत करवाया जा सके। पशुपालन विभाग के उपसंचालक डॉ.राजेश पाटीदार ने बताया की गृहभेंट कार्य में 180 लोगो को लगाया गया है तथा अभियान में जनप्रतिनिधियों एवं जिले एवं अनुभाग के वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारियो को भी सहभागिता हेतु अनुरोध किया गया है। जिला स्तर पर अभियान की मॉनिटरिंग एवं फील्ड में आ रही दिक्क़तों के त्वरित निराकरण हेतु कण्ट्रोल रूम स्थापित किया गया हैं। जिसका प्रभारी डॉ.ए.आर.धाकड़ को बनाया गया है।

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